वीडीएसटी कंपनी दो बैंकों से कर चुकी 18 करोड़ का लेनदेन, नहीं भरा पूरा टैक्स
जाट धर्मशाला से संचालित हो रही वीडीएसटी कंपनी ने दो बैंकों
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : जाट धर्मशाला से संचालित हो रही वीडीएसटी कंपनी ने दो बैंकों के साथ 18 करोड़ रुपये का लेनदेन किया था। उसके हिसाब से कंपनी को 2 करोड़ रुपये का टैक्स भरना था, लेकिन अभी कंपनी ने सिर्फ 30 लाख रुपये जमा करवाए हैं। कराधान विभाग के इंस्पेक्टर और ईटीओ को पूरे मामले की जानकारी होने के बाद विभाग ने टैक्स भरवाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। नतीजा प्रदेश सरकार को करीब पौने दो करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ है। अब विभाग उक्त दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। वीडीएसटी कंपनी जाट धर्मशाला में फरवरी 2018 में शुरू हुई थी। इसके बाद लगातार उसके खिलाफ शिकायत आई। पुलिस व कराधान विभाग ने उन्हें पाक-साफ बताते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अधिकारियों ने कंपनी के कामकाज को नियमों के दायरे में होना बताया। इसके चलते लोगों ने बड़ी संख्या में रुपये लगाए। अब तेलगांना पुलिस की कार्रवाई के बाद दबाव में आई राज्य सरकार व उसके विभिन्न विभाग के अधिकारियों ने भी चिटफंड करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। पहले पुलिस ने वीडीएसटी कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया। अब कराधान विभाग की जांच में सामने आया है कि वीडीएसटी कंपनी ने एचडीएफसी व इंडसइंड बैंक के मार्फत 18 करोड़ रुपये का कारोबार किया। करीब 6 महीनों में 18 करोड़ का कारोबार करने के बाद भी उसके टैक्स की विभागीय जांच नहीं की गई।
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उच्चाधिकारियों ने पकड़ी गड़बड़ी
कराधान विभाग के उपायुक्त वीके शास्त्री ने अपनी जांच में पाया कि जिले की कई फर्में पिछले कुछ महीनों से 5 करोड़ रुपये का अधिक टर्न ओवर कर रही हैं, लेकिन नियमानुसार टैक्स नहीं आ रहा है। उसी कड़ी में उन्होंने वीडीएसटी कंपनी के खातों की जांच की। जिसमें 18 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ दिखाया गया। उसके हिसाब से 12 फीसद जीएसटी के अनुसार 2 करोड़ रुपये का टैक्स भरवाया जाना था।
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इन चिटफंड कंपनियों ने की टैक्स की चोरी
फतेहाबाद में पिछले छह महीनों में मिनट इवोल्यूशन पर भी टैक्स चोरी का आरोप लगा है। उनकी भी जांच की जा रही है। इसके अलावा भूना मोड के पास चल रही कंपनियों पर भी टैक्स चोरी के आरोप हैं। वर्जन
वीडीएसटी कंपनी ने दो बैंक खातों के मार्फत 18 करोड़ का कारोबार किया। जिस पर नियमानुसार 12 फीसद जीएसटी लगना था, लेकिन कंपनी ने मात्र अब तक सिर्फ 30 लाख रुपये ही भरे हैं। करीब एक करोड़ 70 लाख रुपये का टैक्स बकाया है। मैंने गड़बड़ी मिलने के बाद संबंधित इंस्पेक्टर व इटीओ का वार्ड बदलने की कार्रवाई शुरू कर दी है। यह गंभीर मामला है। संबंधित कर्मचारियों को रिकार्ड देखना जरूरी था। इस बाबत विभाग के उच्चाधिकारियों को भी सूचित किया गया है।
-डा. वीके शास्त्री, उपायुक्त, कराधान एवं आबकारी विभाग।