टोहाना शहर के कैटल फ्री होने के दावे फेल, सड़कों पर घूमते रहते हैं पशु
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संवाद सूत्र, टोहाना : जिला प्रशासन भले ही टोहाना शहर के कैटल फ्री होने के दावे करें लेकिन आज भी शहर का कोई कोना इन बेसहारा पशुओं से वंचित नहीं है। हालांकि टोहाना में कुछ लोगों द्वारा शहरवासियों के सहयोग से कैंची चौक के पास 7-8 एकड़ भूमि में एक अस्थाई तौर पर नंदीशाला बनाकर उसमें लगभग 1600 गोवंशों को रखकर उनकी सारसंभाल की जा रही है, लेकिन मौजूदा समय में भी यह बेसहारा गोवंश सड़कों पर अपना भरण-पोषण कर जीवन गुजार रहे है। वहीं इनके कारण वाहन चालकों की मौत व घायल होने का सिलसिला अभी भी जारी है। नगर की विभिन्न सामाजिक व धार्मिक तथा व्यापारिक संगठनों ने इस मुद्दे को लेकर प्रशासन के समक्ष आवाज उठाते हुए इस समस्या के समाधान की मांग भी उठाई। लेकिन प्रशासन द्वारा इसे गंभीरता से ना लेने के कारण यह समस्या आज भी गंभीर बनी हुई है।
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इन स्थानों पर अधिक घूमते रहते हैं पशु
शहर के भीड़भाड़ वाले बाजार नेहरू मार्केट, शास्त्री बाजार, नया बाजार, गांधी चौक, शास्त्री बाजार, मिलन चौक, तहसील रोड, महाराजा अग्रसेन चौक, बस स्टैंड चौक, कैंची चौक सहित कल्पना चावला पार्क आदि में पशु घूमते हुए नजर आते हैं। इनके कारण वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं ये पशु जब आपस में लड़ते हैं तो उस समय क्षेत्र में दहशत फैल जाती है। जिससे ना केवल जानमाल की हानि होती है बल्कि कई प्रकार के नुकसान होने की संभावना रहती है।
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2008 से चल रहा है अभियान
गौरतलब है कि इस समस्या को वर्ष 2008 में तत्कालीन एसडीएम तिलक राज ने नगर की गोशालाओं एवं समाजसेवी संगठनों के सहयोग से हल करने का काम किया था। उन्होंने सभी बेसहारा पशुओं को काबू कर टैग लगाने के बाद सभी गोशालाओं को सौंप दिया था। जिससे शहर में पशुओं की दहशत पर अंकुश लग गया था। लेकिन उनके तबादले के बाद जहां अनेक पशु धीरे-धीरे फिर बाजारों में नजर आने लगे। लेकिन आज भी 100 से ज्यादा पशु खुले में घूमते देखे जा सकते हैं।
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नंदीशाला को नप से चारे के लिए नहीं मिलता अनुदान
कैंची चौक के पास स्थित शिव नंदीशाला के संयोजक धर्मपाल सैनी ने बताया कि इस समय नंदीशाला में लगभग 1200 सांड, 350 गाय व लगभग 50 बछड़े व बछड़िया है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बार-बार अभियान चलाकर बेसहारा पशुओं को काबू कर नंदीशाला में लाया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि शहरवासी उनका सहयोग करें तो वह सभी पशुओं को नंदीशाला में ले जा सकते हैं। नगर परिषद से उन्हें नियमित गऊओं के चारे के लिए अनुदान नहीं मिलता। जिसके चलते वह गांवों के किसानों व शहर वासियों के सहयोग पर ही निर्भर है।
जल्द शुरू करेंगे अभियान
नप कार्यकारी अधिकारी डा. प्रदीप हुड्डा ने बताया कि शहर से बेसहारा पशुओं को काबू कर नंदीशाला में भेजने का अभियान जल्द शुरू किया जा रहा है। उनके प्रयास है कि इस अभियान के बाद सड़कों व सार्वजनिक स्थलों पर कहीं भी यह पशु देखने को ना मिले।