खुदी को खुद बुलंद करने की राह पर चल पड़ीं भविष्य की नारी शक्ति
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: कभी घर में .. कभी घर से बाहर ..। कहीं स्कूल जाते वक्त तो क
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: कभी घर में .. कभी घर से बाहर ..। कहीं स्कूल जाते वक्त तो कहीं कुएं से पानी निकालने जाते समय ..। सरेआम .. सरेराह ..। हर कदम, हर मोड़ पर ..। सभ्य समाज के बीच छिपे इंसान के रूप में भेड़िये ..। समाज के ये अनाचारी दानव नारी शक्ति के जीवन को नारकीय बनाने की घात में रहते हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि आपराधिक आंकड़े बताते हैं। इसके साथ हकीकत यह भी कि नारी शक्ति को सुरक्षा का आसमान देने वाले कानून के हाथ भी कतिपय कारणों से बौने पड़ रहे हैं। जाहिर है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में वर्तमान की बालिकाओं तथा भविष्य की नारी शक्ति को अपनी सुरक्षा खुद करनी पड़ेगी। कारण कि भेड़ियों से डरने की बजाय लड़ने की जरूरत आन पड़ी है। यही वजह है कि दैनिक जारण ने शक्ति को और सशक्त बनाने के लिए उनके अंदर गहरे पैठ कर गये डर को बाहर निकाल उन्हें आत्मरक्षा के प्रति जागरूक कर रहा है। राष्ट्रीय बालिका दिवस से शुरू हुई दैनिक जागरण की मुहिम अपनी मंजिल की ओर अग्रसर है। नारी सशक्तीकरण की इसी कड़ी में मंगल कामना के साथ मंगलवार से आत्मरक्षा के गुर सिखाने की पहल हुई है।
पिछले कई दिनों से प्रदेश में छेड़छाड़ व दुष्कर्म के मामले सामने आए हैं। जिसमें नाबालिग लड़कियां भी शामिल हैं। शर्म व डर के चलते लड़कियां परिवार को घटना के बारे में बता नहीं पाती और हैवानों का हौसला बढ़ जाता है। यहां तक जब रास्ते में छेड़छाड़ की घटना होती है तो उसका सामना भी नहीं कर पाती। दैनिक जागरण अलग-अलग स्कूलों में जाकर महिला थाना के ट्रेनरों के माध्यम से छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा रहा है।
दैनिक जागरण की इस मुहिम को स्कूलों ने भी सराहा है। जिसके बाद कई स्कूलों ने छात्राओं को स्पेशल ट्रे¨नग देने का फैसला भी लिया है ताकि लड़कियां अपनी रक्षा खुद कर सकें और इसके साथ ही इतनी जागरूक हों कि वह अपराध के प्रति आवाज उठा सके।
-महिला विरुद्ध बढ़ता अपराध व गिरता ¨लगानुपात ¨चता का विषय
पिछले एक साल में महिला के विरुद्ध अपराध बढ़ा है और ¨लगानुपात गिरा है जो कि ¨चता का विषय है। वर्ष 2016 में दुष्कर्म के जहां 35 मामले सामने आए थे वहीं 2017 में 40 केस सामने आ चुके हैं। इसमें नबालिग लड़कियां भी शामिल हैं, जो घटना का शिकार हुई हैं। वर्ष 2016 में जिला का ¨लगानुपात जहां 920 था वह इस बार 912 आ गया है। यानि कि एक हजार लड़कियों के पीछे 88 लड़कियां कम पैदा हुई हैं। पुलिस अधिकारियों का खुद मानना है कि जागरूक होना जरूरी है। अगर जागरूक होंगे तो शिकायतें दबने की जगह सामने आएंगी और अपराध पर अंकुश लगेगा।