आधुनिकता की दौड़ में खो गई विरासत, शहर में भट्टूरोड पर होता था तालाब, गांवों में नाम के रहे गए तालाब
जागरण संवाददाता फतेहाबाद एक समय था जब गांव के लोग अपने पशुओं को लेकर तालाब पर ज
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद:
एक समय था जब गांव के लोग अपने पशुओं को लेकर तालाब पर जाते थे। इन तालाबों के बाहर लोगों की भीड़ भी लग जाती थी। लेकिन अब आधुनिकता की दौड़ में यह विरासत खो गई है। फतेहाबाद शहर में भट्टूरोड पर अग्रवाल कालोनी में करीब दो एकड़ में तालाब होता था। लेकिन समय के साथ इस तालाब को बंद कर पार्क का निर्माण कर दिया। गांवों में अब भी कुछ तालाब नजर आ जाते हैं। लेकिन इनकी सफाई और पानी न होने के कारण ये भी अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। पंचायत की उदासीनता के कारण इन तालाबों को ठीक भी नहीं किया जा रहा है। एक समय था जब पूरे जिले के गांवों में 600 से अधिक तालाब होते थे। लेकिन अब इनकी संख्या 300 ही रह गई। अगर समय के साथ सभी ने इनकी सुध नहीं ली तो हम अपने बुजुर्गो की अमानत को सुरक्षित नहीं रख पाएंगे।
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भट्टू रोड पर होता था बड़ा तालाब
शहर में एक चिल्ली झील और भट्टू रोड पर दो एकड़ के करीब एक बड़ा तालाब होता था। 1970 के दशक में यहां पर तालाब था। फतेहाबाद शहर न होकर एक गांव था। इस तालाब से आसपास के लोग पानी लेकर जाते थे। लेकिन बाद में कुएं का निर्माण होने के बाद पीने का पानी लेना बंद कर दिया और बाद में इस पानी का उपयोग पशुओं के लिए करना शुरू कर दिया। 1985 के करीब इस तालाब को बंद कर दिया और कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया। जो थोड़ी जगह बनी उस पर आज पार्क बना दिया गया है। प्रत्येक गांव में होते थे दो बड़े तालाब
गांवों की पहचान तालाबों से होती थी। पहले गांवों की गलियों के नाम नहीं होते थे बल्कि तालाब के नाम से ही पुकारे जाते थे। पूरे जिले में 301 गांव है। प्रत्येक गांव में दो बड़े तालाब होते थे जिसके अंदर पानी भी होता था। लेकिन समय के साथ-साथ ये तालाब आधुनिकता की भेंट चढ़ गए और विलुप्त हो गए। पंचायत विभाग की माने तो अब केवल एक ही गांव में एक ही तालाब बचा है। कुछ गांव तो ऐसे है जहां एक भी तालाब नहीं है। पंचायत विभाग के पास केवल 300 तालाबों का आंकड़ा है जहां मनरेगा से सफाई होती है।
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बरसात के पानी को इकट्ठा करने की तैयारी तक नहीं
अगले कुछ दिनों में प्रदेश में मानसून की शुरुआत हो जाएगी। अभी तक मनरेगा का कार्य भी गांवों में शुरू नहीं किया गया है। पहले हर साल मनरेगा द्वारा इन तालाबों की सफाई करवाई जाती थी। लेकिन इस बार ऐसा देखने को नहीं मिला है। गांव के सरपंचों का कहना है कि अब लोग इस पानी का इस्तेमाल नहीं कर रहे है। इस कारण यहां पर काम तक नहीं करवाया जा रहा है।
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190 तालाबों में नहीं एक बूंद पानी
जिले में 300 तालाबों में से 190 तालाबों में एक बूंद पानी तक नहीं है। इन गांवों के सरपंचों ने इसकी रिपोर्ट भी पंचायत विभाग को दी है। लेकिन इन तालाबों में नहरी पानी डलवाने की व्यवस्था न होने के कारण अधिकारी भी परेशान है। अब तो इन तालाबों में बरसात का पानी ही इकट्ठा होगा। जब तब बरसात नहीं होगी तब तक यहां पर लोगों का जमघट भी नहीं लगेगा। अधिकारियों की माने तो पहले लोग अपने पशुओं को तालाब पर लेकर आते थे। लेकिन अब हर घर में पानी की पाइप लाइन है। इस कारण इन तालाबों में पानी नहीं डलवाया जा रहा है।
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पूर्वज बताते थे कि भट्टूरोड पर अग्रवाल कालोनी के पास दो एकड़ के करीब बड़ा तालाब होता था। उधर चिल्ली झील होती थी। बताते हैं कि इस तालाब से लोग पानी पीते थे। लेकिन समय गुजरने व शहर का विस्तार होने के बाद इस तालाब का रकबा भी कम हो गया। लोगों ने जमीन पर कब्जा कर लिया। अब यहां पर एक पार्क का निर्माण करवा दिया है। हम अपनी ही विरासत को कायम नहीं रख पाए।
::मदन गर्ग, शहरवासी।
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हर साल मनरेगा द्वारा तालाबों की सफाई करवाई जाती है। पंचायत उनके पास काम की डिमांड भेजती है। उसके बाद उस काम को पूरा कर दिया जाता है। इस बार तालाब की सफाई करवाने की अर्जी कुछ ही पंचायतों ने दी है। फिर भी अपने स्तर पर सभी सरपंचों को आदेश देंगे कि बरसात से पहले इन तालाबों की सफाई करवाए और नालियों की सफाई भी करवा दे। इसके लिए जल्द ही वे सरपंचों की बैठक लेंगे। अब हर गांव में केवल एक ही तालाब रह गया है। जिले करीब 300 तालाब तो है जो चालू हालत में है। इसमें बरसात का पानी इकट्ठा किया जाएगा।
अनुभव मेहता,
जिला पंचायत अधिकारी, फतेहाबाद।