हरियाणा में पिछले साल के मुकाबले आधी रही पराली जलाने की घटनाएं, 70 प्रतिशत मामले केवल तीन जिलों से
पिछले साल के मुकाबले इस बार प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई है। इस बार 26 नवंबर तक प्रदेश में पराली जलाने की 3609 घटनाएं सामने आई हैं जबकि पिछले साल इस समय तक ये आंकड़ा 6870 पहुंच चुका था।
अमित रूखाया, फतेहाबाद : धान का सीजन आते ही पराली जलाने की घटनाएं सुर्खियां बनना शुरू हो जाती हैं। सीजन से पहले ही प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन किसानों को जागरूक करने के लिए हर संभव प्रयास करती है। इस बार इन प्रयासों का असर साफ तौर पर देखने में भी मिला है। पिछले साल के मुकाबले इस बार प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई है। इस बार 26 नवंबर तक प्रदेश में पराली जलाने की 3609 घटनाएं सामने आई हैं जबकि पिछले साल इस समय तक ये आंकड़ा 6870 पहुंच चुका था। इन आंकड़ों से इतर एक अहम बात ये भी कृषि विभाग के समक्ष आई है कि प्रदेश भर में पराली जलाने की जितनी घटनाएं हुई हैं, उनमें 70 प्रतिशत घटनाएं तो महज तीन जिलों में ही हैं। इनमें फतेहाबाद, कैथल और जींद शामिल हैं।
अगले सीजन में प्रदेश के टाप पांच जिलों पर फोकस करेगी सरकार
पराली जलाने की घटनाओं में कमी के पीछे प्रदेश सरकार और अलग-अलग जिलों में प्रशासन द्वारा की गई सख्ती और जागरूकता को माना जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा जिलास्तर पर बेलर व अन्य उपकरण उपलब्ध करवाने से भी किसानों ने पराली जलाने की बजाए उनका प्रबंधन करना बेहतर समझा। इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा इस बार से खेत के अंदर और बाहर पराली प्रबंधन दोनों पर प्रोत्साहन राशि का ऐलान किया, जिससे काफी मदद मिली। कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो इस दफा जहां पर भी पराली ज्यादा जली है, उसका प्रमुख कारण वहां पर बेलर व अन्य संसाधनों का पर्याप्त संख्या में ना पहुंच पाना था। ऐसे में कृषि विभाग अगले साल से बेलर व अन्य संसाधनों की संख्या बढ़ाने के लिए अभी से प्रयास शुरू करेगा।
ये हैं प्रदेश में सर्वाधिक पराली जलाने वाले जिले
जिला पराली जलाने की घटनाएं
फतेहाबाद 759
कैथल 667
जींद 500
करनाल 299
कुल 2225
---फतेहाबाद जिले में हरसेक से प्राप्त लोकेशन के आधार पर 759 जगह पराली जली है। ये प्रदेश में सबसे अधिक है। इसके आधार पर सैंकड़ों किसानों के खिलाफ जुर्माना किया गया है। अगले सीजन से पहले ही जागरूकता अभियान शुरू करेंगे जिससे इस संख्या में और कमी लाई जा सके।’
डा. राजेश सिहाग, उपकृषि निदेशक, फतेहाबाद ।