स्लोगन बना पराली न जलाने का दिया संदेश
जागरण संवाददाता फतेहाबाद पिछले साल की तुलना में इस बार किसान कम संख्या में पराली जा रह
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद:
पिछले साल की तुलना में इस बार किसान कम संख्या में पराली जा रहे है। इसका मुख्य कारण जागरूकता है। पिछले साल करीब 1900 किसानों को कृषि विभाग के अधिकारियों ने चिह्नित किया है। लेकिन इस बार अभी तक लोकेशन भी करीब 50 आई है। वहीं धान का सीजन भी तेज गति से जा रहा है। वही दैनिक जागरण भी किसानों को जागरूक करने के लिए स्कूल कालेजों व किसानों के बीच में जाकर उन्हें जागरूक कर रहा है। एमएम कालेज में भी विद्यार्थियों ने पराली न जलाने की शपथ ली। वहीं कहा कि वे किसानों को जागरूक करेंगे कि पराली जलाने से नुकसान अधिक होता है।
एमएम कालेज में पराली ना जले इसके लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एनएसएस यूनिट द्वारा पराली को जलाने के नुकसान से लोगों को अवगत करवाने के लिए स्लोगन व पेंटिग प्रतियोगिता का सहारा लिया। विद्यार्थियों ने इन स्लोगन के माध्यम से बताया कि अगर किसान अवशेष को आग लगाता है तो जमीन के अंदर रहने वाले सभी मित्र कीट मर जाते है। मित्र कीट किसानों के दोस्त होते है। लेकिन किसान आग लगाकर उसे ही मार रहे है। विद्यार्थियों ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम आगे जारी रहेंगे।
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इस बार पराली ना जले इसके लिए कालेज के विद्यार्थी पिछले काफी समय से काम कर रहे है। कुछ दिन पहले रैली निकाली गई। मंगलवार को स्लोगन व पेंटिग द्वारा जागरूक किया। इस तरह के अभियान चलाने का ही नतीजा है कि किसान जागरूक हो रहे है। कालेज में आने वाले विद्यार्थी गांवों से है जहां पहले किसान धान की पराली में आग लगाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। वहीं दैनिक जागरण भी शानदार अभियान चला रहा है। हम सभी को अभियान चलाना होगा।
डा. कविता बतरा, एनएसएस यूनिट प्रभारी, एमएम कालेज
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जागरूकता का ही असर अब देखने को मिल रहा है कि किसान कम संख्या में पराली में आग लगा रहे है। पिछले साल इन दिनों में पराली के धुएं से हर कोई परेशान था। कालेज के विद्यार्थियों ने भी स्लोगन व पेंटिग के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास किया है। वहीं दैनिक जागरण का प्रयास भी सराहनीय है। वहीं कृषि विभाग के अधिकारी अब प्रत्येक खेतों में जा रहे है।
डा. जनक मेहता
प्राचार्य, बीएड एमएम कालेज।