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रोडवेज के पहियों से बंधा रहा एस्मा, हठ की ताल पर जारी हड़ताल, बेबस यात्री

मांगें पूरी करने की हठ की ताल पर रोडवेज कर्मियों की रा

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 11:13 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 11:13 PM (IST)
रोडवेज के पहियों से बंधा रहा एस्मा, हठ की ताल पर जारी हड़ताल, बेबस यात्री
रोडवेज के पहियों से बंधा रहा एस्मा, हठ की ताल पर जारी हड़ताल, बेबस यात्री

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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मांगें पूरी करने की हठ की ताल पर रोडवेज कर्मियों की राज्यव्यापी हड़ताल कई सवाल उठा गई। अहम यह कि हड़ताल को रोकने के लिए बनाया गया आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून एस्मा मंगलवार को सामान्य बस अड्डा परिसर में रोडवेज के पहियों से बंधा रहा। इस एक्ट से बेपरवाह रोडवेज कर्मियों ने मजबूत रणनीति के तहत रोडवेज बसों का चक्का जाम रखा। कमोबेश यही हाल जिले की सभी रोडवेज डिपुओं में रहा। हां, अलसुबह चंडीगढ़ रूट पर एक बस चली तो रोडवेज के ही सब इंस्पेक्टर दो बसें हिसार तक लेकर गए। इस दौरान यात्रियों में निजी बसों से सफर करने की बेबसी साफ देखी गई।

प्रदेश सरकार ने रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल को रोकने के लिए एस्मा लगाया हुआ है, लेकिन रोडवेज के कर्मचारियों ने एस्मा के बावजूद हड़ताल कर दी। उन्होंने हड़ताल के दौरान बसें नहीं चलने दी। रोडवेज के कर्मचारियों ने इस बार हड़ताल को सफल बनाने के लिए न केवल बस स्टैंड में एकत्रित होकर धरने से परहेज रखा बल्कि यूनियनों से जुड़े कर्मचारियों ने सोमवार शाम को ही डिपो परिसर में बसें खड़ी करके गायब रहने की रणनीति अपनाई। यहां तक कि अधिकांश चालक व परिचालकों ने अपने मोबाइल ही बंद कर दिए। रोडवेज यूनियन के पदाधिकारियों का दावा है कि उनकी हड़ताल बुधवार से भी आगे अनिश्चितकालीन समय के लिए बढ़ सकती है। सरकार को उनकी मांगें माननी ही होगी। रोडवेज की हड़ताल होने से आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। महिलाएं व विद्यार्थियों को गांवों में जाने में परेशानी

हुई।

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ग्रामीण रूटों पर नहीं चलीं बसें, हिसार और सिरसा का किराया 50 रुपये

रोडवेज की हड़ताल के कारण ग्रामीण रूटों पर रोडवेज के साथ निजी बसें भी नहीं चली। वे बसें भी नहीं चली, जिन्हें ग्रामीण रूट का प्रदेश सरकार ने परमिट दिया हुआ हैं। इसके चलते गांव जाने के लिए महिलाएं बस स्टैंड पर भटकती रही। एक महिला सुमन ने बताया कि उसे आदमपुर जाना है, लेकिन बस नहीं मिल रहीं। इसी तरह गोरखपुर से शहर आई महिला कृष्णा को भी वापसी के लिए बस नहीं मिली, न ही अन्य वाहन। इससे उन्हें परेशानी हुई। हालांकि हिसार व सिरसा जाने के लिए बसों की लंबी कतार लगी रही, लेकिन ये बसे खाली ही गई। निजी बस संचालकों ने हड़ताल के दौरान उक्त दोनों शहरों में ले जाने के लिए 50 रुपये प्रति यात्री किराया कर दिया। अन्य दिनों में इन शहरों में जाने के लिए 45 रुपये किराया लगता है। -------------------------

कई बसों की हवा निकाली

रोडवेज के कर्मचारियों ने कई बसों के टायरों की हवा निकाल कर बस स्टैंड में खड़ा कर दिया ताकि रोडवेज की हड़ताल जारी रहे। कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल को कामयाब करने के लिए एक दर्जन से अधिक बसों की हवा निकाल बस स्टैंड के परिसर के बीचोबीच खड़ी की।

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दस्तावेज लेकर बेरोजगार युवक पहुंचे बस स्टैंड

रोडवेज की हड़ताल के दौरान कई बेरोजगार युवा अपने दस्तावेज लेकर पहुंच रहे है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार हड़ताल के दौरान नई भर्ती कर सकती है। एक युवा ने बताया कि पहले भी ऐसा हो चुका है। सरकार कर्मचारियों पर दबाव बनाने के लिए नई भर्ती कर देती है। कई युवा तो ऐसे थे जिनके पास हैवी ड्राइ¨वग लाइसेंस के साथ परिचालक का भी लाइसेंस था।

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चालक परिचालक के साथ अन्य स्टाफ भी रहा हड़ताल पर

रोडवेज के चक्का जाम में चालक परिचालकों के साथ अन्य कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे। यहां तक की कच्चे, आउटसोर्सिंग के साथ अप्रेंटिसशिप करने वाले युवा भी हड़ताल पर रहे। यूनियन के नेता सरबत पूनिया, ईश्वर सहारण, सुरजभान चोपड़ा व मनोज कुंडू का दावा है कि उनकी हड़ताल कामयाब रही। सरकार को उनकी मांगें माननी पड़ेगी, अन्यथा रोडवेज की संयुक्त संघर्ष समिति इस हड़ताल को अनिश्चित समय के लिए कर देगी। नेताओं का दावा है कि रोडवेज के पांच अधिकारियों को छोड़कर सभी कर्मचारी हड़ताल पर है।

------------------------ इंस्पेक्टर को बनाया चालक, अग्रोहा मोड तक लेकर गए

रोडवेज के महाप्रबंधक व अन्य अधिकारियों ने रोडवेज की बस चलाने के पूरे प्रयास किए। सुबह के समय चंडीगढ़ रूट पर बस चलाने के बाद दो बस हिसार रूट पर भी चलाने की कोशिश की। इसके लिए दो सब इंस्पेक्टरों की ड्यूटी लगाई, लेकिन वे बसों को हिसार की बजाए अग्रोहा तक ही लेकर गए। अग्रोहा में रोडवेज कर्मचारियों के विरोध करने के बाद वे बसें वहीं छोड़कर वापस आ गए।

------------------------433 कर्मचारी रहे हड़ताल पर

रोडवेज की फतेहाबाद डिपो में 707 कर्मचारी कार्यरत है। इनमें से हड़ताल के पहले दिन करीब 444 कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इनमें से अधिकांश चालक व परिचालक है। हालांकि हड़ताल में शामिल कई कर्मचारियों ने अपनी सुरक्षा के लिए मेडिकल भी ले लिया, ताकि सरकार उनको निलंबित न कर सके। प्रदेश सरकार ने गत 5 सितंबर को हड़ताल करने पर 45 कर्मचारी निलंबित कर दिए थे।

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हम बस चलाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। हड़ताल में शामिल कर्मचारियों को नोटिस जारी कर दिया है। जो नए ड्राइवर लगे हुए है। उन्हें काम पर लौटने के आदेश दिए हैं। नहीं लौटने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- राहुल मित्तल, महाप्रबंधक, रोडवेज।


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