रिक्शा चालक ने जरूरतमंद बेटी की शादी में भरा भात
कलियुग की इस दौर में ऐसे इंसान भी मिलते हैं, जो दरिद्रता का जीवन जीने के ब
संवाद सूत्र, भूना : कलियुग की इस दौर में ऐसे इंसान भी मिलते हैं, जो दरिद्रता का जीवन जीने के बावजूद जरूरतमंदों की मदद करना अपना धर्म समझते हैं। ऐसी ही इंसानियत की एक मशाल जलाए हुए है रिक्शा चालक सुभाष चंद्र। रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाले सुभाष ने इंसानियत बैंक खोला हुआ है, जिसमें जरूरतमंदों को 100 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसी इंसानियत बैंक के संचालक ने रविवार को एक अति जरूरतमंद कन्या के विवाह में वधू के मामा का फर्ज निभाते हुए उसका भात भरा। भात में वर-वधू के कपड़े, कलाई घड़ी, शगुन राशि, वरमाला व अन्य सामान दान करके इंसानियत का फर्ज अदा किया। इतना ही नहीं रिक्शा चालक से उक्त परिवार के अन्य कार्य में भी पूरा सहयोग किया। जरूरतमंद परिवार आर्थिक सहायता पाकर फूले नहीं समा रहा था और इंसानियत बैंक के संचालक सुभाष का शुक्रिया अदा कर रहा था।
ढक्की मुहल्ला में जिस घर बेटी के हाथ पीले किए जा रहे थे, उस वधू का मामा ही नहीं था। ऐसे में भात भरने का मन मनाया रिक्शा चालक सुभाष चंद्र ने। रविवार को शहनाई बजी तो रिक्शा चालक ने वधू का मामा बनकर तमाम रश्में अदा की और भानजी बनाकर वधू को शगुन भी दान किया। रिक्शा चालक का उक्त कार्य समाज के लिए प्ररेणा स्त्रोत है, जिससे आमजन मानस को निस्वार्थ सेवा करने की प्रेरणा मिलती है। बता दें कि उक्त रिक्शा चालक इससे पहले भी दो विधवा और बेसहारा वृद्ध महिलाओं को मां के रूप में स्वीकार करके उनकी यथासंभव मदद कर रहा है। हर माह राशन प्रदान करने के साथ-साथ रिक्शा चालक उनके बच्चों का पालन करके अपना दायित्व निभा रहा है। इंसानियत बैंक गरीबों के लिए सहारा बना हुआ है।