जहां ज्यादा आपरधिक घटनाएं हो रही, वहां पुलिस लगाएगी उच्च क्वालिटी के कैमरे
जागरण संवाददाता फतेहाबाद जिले में बढ़ते अपराध को देखते हुए पुलिस अब उच्च क्वालिटी के क
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
जिले में बढ़ते अपराध को देखते हुए पुलिस अब उच्च क्वालिटी के कैमरे लगाएगी। इसके लिए संबंधित थानाध्यक्षों व चौकी इंचार्जो की ड्यूटी लगाई गई है कि वे अपने क्षेत्र की रिपोर्ट बनाकर दे कि कहां-कहां पर कैमरे लगाए जा सकते हैं। उसके बाद वहां पर कैमरे लगाने का कार्य शुरू होगा। अभी तक जिले में पुलिस ने पास एक भी कैमरा सार्वजनिक जगह पर नहीं लगाया हुआ। ऐसे में किसी प्रकार की घटना होने के बाद पुलिस को सीसीटीवी फुटेज तक नहीं मिलती। इससे अपराधियों को फायदा मिल जाता है।
वहीं, निजी स्तर पर जिन संस्थाओं ने कैमरे लगाए हुए हैं वे सीसीटीवी फुटेज देने के लिए तैयार नहीं होते। इसकी वजह है कि सीसी टीवी फुटेज पुलिस कोर्ट में पेश करती है। वहां पर जिस व्यक्ति के कैमरे होते है उसे गवाह के तौर पर बुलाया जाता है। ऐसे में सीसीटीवी कैमरे लगाने वाले बेवजह परेशान होते है। कई बार निजी तौर पर लगाए गए कैमरों की गुणवत्ता भी खराब होने के कारण फुटेज सही से नहीं मिलती।
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लघु सचिवालय में भी कैमरे की दरकार :
लघु सचिवालय के मुख्य द्वार पर सुरक्षा के लिए कैमरे नहीं लगाए गए। वहीं कोर्ट परिसर की तरफ भी कैमरों का अभाव है। जिसके चलते अक्सर बाइक चोरी व अन्य घटनाएं होने के बाद आरोपित आसानी से बच जाते है। अब पुलिस की मांग है कि लघु सचिवालय की पार्किंग व मुख्य द्वार पर कैमरे लगाए जाए, ताकि लघु सचिवालय में होने वाली घटनाओं को रोका जा सके।
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संस्था ने लगाए थे कैमरे, कोर्ट केस के डर से उतारे :
एक सामाजिक संस्था के पदाधिकारियों ने शहर में अपराध रोकने के लिए लालबत्ती चौक पर उच्च गुणवत्ता के तीन कैमरे लगाए थे। उनकी रिकार्डिग के लिए डीवीआर नगर परिषद कार्यालय में रखी गई। जब भी कोई घटना होती पुलिस उसी संस्था के प्रधान को बुलाती। इसके बाद संस्था के पदाधिकारी ने कैमरे उतरवा दिए। वहीं नगर परिषद ने भी शहर में चार जगह कैमरे लगाए थे, वो कैमरे लंबे समय से बंद है। इसके अलावा पूर्व सांसद चरणजीत सिंह रोडी ने भी जिले में कैमरे लगाने के लिए 60 लाख रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन उन्होंने बाद में रुपये नहीं दिए थे।
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कैमरे तभी कारगर, तब लगे नाकाबपोशों पर नकेले :
इसमें कोई शक नहीं कि सीसी कैमरे लगाने से अपराध कम तो होता है। हालांकि आपराधियों ने भी सीसी कैमरे का तोड़ निकाल लिया है। आपराधिक गतिविधियों में सक्रिय रहने वाले लोग शहर में भी हेलमेट लगाकर आते है। हेलमेट न हो तो नकाब बांध लेते है। वाहनों की नंबर प्लेट तो या तो होती नहीं होती है तो गलत। जबकि शहर में हेलमेट की जरूरत नहीं होती। हाई सिक्योरिटी नेम प्लेट न होने वालों वाहनों के चालान भी जरूरत है। जबकि पुलिस शहर में बिना हेलमेट वाले का चालान करने पर ज्यादा फोकस करती है।
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जिले में कैमरे लगाने का प्रपोजल मांगा है। मैंने संबंधित थाना व चौकी इंचार्जों से कहा हैं कि जहां पर अधिक घटनाएं होती है, उन स्थानों को चिह्नित करने के अलावा मुख्य चौराहों व सड़कों की लोकेशन बताए, ताकि वहां पर प्रपोजल बनाकर सरकार को भेजा जाएं। लगने वाले कैमरे का रिकार्ड पुलिस के पास ही रहेगा।
- विजय प्रताप सिंह, पुलिस अधीक्षक।