खस्ताहाल पुलिस चौकी, खुद खौफ के साये में खाकी
हनीश जिदल कुलां टोहाना थाना क्षेत्र के अंतर्गत कुलां पुलिस चौकी भवन। यहां के स्टाफ इन दिन
हनीश जिदल, कुलां
टोहाना थाना क्षेत्र के अंतर्गत कुलां पुलिस चौकी भवन। यहां के स्टाफ इन दिनों खौफ के साये में ड्यूटी संग दिन व्यतीत कर रहे हैं। डर अचानक आकर हमला कर देने वाले किसी अपराधी या आतंकी का नहीं बल्कि पुलिस चौकी भवन की खस्ताहाल इमारत से है। महकमे के उच्चाधिकारी भी इस हकीकत से अच्छी तरह वाकिफ हैं। फिर भी जीर्णोद्धार के प्रति उनकी उदासीनता बनी हुई है।
करीब चार दशक पूर्व कानून व्यवस्था के नेटवर्क को मजबूती देने के लिहाज से यहां सड़क किनारे पीडब्ल्यूडी की जगह पर पुलिस चौकी स्थापित की गई थीं। कुलां टोहाना, रतिया, भूना व जाखल की सरहद पर स्थित है। चौकी में तैनात जवान चौकी की जर्जर इमारत से चितित हैं। उन्हें डर सता रहा है कि यह कभी भी हादसे का कारण बन सकती है। वर्ष 1992 में चौकी स्थापित किये जाने के बाद कई बार बाहरी सड़कों का निर्माण हो चुका है। सड़कें बनती गई और चौकी भवन भूमि नीचे जाती रही। इन दिनों चौकी करीब चार फुट गहराई में समा चुकी है। चौकी प्रांगण में चार छोटे आकार के कमरे बने हैं। इन कमरों का स्तर भी ढाई फुट नीचा हो चुका है। वहीं चौकी प्रांगण सड़क से डेढ़ फुट गहराई में चली गईं है। स्थिति यह कि बारिश के दौरान पानी चौकी प्रांगण में घुस जाता है। ऐसे में पुलिस के जवानों को स्वयं की जान के साथ साथ चौकी में पड़े रिकार्ड के भीगने का भय भी बना रहता है। कई बार पुलिस द्वारा चौकी प्रवेश पर मेढ़ बनाकर बरसाती पानी रोकने का प्रयास भी किया गया है। लेकिन भारी बारिश के दौरान पुलिस की यह तकनीक भी नाकाम हो जाती है।
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जगह की कमी बनी बाधा
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक चौकी भवन के लिए भूमि चयनित नहीं होने से कार्य अटका हुआ है। उच्चाधिकारियों द्वारा स्थानीय पंचायत से चौकी के लिए भूमि की मांग की थीं। जबकि पंचायत के पास उपयुक्त भूमि न होने की वजह से यह बाधा बनी हुई है। ज्ञातव्य है विगत वर्ष ग्राम पंचायत द्वारा मुश्तर्का मालकिन की एक एकड़ भूमि चौकी के लिए देने की सहमति जताई थीं। जबकि पुलिस प्रशासन द्वारा इस भूमि पर चौकी भवन निर्माण करने के लिए इन्कार कर दिया है। विभाग के अनुसार उक्त भूमि विभाग के नाम तब्दील नहीं हो सकती है। बिना नाम के चौकी भवन निर्माण होना नियमों के खिलाफ है।
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उग्रवादी गतिविधियों के समय स्थापित की थीं पुलिस चौकी
स्थानीय पुलिस चौकी का अपना स्थाई भवन नहीं है। क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उग्रवादी गतिविधियों के समय दौरान 1992 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक हरीश कुमार द्वारा सड़क किनारे पड़ी पीडब्ल्यूडी की मात्र तीन मरले जगह में चौकी की आधारशीला रखी थी। जबकि आजतक चौकी को स्वयं का स्थाई भवन नसीब नहीं हुआ है। जगह की कमी से न केवल चौकी संचालन में परेशानी होती है। बल्कि स्टाफ कर्मियों को भी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।
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चौकी प्रभारी सहित 9 पुलिसकर्मी हैं तैनात
पुलिस चौकी में इन दिनों चौकी प्रभारी सहित 9 पुलिसकर्मी तैनात हैं। इनमें 6 पुलिसकर्मी रात के समय चौकी में विश्राम करते हैं। ऐसे में उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बारिश के दिनों छतों में पानी का रिसाव होता है। ऐसे में छत गिरने से कभी भी हादसा हो सकता है। गौरतलब है करीब तीन माह पूर्व बारिश के दौरान छतों से पानी रिसाव होने से चौकी कमरे में पड़ी कुछ आवश्यक फाइलें भी भीग चुकी थीं।
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