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5 दिसंबर आते ही हरे हो जाते हैं टोहाना गोलीकांड के घाव

5 दिसंबर 1991 का वह काला दिन टोहाना क्षेत्रवासी भूल नहीं पा रहे ह

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Dec 2018 10:56 PM (IST)Updated: Tue, 04 Dec 2018 10:56 PM (IST)
5 दिसंबर आते ही हरे हो जाते हैं टोहाना गोलीकांड के घाव
5 दिसंबर आते ही हरे हो जाते हैं टोहाना गोलीकांड के घाव

सतभूषण गोयल, टोहाना :

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5 दिसंबर 1991 का वह काला दिन टोहाना क्षेत्रवासी भूल नहीं पा रहे है। उस दिन आतंकवादियों ने शहर में सरे बाजार अंधाधुंध गोलियों की

बौछारे कर 27 बेकसूर लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।

भले ही इस आतंकवादी घटना को बीते 27 वर्ष हो चुके है लेकिन उस गोलीकांड को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। इस आतंकवादी घटना ने न केवल कई महिलाओं को विधवा बना दिया था, जबकि कई बच्चे अनाथ हो गए तो कई परिवारों के चिराग तक बुझ गए थे।

इस गोलीकांड के प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यदि दुकानदारों एवं सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने उस समय तत्परता ना दिखाई होती तो इस आतंकवादी घटना में मृतकों

की संख्या 27 से कहीं और ज्यादा भी हो सकती थी।

उल्लेखनीय है कि इस जघन्य कांड के समय शहर की प्रमुख समाजसेवी संस्था मानव सेवा संगम के सदस्य फरिश्ता बनकर घटनास्थल पर पहुंचे। वहीं उन्होंने न केवल घायलों को तुरंत एंबुलेंस व अन्य वाहनों की सहायता से अस्पताल में लेकर गए, वहीं उन्होंने घायलों को रक्त देकर उनकी जान बचाने का काम भी किया। जबकि इस हादसे के बाद उन्होंने मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता के रूप में मदद करवाने में भी अपनी अहम भूमिका अदा की थी। मौजूदा समय में भले ही आज क्षेत्र में शांति का माहौल व्याप्त है लेकिन फिर भी 5 दिसंबर 1991 के दिन हुई यह आतंकवादी घटना आज भी याद है।

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टोहाना में 5 दिसंबर को आतंकवादियों द्वारा बेकसूर लोगों पर गोलियां चलाकर ¨हसा का जो तांडव किया वह घोर ¨नदनीय था। कोई भी धर्म या सम्प्रदाय हमें बेगुनाहों

का रक्त बहाने की शिक्षा नहीं देता। आज हमें टोहाना गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए यह संकल्प लेना चाहिये कि हम आतंकवाद का डटकर विरोध करते हुए आपसी भाईचारा बनाये रखने में अपनी भूमिका अदा करें।

- डा. शिव सचदेवा, समाजसेवी टोहाना।

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27 वर्ष पुरानी इस आतंकवादी घटना का दिन पांच दिसंबर का नाम सुनते ही उनकी आंखे नम हो उठती है। क्योंकि इस मंजर को उसने अपनी स्वयं की आंखों से देखा था। जब अनेकों लोग आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होकर जमीन पर कराह रहे थे। आज के दिन हम उन्हें श्रद्धांजलि के सिवाए और क्या दे सकते हैं।

- सतपाल नन्हेड़ी, पूर्व प्रधान, मानव सेवा संगम, टोहाना।

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टोहाना की आतंकवादी घटना को 27 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी उस घटना की टीस टोहाना क्षेत्र वासियों के अंदर है। उन्होंने मृतकों के प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए लोगों को आपसी भाईचारे की भावना को बनाए रखने का आह्वान किया।

-रमेश गोयल, संरक्षक हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल, टोहाना।

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5 दिसंबर 1991 को आतंकवादियों द्वारा शहर की मुख्य नेहरू मार्केट में 27 बेकसूर लोगों को गोलियों का शिकार बनाकर ¨हसा का जो तांडव किया वह घोर ¨नदनीय था। कोई भी धर्म हमें बेगुनाहों का खून बहाने की शिक्षा नहीं देता। इसलिए हमें आज टोहाना गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए यह संकल्प लेना चाहिये कि हम आतंकवाद का डटकर विरोध करें।

- अशोक मेहता, प्रधान पंचनद स्मारक ट्रस्ट, टोहाना।


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