जिले की 9 पीएचसी में नहीं एक भी डाक्टर, वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सेवाएं
विनोद कुमार फतेहाबाद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल कैसा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाय
विनोद कुमार, फतेहाबाद:
जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल कैसा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले के 29 अस्पतालों में 145 मेडिकल अधिकारियों के पदों में से केवल 49 ही डाक्टरों ने ज्वाइन किया है। ऐसे में 96 पोस्ट मेडिकल अधिकारियों की खाली पड़ी है। यह वह अधिकारी है जिसके बिना अस्पताल चल ही नहीं सकता। आंकड़ों पर गौर करेंगे तो जिले में सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं कैसी है इसका पता अपने आप ही पता चल जाएगा। डाक्टर यहां पर न आने का मुख्य कारण रहने के लिए कोई व्यवस्था ना होना बताया जा रहा है। इसके अलावा जिला छोटा होने के कारण हर कोई डाक्टर आना भी नहीं चाहता है। ऐसे में अगर डाक्टर नहीं आएगा तो गांवों में खोले गए अस्पताल खंडहर बन जाएंगे।
फतेहाबाद जिला बने हुए 23 साल हो चुके हैं। संभावनाओं के सहारे साल दर साल बीतते गए। लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ। हालात यहां खराब हैं कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बुखार तक की दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यहां से हर सातवें मरीज को प्राथमिक उपचार के बाद अग्रोहा मेडिकल रेफर कर दिया जाता है। जिला अस्पताल में सभी के लिए अल्ट्रासाउंड की सुविधा तक शुरू नहीं हुई है। केवल गर्भवती महिलाओं का ही अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है। जिला को करीब 145 से ज्यादा डाक्टरों की जरूरत है। लेकिन मौजूदा हालात यह है कि 49 ही डॉक्टर हैं। जिले की 9 पीएचसी में एक भी डॉक्टर नहीं है। जिला अस्पताल में 42 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन इस समय 17 डाक्टर ही सेवाएं दे रहे हैं। ओपीडी के चिकित्सकों से इमरजेंसी की सेवाएं ली जा रही हैं। जिससे ओपीडी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। ओपीडी डाक्टरों की शाम व रात को ड्यूटी लगाई जा रही है।
-------------------------
अस्पताल बने, लेकिन नहीं पहुंचे डाक्टर
सरकार ने करोड़ों रुपये की लागत से स्वास्थ्य केंद्रों भवन तैयार कर दिए। उनका शुभारंभ भी कर दिया और स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोस्ट भी जारी कर दी गई। लेकिन एक भी मेडिकल ऑफिसर कई अस्पतालों में नहीं है। अन्य पोस्ट पर डाक्टर आना तो दूर की बात। कई डाक्टरों से बात की तो उनका एक ही मत है कि टोहाना, रतिया, भट्टूकलां व भूना में डाक्टर इसलिए नहीं जा रहे है कि वहां पर रहने के लिए जगह तक नहीं है। डाक्टर को अस्पताल के पास ही जगह चाहिए। लेकिन वो मिल नहीं रही। ऐसे में हर साल डाक्टर आते है लेकिन वो बाद में यहां से छुट्टी लेकर चले जाते है जो बाद में लौटकर कभी नहीं आते।
-----------------------------------
जानिए जिले में मेडिकल ऑफिसरों की स्थिति
अस्पताल पोस्ट नियुक्ति खाली
नागरिक अस्पताल फतेहाबाद 42 17 25
पालीक्लीनिक हुडा सेक्टर 2 1 1
नागरिक अस्पताल, टोहाना 13 6 7
नागरिक अस्पताल, रतिया 13 1 11
पीएचसी, हिजरावां कलां 2 0 2
पीएचसी, नागपुर 2 1 1
पीएचसी, महमड़ा 2 0 2
पीएचसी, अहरवां 2 1 1
पीएचसी, भिरडाना 2 1 1
पीएचसी, हंसागा 2 0 2
सीएचसी, भूथनकलां 7 0 7
सीएचसी, भट्टूकलां 7 2 7
पीएचसी, पीलीमंदोरी 2 1 1
पीएचसी, बनगांव 2 2 0
पीएचसी, खेरातीखेड़ा 2 2 0
पीएचसी, खाबड़ाकलां 2 0 2
सीएचसी, बड़ोपल 7 1 6
पीएचसी, बीघड़ 2 0 2
सीएचसी, जाखल 7 4 3
पीएचसी, मामूपुर 2 1 1
पीएचसी, समैन 2 0 2
पीएचसी, इंदाछुई 2 0 2
पीएचसी, कुलां 2 2 0
पीएचसी, म्योंदकलां 2 0 2
सीएचसी, भूना 7 1 6
पीएचसी, पिरथला 2 2 0
पीएचसी, झलनियां 2 1 1
पीएचसी, एमपी रोही 2 1 1
पीएचसी,नहला 2 0 2
कुल 145 49 96
--------------------------------------------------
इमरजेंसी में सिर्फ प्राथमिक चिकित्सा, फिर रेफर
हर साल उम्मीद जगती है कि स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी होगी। यहां तक कि इमरजेंसी में सुविधा मिलेगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। जिला लेवल पर ट्रामा सेंटर तक नहीं है। जबकि जिला अस्पताल नेशनल हाईवे पर है। इमरजेंसी में सिर की चोट का कोई इलाज नहीं मिलता है। यहां तक कि इमरजेंसी में आर्थो का डॉक्टर तक नहीं पहुंचता है। यहां पर आने वाले हर चौथे व पांचवे इमरजेंसी केस को अग्रोहा रेफर कर दिया जाता है।
----------------------------------
मैं अपनी तरफ से कई बार उच्चाधिकारियों को लिख चुका है। हर साल डाक्टर भी मिलते है। लेकिन वो हमारे जिले में रहना नहीं चाहते। कुछ छोटा जिला होने के कारण यहां पर स्कॉप भी नहीं है। वहीं रहने की भी दिक्कत आती है। एक बार फिर वे डाक्टरों को लेकर अपनी रिपोर्ट भेजेंगे। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में हमें नए डाक्टर भी मिल जाएंगे।
डा. मनीष बंसल,
सिविल सर्जन, फतेहाबाद।