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अनदेखी : जाखल रेलवे हेड पर मेडिकल की नहीं सुविधा, मजदूर हो रहे दमा रोगी

जाखल जंक्शन अंग्रेजों के जमाने का है। यहां पर सवारियां से ज्यादा माल ढुलाई का कार्य अधिक किया जाता है। यहां पर काम करने वाले मजदूरों को मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी रेलवे विभाग की होती है। लेकिन रेलवे विभाग ठेकेदार को टेंडर देखकर एक साइड हो जाता है। लेकिन उसके बाद अधिकारी निगरानी तक नहीं करते है कि यहां पर मजदूरों को सुविधाएं मिल रही है या नहीं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 07:25 AM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 07:25 AM (IST)
अनदेखी : जाखल रेलवे हेड पर मेडिकल की नहीं सुविधा, मजदूर हो रहे दमा रोगी
अनदेखी : जाखल रेलवे हेड पर मेडिकल की नहीं सुविधा, मजदूर हो रहे दमा रोगी

संवाद सूत्र, जाखल :

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जाखल जंक्शन अंग्रेजों के जमाने का है। यहां पर सवारियां से ज्यादा माल ढुलाई का कार्य अधिक किया जाता है। यहां पर काम करने वाले मजदूरों को मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी भी रेलवे विभाग की होती है। लेकिन रेलवे विभाग ठेकेदार को टेंडर देखकर एक साइड हो जाता है। लेकिन उसके बाद अधिकारी निगरानी तक नहीं करते है कि यहां पर मजदूरों को सुविधाएं मिल रही है या नहीं।

कोरोना संकट चल रहा है। लेकिन यहां पर अब मजदूर गेहूं की बोरियों का लोडिग व अनलोडिग कर रहे है। ऐसे में संक्रमण का डर भी बना हुआ हैं। लेकिन यहां के ठेकेदार द्वारा इन मजदूरों को ना तो मास्क उपलब्ध करवाया जा रहा है और ना ही सैनिटाइजर। ऐसे में मजदूर एक दूसरे के संपर्क में आ रहे है। सबसे बड़ी बात ये है कि यहां पर दिनभर धूल उड़ रही है। ऐसे में संक्रमण तेजी से बढ़ने की संभावना भी बनी है। इस रेलवे पर करीब 237 मजदूर काम कर रहे हैं लेकिन इन का चेकअप तक नहीं हुआ है। ऐसे में मजदूरों में रोष भी है कि यहां पर एक भी डाक्टर की व्यवस्था तक नहीं की गई। रेलवे जंक्शन होने के कारण यहां पर एक एंबुलेंस व कम से कम डाक्टर की व्यवस्था होनी चाहिए।

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ये बोले मजदूर

जाखल जंक्शन काम करने वाले चानन सिंह, तरसेम सिंह, सुखविदर, अजमेर, भोला सिंह, राकेश कुमार, बनवारी देसराज, भीमसेन आदि ने बताया कि वे इस स्थान पर 223 मजदूर काम करते हैं। लेकिन यहां पर मेडिकल सुविधा जैसी कोई बात नहीं है। नियम के अनुसार इस स्थान पर एंबुलेंस व एक डाक्टर की व्यवस्था होनी चाहिए। इस समय कोरोना संक्रमण भी चल रहा है। लेकिन ना तो यहां पर मास्क उपलब्ध करवाया जा रहा है और ना ही सैनिटाइजर दिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि यहां पर सैनिटाइजर का छिड़काव तक नहीं किया है। अगर कोई बीमार हो गया तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। मजदूरों ने कहा कि सड़क पर मिट्टी उड़ रही है। यह धूलकण शरीर में प्रवेश कर रहे है। ऐसे में यहां पर काम करने वाले अधिकतर मजदूर दमा से परेशान हैं। लेकिन यहां पर तैनात रेलवे अधिकारी ना तो कोई निगरानी कर रहे है और ना ही जिम्मेदार ठेकेदार। रेलवे पर काम करने वाले मजदूरों का चेकअप होना चाहिए। लेकिन आज तक यह व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे अब उन्हें डर लगने लग गया है कि कहीं वो बीमार हो गए तो उनका इलाज करवाने वाला कौन होगा।

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लोडिग का ठेका दिया हुआ है। जब ठेका दिया जाता है तो मजदूरों व कर्मचारियों को बीमारी से बचाव के सभी उपकरण देने के आदेश भी होते है। लेकिन अगर ऐसा है तो ठेकेदार पर कार्रवाई की जाएगी। कोरोना महामारी के दौरान मास्क व सैनिटाइजर की व्यवस्था करवानी जरूरी है। इस मामले की जांच की जाएगी।

मोहनलाल इंस्पेक्टर रेलवे हेड माल लोडिग जाखल।


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