दिव्यांग व जरूरतमंद बेटियों के उत्थान के लिए आशा की किरण बनीं नेहा
संवाद सहयोगी टोहाना भागदौड़ भरी जिदगी में लोगों के पास अपने परिवार को समय देने के

संवाद सहयोगी, टोहाना :
भागदौड़ भरी जिदगी में लोगों के पास अपने परिवार को समय देने के लिए समय नहीं है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो परिवार के साथ दूसरे लोगों को भी साथ लेकर चलते हैं। टोहानी की नेहा वर्मा ऐसी ही शख्सियत हैं।। टोहाना के शास्त्री नगर की रहने वाली नेहा वर्मा दिव्यांग व जरूरतमंद बेटियों के उत्थान के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। पिछले दो वर्षो से संगम मंदबुद्धि बाल केंद्र में दिव्यांग बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा प्रदान कर रही है। वहीं उन्होंने पिछले दो माह पहले अपूर्वा फाउंडेशन नामक संस्था का गठन कर दिव्यांग व जरूरतमंद बेटियों के उत्थान में जुटी हैं।
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दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षित करने का किया कोर्स
नेहा वर्मा टोहाना के शास्त्री नगर निवासी ज्वेलर्स दर्शन लाल वर्मा की पुत्रवधु व नीनू वर्मा की धर्मपत्नी है। वह मध्यप्रदेश के जबलपुर की निवासी हैं। उसने जबलपुर व भोपाल में एक मदर टीचर के तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान की थीं। उन्होंने दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षित करने का कोर्स किया। आज वह टोहाना में रहते हुए दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षित करने के लिए जहां संगम मंदबुद्धि बाल केंद्र में स्पेशल एजुकेटर के तौर पर निश्शुल्क सेवाएं प्रदान कर रही हैं।
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बचपन से ही विशेष बच्चों से रहा लगाव
नेहा वर्मा का बचपन से ही विशेष बच्चों के साथ लगाव रहा है। क्योंकि उनके परिवार में भी एक ऐसा विशेष बच्चा है जिसको लेकर वे अन्य बच्चों के अभिभावकों के दुख-दर्द को भलीभांति जान सकती है। उन्होंने समाज में यह देखा है कि दिव्यांग बेटियां घर में ही कैद होकर रह जाती हैं और परिवार के सदस्य भी ऐसी बेटियों को भय के मारे स्कूलों में नहीं भेज पाते। ऐसे में उनके मन में एक विचार आया और अपूर्वा फाउंडेशन का गठन किया, ताकि दिव्यांग बेटियां सुरक्षित रहकर अपने उत्थान के लिए आगे बढ़ सके व दिव्यांग बेटियां खुद को सुरक्षित महसूस करते हुए शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। उन्हें किसी के सहारे की जरूरत ना अनुभव हो।
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इन बच्चों को अधिकार दिलाना मकसद : नेहा
नेहा वर्मा का कहना है कि ऐसी विशेष बेटियों को लेकर अभिभावक परेशान रहते हैं क्योंकि वह बोल नहीं पाती, चल नहीं पाती। अभिभावक ऐसे बच्चों को भय के चलते स्कूल भी नहीं भेज पाते। अपूर्वा संगठन के बनाने के बाद अब ऐसे बच्चों के जीवन में सुधार हो रहा है। उन्होंने बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा सहित योगा, कराटे, डांस, आर्ट एंड क्राफ्ट, बॉक्सिग, म्यूजिक आदि गतिविधियां करवाना शुरू कर दिया है, ताकि उनका शारीरिक व मानसिक विकास हो सके। परिवार, समाज व भगवान का भी पूर्ण सहयोग मिला है। फिलहाल 12 दिव्यांग व 10 जरूरतमंद बेटियां हैं। जिसमें दो ऐसी दिव्यांग बेटियां भी शिक्षिका के रूप में सेवाएं देकर संगठन का पूर्ण सहयोग कर रही हैं।

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