विधायक कोई भी बने शिक्षा के क्षेत्र में हो सुधार : दहिया
जागरण संवाददाता फतेहाबाद मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं वैसे ही सियासी पा
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
मतदान की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही हैं वैसे ही सियासी पारा भी बढ़ रहा है। चुनावों में अध्यापकों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। बुद्धिजीवी के तौर पर अध्यापक समाज को नई दिशा व दशा देते हैं। ऐसे में शिक्षकों की नजर में सरकार व विधायक कैसा होना चाहिए इसको लेकर दैनिक जागरण ने राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा के राज्य मुख्य सलाहकार देवेंद्र दहिया से बात की।
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जागरण : आपका संघ किस पार्टी का समर्थन करेगा ?
देवेंद्र दहिया : प्राथमिक शिक्षक संघ हरियाणा कभी किसी पार्टी का समर्थन नहीं करता। पहले भी कभी ऐसा नहीं हुआ। हमारा संगठन गैर राजनीतिक है। ये अवश्य है कि संगठन के सदस्य सौ फीसद मतदान करवाने के लिए हर बार अभियान अवश्य चलाते है। इस बार भी चला रहे हैं।
सवाल : आपकी नजर से नेता कैसा होना चाहिए ?
उत्तर : नेता ऐसा होना चाहिए जो क्षेत्र का विकास करवाए। चुनाव के दिनों में हर नेता अनेक वादे करता हैं। लेकिन बाद में उसे भूल जाता है। इस बार हमें देखना होगा कि जो नेता वादा कर रहा है उसका इतिहास कैसा है। अगर सब लोग यह देखकर मतदान करेंगे तो एक अच्छे नेता का चुनाव होगा। जिससे क्षेत्र का विकास होगा।
सवाल : आपकी नजर में मुख्य मुद्दा क्या होना चाहिए ?
उत्तर : लंबे समय से शिक्षा के क्षेत्र में काम नहीं हुआ। सरकार अध्यापकों को लाखों रुपये वेतन तो देती है, लेकिन स्कूलों में व्यवस्था बनाने के लिए बजट नहीं है। कई स्कूल तो ऐसे है जहां पर कई वर्षो से रंग-रोंगन भी नहीं होता। सरकारी स्कूल खुली जगह में होने के बाद भी सरकार सही से व्यवस्था नहीं बना पा रही है। ऐसे में मेरी मांग है कि सरकार ढांचागत सुविधाओं के विकास की तरफ ध्यान दे।
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सवाल : सरकार शिक्षा सुधार के लिए सबसे पहले क्या प्रयास करें?
उत्तर : सरकार शिक्षा के लिए सबसे पहले पांचवीं व आठवीं की परीक्षा शुरू करें। पाठ्यक्रम ऐसा हो की विद्यार्थी शिक्षा लेकर साक्षर ही न बने, वह शिक्षित व विद्वान भी बने। सरकार निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही है। शिक्षा मंत्री हो या बड़े अधिकारी की ड्यूटी लगाई जाए कि सप्ताह में पांच से दस स्कूलों में निरीक्षण करने जाएंगे। सबसे खास बात राजनेताओं व अधिकारियों के बच्चे भी सरकारी स्कूल में पढ़ें।
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सवाल : आपकी यूनियन ने शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए क्या प्रयास किया ?
उतर : अप्रैल के पहले सप्ताह में सरकारी स्कूलों के अवकाश हो जाते थे। इसका हमारी यूनियन ने विरोध किया। अब अप्रैल में 7 दिनों का अवकाश नहीं होता। हमारी तो मांग है कि अवकाश घोषित करने की बजाय महापुरुषों की जयंती स्कूलों में ही मनाई जाए।