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सोलर सिस्टम पर लाखों खर्च, घाटे का सौदा रहा प्रोजेक्ट

प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद: सरकार कहती है कि लोग सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करें। इससे बिजली

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Dec 2017 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 25 Dec 2017 03:00 AM (IST)
सोलर सिस्टम पर लाखों खर्च, घाटे का सौदा रहा प्रोजेक्ट
सोलर सिस्टम पर लाखों खर्च, घाटे का सौदा रहा प्रोजेक्ट

प्रदीप जांगड़ा, फतेहाबाद: सरकार कहती है कि लोग सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करें। इससे बिजली का खर्चा कम किया जा सकता है। लेकिन यही सरकारी प्रयोग नगर परिषद कार्यालय में फेल साबित हुआ है। सौर ऊर्जा विभाग ने नगर परिषद कार्यालय में करीब 10 लाख रुपये खर्च कर सोलर सिस्टम लगाया था। इसमें से कुछ राशि नगर परिषद ने जमा करवाई थी। जितनी राशि खर्च हुई है, उसकी तुलना में एक पैसे का भी फायदा नगर परिषद को नहीं हुआ है। करीब छह माह तक सिस्टम ठीक चला था। इसके बाद सिस्टम में आग लगी थी। आग लगने के बाद मैकेनिक भी इसे ठीक नहीं कर पाए। फिलहाल लाखों रुपये ही सोलर प्लेट व बैटरियां लगभग दस माह से बेकार पड़ी हैं। नगर परिषद में दो दर्जन से ज्यादा कंप्यूटर चलते हैं। इसके अलावा पंखे, कूलर व एसी चलते हैं। इन तमाम संसाधनों का बिल उसी तरीके से भरना पड़ रहा है, जैसे पहले भरते थे। जबकि सौर ऊर्जा विभाग दावा करता है कि भविष्य में ऐसे ही प्रोजेक्ट घर घर पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। मगर सवाल यही है कि जब सरकारी विभागों में ही ऐसे प्रोजेक्ट फेल हो रहे हैं तो आम लोग कैसे देखरेख कर पाएंगे।

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--12 लाख रुपये हर माह बिल

नगर परिषद प्रशासन हर माह 12 लाख रुपये बिजली बिल अदा कर रहा है। इसमें से लगभग एक लाख रुपये बिजली बिल सिर्फ नगर परिषद कार्यालय का ही होता है। नगर परिषद कार्यालय में कंप्यूटर सिस्टम, पंखे, कूलर, एसी आदि चलते हैं। इसी खपत को कम करने के लिए सोलर सिस्टम लगाए थे। दावा था कि इसके बाद नगर परिषद कार्यालय को निगम से बिजली नहीं लेनी पड़ेगी।

--आंकड़ों में प्रोजेक्ट

-10 लाख रुपये लागत आई थी।

-1.50 लाख नप ने खर्च किए थे।

-70 फीसद बिल कम आने की उम्मीद थी।

-10 महीने से खराब पड़े उपकरण।

--इससे पहले भी फेल रहे प्रयोग

सरकारी विभागों में सौर ऊर्जा

प्रोजेक्ट लगाकर पहले भी प्रयोग किए गए हैं। पांच साल पहले लोक निर्माण विभाग ने डिवाइडर पर सिग्नल लाइट्स लगवाई थीं। एक पोल के ऊपर लाइट लगी होती थी। उसी पर सोलर प्लेट व एक बैटरी लगी थी। उन सिस्टम की देखरेख नहीं हो पाई। कुछ लोग उखाड़ कर ले गए और कुछ लाइटें खराब हो गईं। इसी तरह जिला परिषद की तरफ से गांवों की गलियों में भी रोशनी व्यवस्था की गई थी। उनमें आटो सिस्टम लगा था। दिन में सूर्य की किरणों से बैटरी चार्ज होती थी और शाम को अंधेरा होती ही लाइट चालू हो जाती थी। वे लाइटें भी यूं ही खराब हो गईं।

--कैसे आगे बढ़ेगी ऐसी योजना

अक्षय ऊर्जा विभाग के माध्यम से ग्रिड कने¨क्टग पावर प्लांट योजना शुरू हुई है। इसमें घरों की छतों पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली पैदा की जाएगी। प्लांट लगाने को सरकार 30 प्रतिशत या कम से कम 20 हजार रुपये प्रति किलोवाट की सब्सिडी भी देगी। सौर ऊर्जा से पैदा की गई बिजली की यूनिटों को वापस बिजली निगम को बेचकर रुपये बचा सकते हैं। बिजली निगम यूनिटों का भुगतान निर्धारित 6 से 7 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से करेगा। योजना में 1 किलोवॉट से 500 किलोवॉट तक प्लांट स्थापित किया जा सकता है। मगर लोग अपने घर पर बिजली कनेक्शन के लोड की क्षमता तक का ही प्लांट स्थापित कर सकते हैं। जैसे किसी ने बिजली निगम से घर के लिए 2 किलोवाट का कनेक्शन ले रखा है तो उसे 2 किलोवाट क्षमता का ही प्लांट लगाने की अनुमति मिलेगी। अब सवाल है कि अगर सरकारी दफ्तरों में ऐसी योजनाएं कामयाब नहीं तो लोग क्यों अपनाएंगे।

--नगर परिषद कार्यालय में सौर ऊर्जा विभाग की तरफ से यह सिस्टम लगाया गया था। अब तो कई महीनों से यह सिस्टम खराब पड़ा है। हमने संबंधित विभाग को पत्र भी लिखा था। एक दो बार मैकेनिक चेक भी करके गए थे, लेकिन दोबारा ठीक नहीं हो पाया। इस संदर्भ में संबंधित विभाग से दोबारा बात की जाएगी।

-सुरेश गोयल, एमई, नगर परिषद।


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