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सात दिन तक दुश्मनों के दांत खट्टे करने के बाद शहीद हुए मनोहर

ढाणी डूल्ट के वीर सिपाही मनोहर लाल ने कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। वे लगातार सात दिन तक मोर्चेे पर डटे रहे।

By Test1 Test1Edited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 12:48 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 01:21 PM (IST)
सात दिन तक दुश्मनों के दांत खट्टे करने के बाद शहीद हुए मनोहर

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। भूना से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित ढाणी डूल्ट के वीर सिपाही मनोहर लाल ने कारगिल युद्ध में जिले के पहले शहीद का गौरव हासिल किया था। हालांकि जिले से चार नौजवान देश की सेवा करते हुए शहीद हुए थे।

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रामेश्वर लाल मावलिया के घर 1 जनवरी 1976 को जन्मे मनोहर लाल ने 19 वर्ष आयु में सेना ज्वाइन कर ली थी। सेना की 18 ग्रिनेडियर बटालियन में देश की सेवा करते हुए पढ़ाई जारी रखी। सेना में अधिकारी बनने के लिए जरूरी टेस्ट पास कर लिया था। मगर लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति से पहले ही कारगिल युद्ध शुरू हो गया।

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उस दौरान मनोहर लाल की ड्यूटी कश्मीर में थी। जंग की शुरुआत के साथ ही मनोहर लाल की तैनाती कश्मीर के तोलोङ्क्षलग में की गई। वहां पर उन्होंने लगातार सात दिनों तक दुश्मनों से लोहा लिया और दुश्मनों को पीछे हटने पर मजबूर किया। लगातार सात दिनों तक युद्ध के दौरान उन्होंने कई दुश्मनों को मार गिराया। पाकिस्तान के बंकर तबाह कर दिए।

13 जून 1999 को दुश्मनों के साथ आर-पार की लड़ाई चल रही थी। भारतीय सैनिक लगातार आगे बढ़ रहे थे। तभी सामने से दुश्मनों की एक गोली मनोहर को लगी। उसके बाद भी मनोहर लाल दुश्मनों से लगातार मुकाबला करते रहे। उसी दिन शाम को युद्ध करते हुए मनोहर लाल देश के लिए अपनी जान

न्योछावर कर दी।

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गांव ढाणी डूल्ट के सरपंच जयसिंह फौजी का कहना है कि वो उनके साथ ही फौज में थे। मनोहर लाल जन्म से ही होनहार थे। 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही फौज में भर्ती हुए। मनोहर लाल द्वारा देश की रक्षा करते शहीद होने पर ग्रामीण व प्रशासन द्वारा गांव में बने राजकीय उच्च विद्यालय का नामकरण भी शहीद मनोहर लाल के नाम पर कर दिया। बेशक मनोहर लाल का परिवार अब शहर में रहने लगा है, लेकिन उसके परिवार का मान सम्मान आज भी गांव के लोग ही नहीं आसपास के गांवों के लोग करते है।

अटल सरकार ने भी निभाया वादा

तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने कारगिल के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों को पूरा मान सम्मान दिया। सरकार ने शहीद परिवार को गैस एजेंसी देने के साथ शहीद मनोहर लाल के छोटे भाई को सरकारी नौकरी भी दी। उनके छोटे भाई राजेश मावलिया का कहना है कि उनका भाई सेना में नौकरी लगने के बाद उसे हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया। परिवार वाले भाई मनोहर की उसी साल दिसंबर में शादी करने का प्लान बना लिया था।

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