गीता महोत्सव में ज्ञान के साथ कर्तव्यों का पालन करना भी सीखकर जाएं : रणजीत सिंह
जागरण संवाददाता फतेहाबाद पिछले तीन दिनों से एमएम कालेज में आयोजित गीता जयंती महोत्सव क
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
पिछले तीन दिनों से एमएम कालेज में आयोजित गीता जयंती महोत्सव का रविवार को समापन हो गया। तीन दिनों तक जिले के विभिन्न कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी तो वृंदावन से आई टीम ने रासलीला की। बच्चों ने गीता का संदेश देने वाले कार्यक्रम भी पेश किए। रविवार सुबह हरियाणा के बिजली, जेल एवं ऊर्जा मंत्री चौ. रणजीत सिंह चौटाला मुख्यातिथि पहुंचे। उन्होंने ने कहा कि हम अपने जीवन में श्रीमद्भागवत गीता के उपदेशों को अपनाकर उसे आदर्श बना सकते है। यह तभी संभव होगा जब गीता का उपदेश हर घर तक पहुंचेगा। प्रदेश सरकार द्वारा जिला स्तर पर गीता जयंती महोत्सव मनाने का कदम सराहनीय है। इससे लोगों को भूली हुई संस्कृति की जानकारी मिलेगी जो उन्हें नई राह दिखाएगी। समारोह में विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। बिजली मंत्री ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले स्कूली बच्चों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया। चौ. रणजीत सिंह चौटाला ने कहा कि यदि किसी को गीता का महत्व समझना है कि एक बार कुरुक्षेत्र की भूमि का दर्शन करें तभी जाकर पता चलेगा कि हरियाणा की इस रणभूमि का महत्व क्या है। जहां श्रीकृष्ण ने लोगों गीता का उपदेश देकर धर्म और कर्म की राह बताई। आज विश्व के 15 दिनों में गीता जयंती महोत्सव बनाए जा रहे है जोकि हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
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गीता के श्लोकों का किया वर्णय
डाइट के वाइस प्रिसिपल टेकचंद शर्मा ने भी गीता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गीता तो हम सब पढ़ते है। लेकिन जीवन में अपनाते नहीं है। अगर इंसान गीता का कुछ इंसान ही गीता के उपदेश को अपना ले तो उसका जीवन संवर सकता है। इस दौरान उन्होंने पूरे दिन मंच संचालन भी किया। इस अवसर पर प्रो. आरके शर्मा ने गीता महत्व बारे विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा राज नहीं होना चाहिए जिसकी नींव अपनों की लाशों पर हो। लेकिन धर्म और कर्म दो अलग-अलग रास्ते है जिसमें भावना का सम्मान जरूरी है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने हर कदम समाज को शिक्षा देकर नई राह दिखाने का काम किया है। इसी तरह श्रीमद भगवत गीता भी हमें शक्ति देती है। विद्वान पंडित राकेश शर्मा ने कहा कि गीता भगवान की वाणी है। इसके पाठ करने से लोक और परलोक दोनों सुधरते है। इसलिए गीता पाठ के लिए दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए। इससे जीवन आनंदमय बन जाता है।
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ये दीं प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में वृंदावन से आए कलाकारों ने महाभारत पर नाटक प्रस्तुत किए। समारोह में 5 साल की पल्लवी शर्मा ने जय श्यामा तू है नंदलाला भजन प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। जवाहर नवोदय विद्यालय खाराखेड़ी के विद्यार्थियों ने श्रीकृष्ण लीला पर नाटिका, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भूना, अपैक्स कॉन्वेंट स्कूल, शेखुपुर दड़ौलीके सरकारी स्कूल आदि ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। प्रतिभागी विद्यार्थियों को मुख्यातिथि ने स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। इस अवसर पर डीईओ दयानंद सिहाग, एलडीएम अनिल मीणा, जिला परिषद के चेयरमैन राजेश कस्वां एडवोकेट संत कुमार टूटेजा, भाजपा नेता मनीष मैहता, नरेश सरदाना, रम्मी गिल्होत्रा, रामराज मैहता, यश तनेजा, शिव कुमार, अवतार मोंगा, महेश शर्मा मौजूद रहे।
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शहर में निकाली शोभायात्रा
जिला स्तरीय गीता महोत्सव के तीसरे दिन शहर में गीता ग्रंथ की भव्य शोभा यात्रा धूमधाम से निकाली गई। बिजली, जेल एवं ऊर्जा मंत्री चौ. रणजीत सिंह ने एमएम कॉलेज से झंडी दिखाकर शोभा यात्रा को रवाना किया। स्थानीय एमएम कॉलेज से दोपहर सवा 2 बजे बजे गीता ग्रंथ की शोभा यात्रा को रवाना किया और स्वयं अधिकारियों व सामाजिक, धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा यात्रा की अगुवाई की गई। मॉडल टाऊन के रास्ते पपीहा पार्क से जीटी रोड से होते हुए पालकी यात्रा लाल बत्ती पहुंची। वहां से पालकी यात्रा फव्वारा चौक, पार्किग, थाना रोड, जवाहर चौक व शिव चौक, दुर्गामंदिर होते हुए एमएम कालेज पहुंची। शहरवासियों ने जगह-जगह शोभा यात्रा का स्वागत किया और जलपान करवाया। रथ यात्रा में सबसे आगे जीयो गीता के वाहन में सवार उद्घोषक टीम शहरवासियों को यात्रा के आगमन की जानकारी देती चल रही थी। इसके पीछे ट्रैक्टर-ट्राली में चल रही ढोल नगाड़ा पार्टी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही थी। इस जत्थे के पीछे गीता ग्रंथ विराजित सजा-धजा रथ धीमी गति से चल रहा था।
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स्टॉल पर नहीं दिखी भीड़
गीता महोत्सव के पहले दिन को छोड़ दिया जाए तो अन्य दो दिनों तक स्टॉल खाली नजर आए। दूसरे व तीसरे दिन तो स्कूल बच्चे ही नजर आए। इस महोत्सव में लोगों के ना आने का मुख्य कारण गीता महोत्सव का प्रचार ना करना है। ग्रामीण क्षेत्रों को पता तक नहीं है कि यह महोत्सव कहां हो रहा है। अगर जिला प्रशासन गीता महोत्सव का प्रचार करता तो लोगों की दिलचस्पी भी अधिक होती।