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तालाबों की नहीं हो रही देख-रेख, जल शक्ति मिशन अधूरा

पिछले तीन-चार दिनों से हुई बारिश ने गांवों में जलजमाव हो गया है। गांव की गलियों में पानी निकासी नहीं हो रही। गांव के लोग पानी निकासी की प्रशासन से मांग करने के साथ तालाब से कब्जे छुड़वाने की भी मांग कर रहे हैं। जिला का ऐसा गांव नहीं है जिसके तालाब पर किसी ने कब्जा न किया हुआ है। तालाब पर कब्जे के चलते जिले के सबसे बड़े गांवों में से एक गोरखपुर व भिरड़ाना में पिछले दो दिनों से गलियों में पानी

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 07:00 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 07:00 AM (IST)
तालाबों की नहीं हो रही देख-रेख, जल शक्ति मिशन अधूरा
तालाबों की नहीं हो रही देख-रेख, जल शक्ति मिशन अधूरा

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :

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पिछले तीन-चार दिनों से हुई बारिश ने गांवों में जलजमाव हो गया है। गांव की गलियों में पानी निकासी नहीं हो रही। गांव के लोग पानी निकासी की प्रशासन से मांग करने के साथ तालाब से कब्जे छुड़वाने की भी मांग कर रहे हैं। जिला का ऐसा गांव नहीं है जिसके तालाब पर किसी ने कब्जा न किया हुआ है। तालाब पर कब्जे के चलते जिले के सबसे बड़े गांवों में से एक गोरखपुर व भिरड़ाना में पिछले दो दिनों से गलियों में पानी पूरा भर गया। लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया।

वहीं अधिकारियों का कहना है कि उनके पास कब्जा होने की शिकायत भी नहीं आ रही। ऐसे में वे कार्रवाई तभी करेंगे। जब उनके पास शिकायत आएगी। अधिकारी तो सरकार के आदेशानुसार कार्रवाई करते हैं। सरकार एक तरफ तो जल संरक्षण के लिए अभियान चला रही है। परंतु उनकी नीति में कहीं पर भी तालाब नहीं है। तभी तो जिला प्रशासन के पास 15 से अधिक गांवों में तालाब पर कब्जे की शिकायत अभी भी लंबित हैं। अधिकारी राजनीतिक शह पर शिकायत को दबा देते है। जिन पर कभी कार्रवाई नहीं होती। गांव बड़ोपल, खाराखेड़ी, कुलां, धारसूल उनमें प्रमुख है।

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फाइव पौंड सिस्टम के नाम पर 40 गांव में खर्च हुए 12 करोड़ रुपये :

प्रदेश सरकार ने जिले के करीब 40 गांवों में 2017 में फाइव पौंड सिस्टम से तालाब बनाए। ये तालाब में ही मिट्टी भरकर बनाए गए थे। सरकार ने इनका प्रदेश स्तर पर टेंडर जारी किया। प्रत्येक गांव में बनने फाइव पौंड सिस्टम के तालाब पर 30 से 35 लाख रुपये खर्च हुए। ऐसे में जिले में करीब 12 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन किसी भी गांव में फाइव पौंड सिस्टम कारगर साबित नहीं हुए। उस दौरान सरकार का दावा था कि ये इसके बाद गांवों में कूड़ा निस्तारण प्लांट भी बनेंगे। लेकिन ऐसा नहीं होगा।

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केस :: एक

गोरखपुर में कोर्ट के आदेश पर भी नहीं हटा कब्जा :

गांव गोरखपुर में जोगियांवाली जोहड़ी करीब 7 एकड़ में फैली हुई थी। इस पर कब्जा होने से गांव की एक गरीब बस्ती का पानी निकासी नहीं हो रही। बारिश हुए दो दिन बीत गए। लेकिन जोहड़ी पर कब्जा अब भी बरकरार है। गांव के फकीर चंद ने बताया कि उन्होंने जोहड़ी से कब्जा हटाने के लिए कई बार प्रयास किए। इसको लेकर कोर्ट तक गए। लेकिन अभियान अधिकारियों की वजह से सफल नहीं हो पाया। अब बारिश के मौसम में दो महीने तक परेशानी होती है। वहीं गांव की नालियों का पानी भी सही से नहीं निकलता।

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केस :: दो

गांव भिरड़ाना बड़ा गांव है। करीब 10 हजार के करीब वोट है। लेकिन गांव में लगातार कब्जा बढ़ता जा रहा है। कब्जा हटाने को लेकर गांव के लोगों ने कई बार शिकायत दी। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीण पवन, सुंदर व विकास ने बताया कि गांव में प्रति मरला एक लाख रुपये से अधिक है। ऐसे में लोग तालाब पर कब्जा करते हुए आलीशान मकान बना लेते है। बाद में अधिकारी उन पर कार्रवाई नहीं करते। अब तालाब पर कब्जा होने से पानी निकासी की बड़ी परेशानी आ रही है।

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इन गांवों में बने थे पाइव पौंड सिस्टम :

फाइव पौंड सिस्टम के तहत जिले के 40 गांवों का चयन किया गया था। जिसमें गांव बीराबदी, गंदा, खुंडन, मेहूवाला, म्यौंद कला, रहनखेड़ी, सिथला, सुलीखेड़ा, ढेर, टिब्बी, अमानी, बड़ोपल, बनगांव, भट्टू खुर्द, भोड़ा होंसनाक, भोड़ियाखेड़ा, बीसला, चंद्रावल, डांगरा, धांगड़, ढाणी मिखां, दिवान, गाजुवाला, भट्टूकलां, गदली, हांसपुर, इंदोछुई, काजल हेड़ी, कानीखेड़ी, खाराखेड़ी, ललोदा, म्योंदकलां, नुरकीअहली, पारता, माजरा, पूरन माजरा, शहीदावाली, समैण, सिरढ़ान, ठरवी व ठुईया शामिल है।

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मनरेगा पर भी 60 करोड़ खर्च, तालाबों की हालत नहीं सुधरी :

पिछले 5 महीनों में मनरेगा पर 60 करोड़ रुपये खर्च कर दिए है। ये रुपये तालाबों की साफ सफाई पर अधिक खर्च हुए है। लेकिन उसके बाद भी हालत में सुधार नहीं हुआ। मनरेगा के अधिकारियों का कहना है कि इस वित्त वर्ष में 90 करोड़ से अधिक मनरेगा पर रुपये खर्च होंगे।

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