महिलाएं खुद पौष्टिक आहार लेकर स्वस्थ रहें तो पूरा परिवार रहेगा स्वस्थ
आज हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है। खान-पान इतना बदल च
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : आज हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त है। खान-पान इतना बदल चुका है कि व्यक्ति की उम्र कम होती जा रही है। दवाइयों के सहारे चल रहे हैं। हम खुद की सेहत का तो ख्याल रखते ही नहीं है बल्कि बच्चों की सेहत पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। बच्चे पौष्टिक आहार की तरफ कम और फास्ट-फूड की तरफ ज्यादा दौड़ रहे हैं। इसलिए उनमें खून की कमी हो रही है और कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। अगर मनुष्य समय पर खुद पौष्टिक आहार ले और मेहनत करें तथा बच्चों को अच्छा आहार दे तो खुद के साथ-साथ बच्चों को भी तंदुरूस्त रख सकता है।
शुक्रवार को दैनिक जागरण की तरफ से राष्ट्रीय सुपोषण सप्ताह के तहत आयोजित हेलो जागरण कार्यक्रम में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा.सुजाता बंसल ने पाठकों को स्वस्थ रहने के टिप्स बताते हुए जानकारी दी। डॉॅ.सुजाता ने पाठकों से आग्रह किया कि अगर स्वस्थ पोषण लेंगे तो ही देश रोशन हो सकता है।
पाठक लक्की बत्रा : शिशु की देखभाल कैसे करें?
डा.सुजाता बंसल : शिशु को जन्म के बाद मां के साथ ही रखना चाहिए। मां की गर्मी शिशु को मिलनी चाहिए। छह महीने तक शिशु को मां का दूध देना चाहिए। इसके बाद जो भोजन खुद खाएं वैसा ही शिशु को देना चाहिए। शिशु को खाना खाने की आदत डालनी चाहिए। अगर एक साल तक का शिशु पूरी चपाती खाने लगे तो वह कभी कुपोषण का शिकार नहीं हो सकता है। शिशु को कूलर के आगे नहीं सुलाना चाहिए। उसे सामान्य तापमान में रखना चाहिए। इसके अलावा शिशु को आयरन सिरप दें। आमतौर पर धारणा रहती है कि दूध-दही में आयरन होता है ऐसा नहीं है। दूध कैल्शियम ओर प्रोटीन की कमी को पूरा करता है।
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पाठक अनु : ढाई साल का बच्चा साबुन व मिट्टी खाता है।
डा. सुजाता बंसल : साबुन खाना शरीर के लिए खतरनाक है। ये आंतड़ियों को जला देता है। साबुन को बच्चे से दूर रखें। इससे अल्सर व अन्य बीमारियां हो सकती हैं। अगर मिट्टी खाती है तो उसके पीछे आयरन और कैल्शियम की कमी कारण हो सकते हैं। इसलिए बच्चे के खून के टेस्ट जरूर करवाएं। जहां तक आपके नींद ज्यादा आने की बात है आप अपने बीपी को समय-समय पर जरूर चेक करवाएं। रात के समय नींद जरूर पूरी करें।
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पाठक मनु टोहाना : बच्चे को क्या दें जिससे उसकी सेहत बन जाएं।
डा.सुजाता बंसल : शिशु को जन्म के बाद 6 महीने तक मां का दूध देना चाहिए। इसके बाद उसे हल्का-हल्का खाने की आदत डालनी चाहिए। बच्चे को जहां तक हो सके पौष्टिक आहार दें। फास्टफूड से दूर रखें।
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पाठक युवराज : विद्यार्थियों को क्या खाना चाहिए ।
डा.सुजाता बंसल : हर व्यक्ति को वैसे अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए। लेकिन विद्यार्थियों को खासकर अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए। अगर शरीर स्वस्थ नहीं है तो पढ़ाई पर फोकस नहीं कर सकते। इसलिए डाइट चार्ट बनाना चाहिए। प्रोटीन लेना चाहिए और बाजार की बनी चीजों से दूर रहना चाहिए।
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पाठक ¨प्रयका : मुझे दिन में नींद बहुत आती है क्या करना चाहिए।
डा.सुजाता बंसल : स्वस्थ्य व्यक्ति को कम से कम 7 से 8 घंटे नींद लेनी चाहिए। अगर रात को नींद पूरी नहीं होगी तो दिन में काम करने में भी मन नहीं लगेगा। इसके अलावा कई अन्य बीमारियां भी घेर लेंगी। इसलिए नींद जरूर पूरी करनी चाहिए। रात को समय पर सोना चाहिए।
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पाठक मिनाक्षी : महिलाओं को क्या पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
डा.सुजाता बंसल : अगर घर में महिला स्वस्थ है तो पूरा परिवार स्वस्थ है। अगर महिला खुद पौष्टिक आहार नहीं लेगी तो वह परिवार की सेहत की तरफ भी ध्यान नहीं दे सकती है। इसलिए महिला को खुद पौष्टिक आहार लेना चाहिए। सुबह सबसे पहले खुद पौष्टिक आहार लेना चाहिए और नाश्ता हैवी होना चाहिए। दिन में चार से पांच लीटर पानी पीना चाहिए। इसके अलावा रात का भोजन समय पर खाना चाहिए। ताकि वह सोने से पहले पच सके।
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पाठक भूषण गुप्ता : मोटापा ज्यादा है क्या करना चाहिए।
डा.सुजाता बंसल : शरीर में मोटापा कई बीमारियों को घेर लेता है। इसलिए मोटापा पर खास ध्यान रखने की जरूरत है। सुबह और शाम दो से तीन किलोमीटर सैर करनी चाहिए। तेजी से दौड़ना चाहिए। घूमने की आदत धीरे-धीरे डालनी चाहिए और इसे बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
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डा.एनडी शर्मा : क्या धूम्रपान करने वाली माता अपने बच्चे को दूध पिला सकती है, मांसाहार और शाकाहार में से कौन सा आहार मां व बच्चे के लिए पौष्टिक है।
डा. सुजाता बंसल : धूम्रपान व नशा करने वाली मां को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए। इससे नुकसान हो सकता है इसके अलावा मांसाहार और शाकाहार में से मां व बच्चे को शाकाहार भोजन देना चाहिए। बच्चे को पौष्टिक आहार देना चाहिए। हमारे यहां खानपान बदल रहा है। भारत से बाहर हमारी संस्कृति को अपनाया जा रहा है जबकि हम अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं।