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केमिस्ट्री का दौर गुजरा तो अब मैथ्स में उलझे धुरंधर

मणिकांत मयंक फतेहाबाद मतदान के आखिरी पल तक इसे वहां से ले आओ.. उसके आने से यह स

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 12:15 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 12:15 AM (IST)
केमिस्ट्री का दौर गुजरा तो अब मैथ्स में उलझे धुरंधर
केमिस्ट्री का दौर गुजरा तो अब मैथ्स में उलझे धुरंधर

मणिकांत मयंक, फतेहाबाद :

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मतदान के आखिरी पल तक इसे वहां से ले आओ.. उसके आने से यह समीकरण बनेगा ..इन स्टार प्रचारकों के दौरों से उन क्षेत्रों में मतदाताओं पर प्रभाव पड़ेगा। व्यक्तिगत व जातिगत केमिस्ट्री यूं सेट होगी। सोमवार को मतदान होने के साथ ही केमिस्ट्री के इन फार्मूलों का दौर थम गया। अब तो ग्रामीण मतदाता। शहरी मतदाता। शहरी प्लस ग्रामीण। ग्रामीण माइनस शहरी। प्लस बैलेट वोट। प्लस डाक वोट। डिवाइडेड बाइ वर्कर्स। इज इक्वल टू जीत-हार ..। कुछ ऐसे ही गणित के जमा, घाटा, गुना, भाग की उलझनों की बारी आ गई है। विधानसभा चुनाव में उतरे दलों के धुरंधर जीत-हार के गणित में जा उलझे हैं।

बेशक, शारीरिक तौर पर थकान। मगर मानसिक तौर पर गांवों व शहरों में वोट फीसद और उनमें संभावनाओं की गणना ही हो रही है। हर स्तर पर। पार्टियों के कर्णधार-रणनीतिकार जोड़-घटा में जुटे हैं तो विधानसभा में प्रतिनिधित्व के दावेदार गुणा-भाग में। अहम यह कि ग्रामीण अंचल के मतदाताओं की जागृत संवेदनाओं ने अबकी बार प्रत्याशियों के गणित को बिगाड़ा है। उन्हें नए सिरे से मंथन के लिए विवश किया है। मंगलवार को सुबह से शाम तक अपने-अपने कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेते विधानसभा चुनाव के परीक्षार्थी प्रत्याशी व उनके रणनीतिकार कमोबेश शहरी व ग्रामीण इलाकों की उधेड़बुन में ही रहे। ओवरआल परसेंटेज भी माथे पर शिकन दे रही थी। उधर, गांवों की चौपालों व शहर की मंडियों में भी चर्चाओं से फीडबैक जुटाते रहे।

गांव व शहर से इतर, मतों के मैथ्स का अहम पहलू जातीय समीकरण भी रहे। जातीय गणित में जाट व गैरजाट मतदाता और उनकी भागीदारी। अनुसूचित जाति किसके पक्ष में वोट डाल गए। उकलाना में फरसा प्रकरण के बाद ब्राह्मण मतदाताओं का झुकाव किधर गया? ऐसे अनेक जातीय समीकरणों के सवाल मैथ्य की उलझनें बढ़ाते रहे।जातीय समीकरण साधने के बाद बारी संगठन और कार्यकर्ता-बल की थी। एक धुरंधर के कार्यालय में यही सवाल उठ रहे थे। रणनीतिकार कह रहे थे, संगठन-बल से तो हम भारी पड़ते हैं। लेकिन यहां फिजिक्स का प्रत्यास्थ गुण उलझा रहा था। भरोसा डिगा रहा था। सवाल यह उठ रहा था कि इतने हजार कार्यकर्ता क्या मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में मतदान करवा पाने में सफल हो सके? ऐसे तमाम सवालों के जवाब मिलने में अब कुछ ही घंटों का वक्त रह गया है। बृहस्पतिवार को ही धुरंधरों के उलझे मैथ्स का सही जवाब मिल सकेगा। धड़कते दिलों को मैथ्स सॉल्व होने का इंतजार ..।


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