Move to Jagran APP

सिजेरियन डिलीवरी के नाम पर प्राइवेट डाक्टरों को फायदा पहुंचा रहा स्वास्थ्य विभाग

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: जिला अस्पताल फतेहाबाद में हर माह 450 डिलीवरी हो रही हैं, जि

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 12:15 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 12:15 AM (IST)
सिजेरियन डिलीवरी के नाम पर प्राइवेट डाक्टरों को फायदा पहुंचा रहा स्वास्थ्य विभाग
सिजेरियन डिलीवरी के नाम पर प्राइवेट डाक्टरों को फायदा पहुंचा रहा स्वास्थ्य विभाग

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: जिला अस्पताल फतेहाबाद में हर माह 450 डिलीवरी हो रही हैं, जिसमें 300 डिलीवरी नार्मल तथा 150 सिजेरियन हैं। इतनी डिलीवरी के बावजूद जिला अस्पताल में गायनोकोलॉजिस्ट नहीं है। इसका फायदा प्राइवेट डाक्टर जमकर उठा रहे हैं। बिना ओपीडी किए प्राइवेट डॉक्टर सिविल अस्पताल से हर माह साढ़े तीन लाख रुपये ले रहे हैं। अक्टूबर माह में एक प्राइवेट महिला डॉक्टर को स्वास्थ्य विभाग 95 डिलीवरी करने पर 3 लाख 32 हजार रुपये अदा भी कर चुके हैं। सबसे अहम बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने पॉलीक्लीनिक में गायनोकोलॉजिस्ट तैनात कर रखी है जबकि यहां पर सिजेरियन डिलीवरी की कोई व्यवस्था नहीं है। इस संबंध में सीएम ट्विटर पर भी शिकायत भेजी गई है।

prime article banner

उप सिविल सर्जन डा.सुनीता सोखी खुद मान रही है कि सौ सिजेरियन डिलीवरी में से 95 सिजेरियन डिलीवरी प्राइवेट महिला चिकित्सक कर रही हैं। सिविल अस्पताल में गायनोकोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल की महिला चिकित्सक सिजेरियन डिलीवरी के लिए बुलाया जा रहा है। इसके लिए विभाग की तरफ से 35 सौ रुपये दिए जा रहे हैं। पैनल पर तैनात प्राइवेट अस्पताल की गायनोकोलॉजिस्ट डा. अंजना डाबड़ा पिछले माह 3 लाख 32 हजार रुपये ले चुकी हैं। --अनुबंध पर लगी महिला चिकित्सक ने लाख रुपये ठुकराए, डेढ़ लाख की कि डिमांड स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध पर पहले गायनोकोलॉजिस्ट डा. सुमेधा अरोड़ा थी, जिसे विभाग की तरफ से हर माह लाख रुपये दिए जा रहे थे। लेकिन महिला चिकित्सक ने डेढ़ लाख रुपये की डिमांड की, जिसे विभाग ने मना कर दिया। जिसके बाद महिला चिकित्सक ने नौकरी छोड़ दी। अब स्वास्थ्य विभाग एक महिला चिकित्सक को पैनल पर लेकर उसे हर माह करीब साढे़ तीन लाख रुपये सिजेरियन डिलीवरी के दे रहा है। --यहां डिलीवरी स्टाफ की प्राइवेट अस्पतालों से से¨टग : पैनल में शामिल महिला चिकित्सक के न आने का फायदा डिलीवरी वार्ड के स्टाफ उठा रहे हैं। सिजेरियन केस को प्राइवेट अस्पतालों में भेजकर मोटा कमीशन खा रहे हैं। सिजेरियन केस के प्राइवेट अस्पताल में आने पर डाक्टर 20 से 25 हजार रुपये वसूल रहे हैं। हायर सेंटर में रेफर करने की जगह रोजाना दो से तीन मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजा जा रहा है। --ऐसे हो सकता है स्वास्थ्य विभाग को फायदा : स्वास्थ्य विभाग हर माह प्राइवेट अस्पताल की गायनोकोलॉजिस्ट को साढे तीन लाख रुपये अदा कर रहा है जबकि ये सिर्फ सिजेरियन डिलीवरी करने के बाद वापस चली जाती हैं। विभाग साढे तीन लाख रुपये में अनुबंध पर दो गायनोकोलॉजिस्ट रखकर ओपीडी का फायदा कर सकता है। सिविल अस्पताल में फिलहाल एक भी महिला चिकित्सक नहीं है। ये हालात जिले की सभी सीएचसी पर हैं। --पूरे जिला में कमी है महिला चिकित्सक व गायनोकोलॉजिस्ट की जिला के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर महिला चिकित्सक व गायनोकोलॉजिस्ट की कमी है। जिला अस्पताल में न तो गायनोलॉजिस्ट है और न ही महिला चिकित्सक है। इसके चलते प्राइवेट महिला चिकित्सक को बुलाया जा रहा है, पॉलीक्लीनिक की गायनोकोलॉजिस्ट की भी ड्यूटी लगा रखी है, छुट्टी पर जाने के कारण नहीं आ पाई।

- डा.सुनीता सोखी, उप सिविल सर्जन, फतेहाबाद


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.