फसल कटाई प्रयोग अब अकुशल सक्षम युवाओं के हाथ
राजेश भादू फतेहाबाद कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने अब फसल कटाई प्रयोग सक्षम युवाओं क
राजेश भादू, फतेहाबाद :
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने अब फसल कटाई प्रयोग सक्षम युवाओं के हाथों में सौंपने का निर्णय लिया है। साथ ही, खरीफ फसल के उत्पाद की जांच के लिए आउटसोर्सिग के तहत कर्मचारी नहीं रखने की रणनीति बनाई है। जाहिर तौर पर विभागीय प्रयोग की धुरी होंगे युवा। यह अलग बात है कि अप्रशिक्षित सक्षम युवाओं से फसलों की कटाई का प्रयोग क्या रंग लाएगा, यह अभी भविष्य के गर्भ में है। यही वजह है कि अकुशल युवाओं से पड़ने वाले प्रभाव से किसान संगठनों के साथ खुद विभाग के अधिकारी भी सचेत हो गए हैं। उन्होंने निदेशालय को बाकायदा पत्र लिखा है। इसमें बताया गया है कि इस प्रयोग का सबसे अधिक दुष्प्रभाव फसल बीमा योजना पर पड़ेगा।
दरअसल, कृषि विभाग रबी व खरीफ सीजन की फसलों की कटाई प्रयोग करता है। इससे प्रत्येक गांव में फसल के औसत उत्पादन के बारे में जानकारी मिल जाती है। सरकार के सामने आंकड़ा आ जाता है कि अमुक फसल का उत्पादन इतना होगा। उसी आधार पर आयात-निर्यात करने की नीति बनती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू होने के बाद इसका असर सीधा किसानों पर पड़ने लगा है। यह भी सच है कि किसी गांव में फसल का औसत उत्पादन पिछले पांच साल के मुकाबले कम आ रहा है तो बीमा कंपनी को उस गांव के किसानों को मुआवजा देना होता है। इसी आधार पर खरीफ 2017 में कपास की फसल का मुआवजा किसानों को मिला था। अकेले फतेहाबाद जिले में 80 करोड़ रुपये मुआवजे के आवंटित हुए थे।
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सैंपल का चुनाव निदेशालय स्तर पर होता है
फसल बीमा योजना में शामिल कपास, बाजरा, धान व मक्का की फसल का एक गांव में चार जगह से कटाई परीक्षण होता है। इसलिए सैंपल किस खेत से लिए जाएंगे, इसका चयन कृषि विभाग का निदेशालय करता है। वहां से प्रत्येक गांव की चार अलग-अलग दिशाओं से सैंपलिग के लिए डाटा भेजा जाता है। यह एडीओ द्वारा जमाबंदी के आधार पर बनाई हाई पेंसिल संख्या से गणना करने खेत का निर्धारित होता है। इसके बाद पटवारी की मदद से तय खेत में जाकर निरीक्षण होता है। एडीओ खेत को विभाजित करते हुए 5 वर्ग मीटर में फसल कटाई प्रयोग होता है। इसको करने के लिए तकनीकी व अनुभवी लोगों की जरूरत होती है। प्रयोग करने वाले को उत्पादन की गणना करने के साथ किसान व फसल संबंधित पूरा रिकार्ड चार भेज के बने फार्म में भरना होता है।
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एडीओ कम, इसलिए आउटसोर्सिग कंपनी से लेने पड़ते हैं कर्मचारी
हालांकि ये कार्य एडीओ यानी सहायक कृषि अधिकारी का है। प्रदेश में एडीओ के 1070 पद हैं। जिसमें से 378 एडीओ ही कार्यरत हैं। जबकि प्रदेश में करीब 6 हजार से अधिक गांव हैं। औसत एक गांव में तीन से अधिक फसलों की कटाई परीक्षण करना होता है। एक एडीओ 2 से अधिक गांवों का परीक्षण नहीं कर सकता। दो गांवों में ही 24 सैंपल हो जाते हैं।
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इसके लिए मेरे पास किसान संगठनों की शिकायत आई है। मैंने खुद भी निदेशालय पत्र भेजा है। जिसमें मांग कि है कि सक्षम युवाओं की बजाए आउटसोर्सिग कर्मचारियों से फसल कटाई प्रयोग का करवाया जाए। समक्ष युवाओं कार्य करने के लिए प्रशिक्षित नहीं है। जबकि फसल कटाई प्रयोग का प्रभाव अब सीधा फसल बीमा योजना पर पड़ता है।
- डा. बलवंत सहारण, उपनिदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।