सरकार किसी की आए, बुजुर्गो को घर पर मिलनी चाहिए पेंशन
जागरण संवाददाता फतेहाबाद 21 अक्टूबर का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे ही चुनावी पार
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: 21 अक्टूबर का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे ही चुनावी पारा भी चढ़ने लग गया है। अक्सर पुरुष चुनावी चर्चा करते सुना होगा। लेकिन महिलाएं भी किसी से कम नहीं है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला गांव गाजूवाला में। यहां महिलाएं अपना काम करके आपस में बात कर रही थी। चर्चा ही चुनाव से शुरू हुई। समैन से हमारे संवाददाता बलजीत जांगड़ा ने इन महिलाओं से चुनाव से संबंधित उनकी परेशानी व मांगों को उठाया।
टोहाना हलके का गांव गाजूवाला। समय सुबह लगभग 10 बजकर 15 मिनट। गांव के किसान रघुबीर सिंह के घर में बैठी 10-12 बुजुर्ग व अन्य महिलाएं चुनावी चर्चा में व्यस्त है। इन बुजुर्ग महिलाओं को यह तो पता नहीं की टोहाना हलके में कोन किस पार्टी से चुनाव लड़ रहा है, लेकिन हलके के दो बड़े नेता सुभाष बराला व देवेंद्र बबली के बारे में उन्हें अच्छे से पता है। बुजुर्ग महिलाओं ने बताया कि टोहाना में इस बार इन दोनों नेताओ के बीच कड़ा मुकाबला है। अन्य महिलाएं भी बोली सरकार किसी की भी आए लेकिन महिलाओं को रोजगार व उनकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने वाली होनी चाहिए।
70 वर्षीय बिरदे देवी कहती है सरकार की तरफ पेंशन तो मिल रही है। लेकिन हर तीसरे महीने उन्हें बैंक में जाना पड़ता है। यह समस्या कठिन है। बुजुर्ग होने के कारण वह बैंक में नहीं जा सकती। अगर सुविधा ऐसी होनी चाहिए कि घर आकर उनकी पेंशन दे।
60 वर्षीय ओमी देवी कहती है पहला तो लुगाई वोट डालन कौनी ज्यांदी थी। यू तो सारा काम मनसा का था। इब तो लुगाई भी खूब जावे वोट गेड़न। कौन जीत रहा है इसके बारे में में तो कुछ नहीं पता। लेकिन महिलाओं की सुरक्षा होनी चाहिए।
65 वर्षीय बरपो देवी है सरकार किसी की भी आए। आज भी बसों में बुजुर्ग व महिलाओं को सीट नहीं मिल रही है। अगर बस में कोई महिला सवार हो जाती है तो कोई सीट भी नहीं देता। हर बस में महिलाओं के लिए आरक्षित सीट होनी चाहिए। टोहाना से जो भी उम्मीदवार खड़ा है उसे यह व्यवस्था करनी चाहिए।
62 वर्षीय बरथो देवी ने कहा कि आज नौकरी कुछ नहीं मिल रही है। हमारे पौते पढ़े लिखे है। लेकिन नौकरी के नाम पर कुछ नहीं है। अब तो प्राइवेट नौकरी मिलनी भी बंद हो गई। ऐसे में उन्हें खेती करनी पड़ रही है। अगर हलके का उम्मीदवार युवाओं को नौकरी देगा तो सबकुछ ठीक हो जाएगी।
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महिलाओं की सुरक्षा पर भी उठे सवाल
पास में बैठी महिलाएं सुषमा, सरोज ने कहा कि आज महिलाएं सुरक्षित नहीं है। बेशक महिला थाना खुल गया है लेकिन उससे भी इंसाफ नहीं मिल रहा है। पुलिस का व्यवहार पहले जैसा है। महिला अगर शिकायत कर भी दे तो उससे सौ बार सवाल किए जाते है। स्कूल व कालेज में जाने वाले छात्राओं के साथ छेड़छाड़ होती है। अधिकतर छात्राएं अपने घर यह बात नहीं बताती है। अगर बताएगी तो उसका कालेज भी छूट जाता है। इसके अलावा बसों की कमी है। छोरियों को लटककर अपने गांव तक आना पड़ रहा है।