यंत्रों की बजाए सरकार उत्पादन पर बोनस दे, किसानों ने पूछे सवाल
दैनिक जागरण द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में किसानों व अधिका
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
दैनिक जागरण द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में किसानों व अधिकारियों ने कई मुद्दों को लेकर विचार विमर्श किया। इस दौरान किसानों ने कई मांगें व सुझाव रखे। उन्होंने कहा कि खेती लिए उचित व्यवस्था बनाई जाए, तभी किसानों का कल्याण संभव होगा। प्रगतिशील किसान ओमप्रकाश गढ़वाल ने मांग रखी कि सरकार किसानों को फसल प्रबंधन के अलावा अन्य प्रकार के कई अनुदान देती हैं, उसकी बजाए सरकार किसानों को उत्पाद पर बोनस दे। इससे अनाज मंडियों में भ्रष्टाचार रूकेगा, किसानों फसल प्रबंधन की भी परेशानी नहीं आएगी। जो किसान फसल प्रबंधन करेगा, उसे बोनस मिल जाएगा। ऐसे में बोनस देने से सरकार किसान दोनों फायदे में रहेंगे। उन्होंने मांग कि सरकार इस दिशा में सोचना चाहिए। उनके इस सुझाव को उपायुक्त डा. जेके आभीर ने भी ठीक बताते हुए कहा कि वे इस सरकार तक भेजेंगे।
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धान के अवशेष जलाने वाली सूचना देने वाले का ऑडियो एडीओ के मार्फत संबंधित किसान तक पहुंचा रहे है। ऐसे मामले मेरे क्षेत्र में कई आ गए हैं। डीडीए कार्यालय द्वारा सूचना देने वाले का नाम उजागर करना गलत है। इसके अलावा मेरी मांग है कंबाइन एसएमएस पर अनुदान देने की बजाए रोटावेटर पर अनुदान दिया जाए।।
- अभिमन्यु खिचड़, ढाणी ईसर।
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मनरेगा को कृषि कार्य में किया जाए शामिल, इससे किसानों व मजूदरों दोनों को फायदा मिलेगा। धान के अवशेष जो अब किसान जला रहे है, उन्हें गोशाला तक पहुंचाने में मनरेगा से आसानी होगी। किसान अवशेष भी नहीं जलाएंगे और मजूदरों को भी रोजगार मिल जाएगा।
- पवन ¨हदुस्तानी, भिरड़ाना।
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मैंने इस बार धान के अवशेषों की गांठे बनवाई। सरकार ने घोषणा की थी कि धान के अवशेष 550 रुपये प्रति ¨क्वटल खरीदेंगी, लेकिन मैं अवशेष 100 रुपये क्विंटल में भी देने के लिए तैयार हूं, लेकिन सरकार खरीद नहीं रही। अब मेरी सरकार से मांग है कि कम से कम उन अवशेष को सरकार मेरे खेत से उठा ले।
- हरभगवान गोयल, अहलीसदर।
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अनुदान पर यंत्र देने में गड़बड़ी हुई। मैने पांच सोयाइटी बनाकर आवेदन किया, लेकिन मुझे अनुदान पर यंत्र नहीं दिए गए। जिन किसानों को अनुदान पर यंत्र मिले है, उन्हें भी बहुत देरी से दिए गए। इसका लाभ कम मिला।
- संजय, अयाल्की।
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यंत्रों पर जो अनुदान दिए गए हैं वो अनुदान देने के बाद अधिक महंगे हो गए हैं। अनुदान देने के लिए जिन फर्मों को शामिल किया उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर गड़बड़ी की है। जो एक यंत्र बिना अनुदान के 50 हजार रुपये मार्केट में मिल रहा है। उसे अनुदान पर लेने के बाद एक लाख रुपये से अधिक महंगा मिल रहा है। ऐसे में 50 फीसद पर अनुदान लेने वाले किसानों को लाभ नहीं मिला।
- सुखवीर संधु, फतेहाबाद।
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धान के चलते हमारे क्षेत्र में जल स्तर प्रति वर्ष 10 से 20 फुट नीचे जा रहा है। इसके लिए जरूरी है कि सरकार कपास, ग्वार के भाव कम से कम 15 हजार रुपये प्रति ¨क्वटल करें, ताकि जो किसान धान लगाता है वो कपास व ग्वार की खेती करने लग जाए। इसके अलावा मेरी मांग है कि धान के मुकाबले सरकार दूसरी फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाएं, ताकि फसल अवशेष की समस्या ही न रहे।
- तेजेंद्र ¨सह तूर, सालमखेड़ा।
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हैप्पी सीडर से मैंने इस बार 80 एकड़ से अधिक बिजाई की। इससे गेहूं बढि़या लगी है। परंतु उसकी चार एकड़ में लगी हुई गेहूं शॉर्ट सर्किट के कारण चल गई। उसकी यह जमीन हड़ोली में बिजलीघर के साथ है, अब ठेके पर ली गई जमीन पर उसे फिर से गेहूं की बुआई करनी होगी।
- भोला ¨सह, हड़ोली।
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फसलों के प्रबंधन के लिए सरकार रोटावेटर पर भी अनुदान देना जरूरी है, लेकिन सरकार ने इसे बंद कर दिया। मेरी मांग है कि रोटावेटर पर अनुदान जरूरी है, ताकि किसानों को परेशानी न आए। इसके लिए रोटावेटर पर अनुदान फिर से शुरू करें।
र¨वद्र पाल, किसान।
------------------------सरकार खेती को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीति बनाए। गोशाला में चारे कमी हैं, वहां पर मनरेगा के मार्फत धान के अवशेष पहुंचाए जा सकते है, ताकि गोशाला में परेशानी न आए। कम से कम जिला प्रशासन रोड के किनारे पर बंडलों को उठाकर गोशाला तक पहुंचा दे, ताकि उनको कोई आग न लगा सके।
- रिछपाल तरड़, किसान।