कागजों में गुणगान, धरातल पर व्यवस्था शून्य, अस्पताल में भी मास्क नहीं लगा रहे लोग
फतेहाबाद जिले में कोरोना ने रफ्तार पकड़ ली है। सजगता सबसे जरूरी है। ल
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : जिले में कोरोना ने रफ्तार पकड़ ली है। सजगता सबसे जरूरी है। लेकिन अब तो हम लापरवाही करते जा रहे हैं। इसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है। जो डाक्टर सैनिटाइजर व शारीरिक दूरी बनाने का संदेश देते हैं उनके खुद के अस्पताल यानि नागरिक अस्पताल में व्यवस्था कुछ नहीं है। कोरोना से बचना है तो सफाई जरूरी है। लेकिन नागरिक अस्पताल के शवगृह के पास कूड़ा फेंक अस्पताल प्रबंधक इतिश्री कर रहा है। वहीं सबसे जरूरी मास्क लगाना है। लेकिन यहां पर आने वाले मरीज मास्क तक नहीं लगा रहे। ऐसे में जिस बीमारी का वे इलाज करवाने आ रहे हैं उससे अधिक बीमारी वो अपने साथ लेकर जा रहे हैं। नागरिक अस्पताल में व्यवस्था बनाने के लिए कोई सिस्टम तक नहीं हैं। ऐसे में हम कैसे कह सकते हैं कि जिस अस्पताल में हम स्वस्थ होने के लिए आ रहे है वहां इलाज मिलेगा या बीमारी। इसी को लेकर दैनिक जागरण ने मंगलवार को नागरिक अस्पताल में जाकर स्थिति देखी तो तस्वीर लापरवाही की सामने आई
---------------------------------
दृश्य 1 :
सुबह 11 बजकर 05 मिनट। नागरिक अस्पताल के मुख्य गेट पर हाथ धोने के लिए नल लगा हुआ है। लेकिन हाथ धोने के लिए आपको केवल पानी ही मिलेगा। सैनिटाइजर व साबुन का एक टुकड़ा तक नहीं मिलेगा। साबुन प्रयोग व सैनिटाइजर के नाम पर हर महीने हजारों रुपये का बिल जरूर बनता होगा। लेकिन इलाज करवाने आने वाले मरीजों को हाथ धोने के लिए ना तो साबुन मिल रहा है और ना ही सैनिटाइजर। एक समय था जब एक गार्ड की ड्यूटी लगाई गई थी कि अस्पताल में प्रवेश करने से पूर्व हाथ धोकर अंदर जाए। लेकिन अब यह व्यवस्था भी बंद हो गई।
--------------------------------------------
दुश्य : 2
समय 11 बजकर 15 मिनट। अस्पताल परिवार में प्रवेश करते ही लोगों की भीड़ नजर आई। वहां जाकर देखा तो ये सभी लोग कोरोना टेस्ट करवाने के लिए खड़े थे। जहां फ्लू वार्ड बनाया गया था वहां गर्मी अधिक होने के कारण डाक्टरों ने वृक्ष की छांव के नीचे ही टेस्ट करना शुरू कर रखा था। जो लोग टेस्ट करवाने के लिए खड़े थे उन्होंने शारीरिक दूरी तक नहीं बना रखी थी। वही अगला दृश्य तो हैरान करने वाला था। डाक्टरों व हेल्थ वर्करों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सैंपल लेने के लिए एक केबिन बनाकर दे रखा है, ताकि सैंपल लेते समय डाक्टर संक्रमित ना हों। लेकिन लापरवाही तो वहां भी नजर आई। केबिन दूसरी साइड पड़ा था और सैंपल बिना सुरक्षा के लिए लिए जा रहे थे।
--------------------------------------------------------
दृश्य : 3
समय 11 बजकर 30 मिनट। अस्पताल के अंदर प्रवेश किया तो नाक व कान डाक्टर के बाहर भीड़ नजर आई। हालांकि मरीजों की संख्या बहुत कम थी। लेकिन जिस हिसाब से वो खड़े थे वो नियमों के विरुद्ध थे। यहां पर खड़े मरीज एक दूसरे के साथ खड़े थे। ऐसे में अगर एक मरीज कोरोना पॉजिटिव मिल जाए तो कितने लोगों को बीमार करेगा यह तो डाक्टर भी नहीं जानते। ऐसे में पूरे अस्पताल में शारीरिक दूरी के नियम का पालन नहीं किया जा रहा।
------------------------------------
दृश्य : 4
समय 11 बजकर 45 मिनट। यह दृश्य तो प्रबंधक की व्यवस्था पर सवालियां निशान लगा रहा है। कोरोना से बचना है तो सफाई व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए। लेकिन अस्पताल में यह नजर तक नहीं आती। जहां कोरोना के टेस्ट लिए जा रहे थे उससे महज कुछ ही कदमों पर कूड़े का ढेर लगा हुआ था। इसके अंदर सभी प्रकार का कूड़ा पॉलीथिन में था। ऐसे में हम कैसे कह सकते है कि जिस अस्पताल में हम इलाज लेने के लिए आ रहे हैं इसी कूड़े के ढेर से निकलने वाली बदबू से हम बीमार भी हो सकते हैं।
------------------------------------------
दृश्य : 5
समय 12 बजे। अस्पताल परिसर का यह दृश्य तो लापरवाही का नजर आया। इसमें अस्पताल प्रबंधक व मरीजों की लापरवाही रही। अस्पताल में इलाज करवाने आने वाले अधिकतर लोगों ने मास्क तक नहीं लगा रखा था। ऐसे लोगों को मास्क लगाने के लिए प्रेरित करने वाले भी नजर नहीं आया। करीब दो महीने पहले अस्पताल परिसर में मास्क की स्टॉल लगाई गई थी। लेकिन अब तो यहां कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में बिना मास्क लगाए लोग खुद भी बीमार हो सकते है और दूसरे को भी बीमार कर सकते है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधक को मास्क न लगाने वालों को प्रेरित करने के लिए किसी एक कर्मचारी की ड्यूटी लगानी चाहिए।