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हर साल घट रहे पांच फीसद विद्यार्थी

मुकेश खुराना फतेहाबाद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या साल दर साल घट

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 07:37 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 07:37 PM (IST)
हर साल घट रहे पांच फीसद विद्यार्थी
हर साल घट रहे पांच फीसद विद्यार्थी

मुकेश खुराना, फतेहाबाद :

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सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या साल दर साल घटती जा रही है। स्कूलों व शिक्षकों के लिए ये अच्छे संकेत नहीं हैं। शिक्षा विभाग की रिपोर्ट खुद इसका खुलासा कर रही है। हर साल सरकारी स्कूलों में पांच फीसद विद्यार्थी घट रहे हैं। ये विद्यार्थी सरकारी स्कूलों को छोड़कर प्राइवेट की तरफ भाग रहे हैं। पिछले तीन सालों में करीब 8 से 9 हजार विद्यार्थी सरकारी स्कूलों से घट गए हैं। अब ये शिक्षकों पर भी भारी पड़ने वाला है। विद्यार्थियों की संख्या घटने के साथ ही शिक्षकों के पदों में भी कटौती हो सकती है।

रेशनलाइजेशन होने के बाद जिले में शिक्षकों के करीब 60 से 70 पदों पर असर हो सकता है। शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016-17 में जहां 101669 विद्यार्थी थे जो घटकर अगले साल 97423 हो गए। इसके बाद अब ये संख्या 93181 पर पहुंच गई है।

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जिले में स्कूलों की संख्या

प्राइमरी - 386

मिडल - 84

हाई - 66

सीनियर सेकेंडरी - 80

आरोही - 5

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय - 5

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स्कूलों में छात्रों की संख्या :

वर्ष पहली से पांचवीं छठी से आठवीं नौवीं से बारहवीं

2016 - 17 44269 29674 27726

2017 - 18 43132 28332 25959

2018 - 19 42226 27056 23899

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प्राइमरी स्कूलों पर ज्यादा असर

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अगर विद्यार्थियों की संख्या घटती है तो इसका सबसे ज्यादा असर जेबीटी पर पड़ेगा। इस समय जिला के सरकारी स्कूलों जेबीटी के पद पूरी तरह से भरे हुए हैं। अगर रेशनालाइजेशन होता है तो करीब 40 से 50 जेबीटी पर असर पड़ना तय है। खास बात यह है कि दो साल में 10 प्राइमरी स्कूल बंद हो चुके हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की ही माने तो मुख्य कारण बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद न करना, कम उम्र में ही प्राइवेट स्कूलों द्वारा दाखिला दे देना, सरकारी स्कूलों में प्री कक्षाएं शुरू न करना, वैन की सुविधा न होना मुख्य कारण है।

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सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं न होना मुख्य कारण है। इस वजह से छात्र संख्या घट रही है। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझाया जाता है। शिक्षकों को स्वतंत्र रूप से पढ़ाने नहीं दिया जा रहा है, तीन से चार तरीकों से पढ़ाया जा रहा है। ये बच्चों को पढ़ाने में बाधा डालती है। इसी कारण शिक्षा का स्तर नहीं उठ रहा है।

विकास टुटेजा

जिला प्रधान, राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ

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ये बात यही है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है और अभिभावकों का रूझान कम हो रहा है। लेकिन अब विभाग इस संख्या को बढ़ाने में प्रयासरत है। शिक्षक खुद फील्ड में जाएंगे और स्कूलों में दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में बताएंगे। कई शिक्षक खुद ही आगे आ चुके हैं और बच्चों को सरकारी स्कूलों में डालने के लिए जागरूक कर रहे हैं।

- दयानंद सिहाग,

जिला शिक्षा अधिकारी, फतेहाबाद


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