आवासीय कालोनी में चल रह पटाखों के गोदाम, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
जागरण संवाददाता फतेहाबाद सनातन धर्म से जुड़ा मां लक्ष्मी पूजन का त्योहार दीपावली विश्व का स
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
सनातन धर्म से जुड़ा मां लक्ष्मी पूजन का त्योहार दीपावली विश्व का सबसे प्राचीन त्योहार है। सभी हर्षाेल्लास से दीप पूजा करते यह हुए त्योहार मनाते हैं। लेकिन पिछले दो-तीन दशक से इस त्योहार की मनाने की प्रवृत्ति बदल गई है। दीप की जगह इलेक्ट्रॉनिक आइटम ले रहे हैं। जश्न में डूबे कुछ लोग खूब सारे पटाखे बजाते हैं। तभी तो दीपावली की रात इतना अधिक प्रदूषण हो जाता है जो सालभर के अधिकतम स्तर पर होता है। यह सब पवित्र त्योहार पर बाजारवाद हावी होने के चलते हुआ है।
बाजारवाद इस तरह बढ़ा कि अब सनातन धर्म के इस त्योहार को आतिशबाजी का त्योहार बना दिया। इसकी वजह यह है कि पटाखों का कारोबार करने वाले लोग इस त्योहार को अपनी मनमर्जी के अनुसार चला रहे हैं। व्यवसाय में अधिक मुनाफा होने के चलते इसमें राजनेता भी शामिल हो गए। तभी तो बिना जरूरत के पटाखे हर गली मोहल्ले में अवैध तरीके से बिक रहे है। परंतु कभी भी कार्रवाई नहीं हुई। राजनेताओं के जुड़े होने के चलते अधिकारी मौन धारण कर लेते हैं। फतेहाबाद शहर के भट्टू रोड पर पटाखों के 6 गोदाम हैं। ये गोदाम पंजाबी सभा की धर्मशाला से महज 200 मीटर की दूरी पर आवासीय कालोनी में चल रहे है। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन अधिकारी गोदाम संचालकों पर कार्रवाई को लेकर कभी भी गंभीर नहीं हुए। इससे इनका व्यापार फल-फूल रहा है।
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गोदाम का लाइसेंस मिलना, मतलब सालाना लाखों की कमाई :
पटाखों के गोदाम का लाइसेंस के लिए बड़ी लॉबिग करनी पड़ती है। तब जाकर लाइसेंस मिलता है। अब जिन लाइसेंस मिल हुआ उनको सालाना लाखों रुपये की कमाई होती है। इसकी वजह है कि पटाखों में मार्जन बहुत अधिक। ऐसे में पटाखों की त्योहारों पर स्टॉल लगाने के लिए भी बहुत अधिक प्रतिस्पर्धा होती है। दीपावली पर तीन दिन लगने वाली स्टॉल से ही 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये की आय हो जाती है।
----------------------- जिले में कोई भी व्यक्ति बिना लाइसेंस लिए आतिशबाजी का न तो भंडारण कर सकता और न ही उसे बेच सकता है। ऐसा करने वाले व्यक्ति या व्यक्तियों के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम 1884 के तहत कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। इसके लिए मैंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिए है।
- डा. नरहरि सिंह बांगड़, उपायुक्त।
-------------------------- दीपावली का पर्व हजारों वर्षों से सनातनी मना रहे है। जब राम ने रावण का वध करके वापस लौटे थे तो खुशी में घी के दीप जलाए थे। लेकिन हमारे हिदुओं के त्योहार को गलत दिशा में मोड़ते हुए कुछ लोगों ने इनका बाजारीकरण कर दिया। हम धर्म का मूल भूल रहे है। पटाखों से प्रदूषण अधिक फैलता है। जबकि घी से दीप जलाने से वातावरण शुद्ध होता है। ऐसे में हमारी संस्था घी के दीप जलाने के लिए आमजन को प्रेरित करते हुए अभियान चलाएगी।
- तरूण मेहता, प्रदेश सचिव, स्माइल बिट्स संस्था।
--------------------- हमने पिछले तीन चार वर्षों से जिन परिवार में पटाखे जलाने से हुए नुकसान की एक डाक्यूमेंट्री बनाई है। पीड़ित परिवार से लोगों से बातचीत को आमजन को जागरूक करेंगे। पटाखे मनाकर किसी से खुशी नहीं मनाई जा सकती। अब फतेहाबाद जैसा छोटा शहर का प्रदूषण दिल्ली से अधिक दूषित हो गया है। ऐसे में यहां तो पटाखे पूरी तरह प्रतिबंधित होने चाहिए। हमारी संस्था आमजन को जागरूक कर रही है कि अब पटाखे नहीं घी के दीप जलाए।
- हरदीप सिंह, प्रधान जिदगी संस्था।
------------------------------- जहां पर अधिक प्रदूषण बढ़ा है वहां पर बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया। पिछले कुछ वर्षों से औसत आयु 60 वर्ष के करीब हो गई। अब तो 30 वर्ष बाद शुगर, रक्तचाप बढ़ना सहित अन्य बीमारी कॉमन हो गई। बच्चे कैंसर व गुर्दे खराब जैसी बीमारी हो रही है। ये सब बढ़े हुए प्रदूषण के कारण ही है। ऐसे में हम पर्यावरण बचाने के लिए कार्य करना होगा।
- सुशील बंसल, समाजसेवी।
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लगातार प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है। सोमवार को जिले का धुआं इतना अधिक था कि सांस लेने में सभी को परेशानी हुई। पहले ही कोरोना के चलते आमजन परेशान है। अब बढ़ा हुआ प्रदूषण मुसीबत बनेगा। ऐसे में मेरा आमजन से आग्रह है कि दीपावली पर पटाखे न बजाए, वहीं जो किसान भूलवश अवशेष जला रहे है। उनका भी समझाए।
- डा. हनुमान सिंह, डिप्टी सीएमओ, स्वास्थ्य विभाग।