बच्चों में खून की कमी का कारण बन रहा फास्ट फूड : डा. ईला नारंग
प्राचीन काल में लोगों का खाना-पीना शुद्ध् व पौष्टिक होता था, इसलि
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : प्राचीन काल में लोगों का खाना-पीना शुद्ध् व पौष्टिक होता था, इसलिए वह लंबे समय तक स्वस्थ रहते थे। लेकिन अब खानपान बदल रहा है और इसी कारण से लोग बीमार रह रहे हैं और कई रोग उन्हें घेर चुके हैं। बच्चों में खून की कमी का भी खानपान सबसे बड़ा कारण है। बच्चे दूध-दही की जगह फास्ट-फूड की तरफ दौड़ रहे हैं। उन्हें अब दूध, दही, घी अच्छा नहीं लगता है बल्कि बच्चों की पसंद अब खीर, चूरमा नहीं बल्कि पिज्जा, बर्गर हो गए हैं।
छोटे-छोटे बच्चे भी चिप्स, कुरकुरे के स्वाद के शौकीन हैं और पौष्टिक आहार को छोड़कर अब उनकी पहली पसंद जंक फूड व फास्ट फूड बन गए हैं। राष्ट्रीय सुपोषण सप्ताह के तहत सिविल अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डा. ईला नारंग ने बताया कि से बच्चों उनमें एनीमिया की शिकायत बढ़ रही है और खून की कमी आ रही है। बच्चों के पेट में कीड़े हैं, जिस कारण उनका पूर्ण विकास भी नहीं हो पा रहा है। आज कल बच्चे सुबह सवेरे पौष्टिक नाश्ता ना करके स्कूलों के आसपास मिलने वाले पिज्जा, बर्गर, कुरकुरे, चिप्स, चाउमीन और तरह तरह के फास्ट फूड के शौकीन हो गए हैं। अब उन्हें न तो घर का खाना भाता है और ना ही फल सब्जियां। उन्हें चटपटे, मसालेदार व्यंजन भाते हैं, जो उनकी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। ये फास्ट फूड बच्चों को आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। जंक फूड व फास्ट फूड में मुख्य रूप से बहुत ज्यादा फैट होती है यानि तेल रहता है। इसके अलावा तेज मसाले, तरह तरह के एसिड, केमिकल होते हैं जो बच्चों के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। फास्टफूड से बच्चों का वजन बढ़ना, पाचन शक्ति कमजोर होना, पेट के कीड़े, रक्त की कमी आदि अनेक बीमारियां हो रही हैं। डॉ. नारंग ने बताया कि बच्चों में खान पान की वजह से अनेक बीमारियां बढ़ रही है। आजकल गांव हो या शहर सब जगह बच्चे चिप्स, कुरकुरे आदि खाते हैं जो पौष्टिक न होकर केमिकलयुक्त होते हैं। इसके अलावा फास्ट फूड भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। डॉ. नारंग ने बताया कि बच्चों को हरी सब्जियां दें, कैलोरी के लिए घी, गुड, भूने चने, सूजी का हलवा दें। अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि बच्चों को जंक फूड से दूर रख पौष्टिक आहार दें।
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