जिले में ग्रास हॉपर कीट को टिड्डी समझकर किसान भयभीत
जागरण संवाददाता फतेहाबाद अभी तक जिले में कहीं भी टिड्डी कीट नजर नहीं आया। बेशक र
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : अभी तक जिले में कहीं भी टिड्डी कीट नजर नहीं आया। बेशक रतिया क्षेत्र में दो बार किसान ग्रास हॉपर कीट को टिड्डी समझकर परेशान हो गए। उसके बाद कृषि विभाग के अधिकारियों ने खेतों में जाकर निरीक्षण किया। जिसमें सामने आया कि किसान ग्रास हॉपर कीट का वे टिड्डी समझ रहे हैं। इसकी वजह भी है कि दोनों कीट लगभग एक जैसे दिखाई देते है। हालांकि दोनों की प्रवृति में बहुत अंतर है। फिर भी जिले में यदि टिड्डी दल आता है तो उसके लिए प्रशासन ने पहले से प्रबंध कर लिया है। ताकि जरूरत पड़ने पर उनका इस्तेमाल किया जा सके। ऐसे में किसानों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। कृषि विभाग ने सबसे पहले तो उन किसानों का डाटा निकाला है जिन्हें पिछले चार साल में ट्रैक्टर चालित स्प्रे पंप अनुदान पर दिया है। कृषि विभाग के अनुसार 570 किसानों को स्प्रे पंप अनुदान पर दिए हुए हैं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर 30 फायर बिग्रेड की गाड़ियों को भी स्प्रे के काम में लिया जा सकता है। ऐसे में किसानों को टिड्डी दल से घबराने की जरूरत नहीं है। बस किसान अपनी फसल की नियमित देखभाल करते रहें।
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गांव स्तर पर गठित हो चुकी कमेटी :
जिले में प्रत्येक गांव की कमेटी उपायुक्त रवि प्रकाश गुप्ता के निर्देशानुसार गठित हो चुकी है। जिसमें पटवारी, ग्राम सचिव व एडीओ को शामिल किया गया है। इसके अलावा गांव के मौजिज लोग भी इसमें शामिल किए जाएंगे। जो नियमित तौर पर पर प्रशासन को रिपोर्ट देंगे।
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हैफेड को दिए कीटनाशक स्टोरेज के निर्देश
प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिले में हैफेड को निर्देश दिए हैं कि कीटनाशक का स्टोरज किया जाए। जरूरत पड़ने पर किसानों को अनुदान पर कीटनाशक वितरित की जाएगी। राजस्थान के साथ लगता फतेहाबाद जिला होने के कारण प्रशासन को अर्लट पर रखा है। हैफेड के साथ भूमि सुधार विभाग, इफको व अन्य विभाग को भी कृषि व राजस्व विभाग के साथ आपदा प्रबंधन के लिए कार्य देखने को कहा है।
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40 वर्ष पहले आई थी टिड्डी
जिले में करीब 40 वर्ष पहले टिड्डियों का प्रकोप हुआ था। उस दौरान इतने साधन नहीं थे, फिर भी लोगों ने काबू पाने का प्रयास करते थे। भट्टूकलां के बुजुर्ग प्रताप पूनिया बताते हैं कि वर्ष 1980 के आसपास उनके क्षेत्र में टिड्डियों ने हमला करते हुए फसल को प्रभावित किया था। उस दौरान सरसों व चन्ना की फसल होती थी। उसके बाद नहर आने के बाद टिड्डियों का प्रकोप कम हो गया। पहले तो बारिश होने पर फसल होती थी वो भी टिड्डी के हमले से खराब हो जाती थी। जिले में फसल का ब्यौरा
फसल फसल का क्षेत्र हेक्टेयर में
गेहूं 1,90,000
सरसों 20,000
चना 2000
आलू 1200
हरा चारा 15,000
अन्य फसलें 5000 ------------------------------
वर्जन::::::::::
जिले में पूरा प्रबंधक किया हुआ है। इसके लिए उपायुक्त के आदेशानुसार गांवों की टीम का गठन कर दिया है। जिन किसानों को ट्रैक्टर चालित स्प्रे पंप पर अनुदान दिया था उनकी लिस्ट तैयार करके किसानों को सूचना दे दी है कि जरूरत के समय तैयार रहे। इसके अलावा पेस्टीसाइड का भी स्टॉक किया गया है। वैसे किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। अभी तक कहीं पर भी जिले में टिड्डी दिखाई नहीं दी है। रतिया में किसान जिन्हें टिड्डी समझ रहे थे असल वे वे ग्रास हॉपर है।
- भीम सिंह, एसडीओ, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग। -------------------------------
वर्जन:::::::::::
वैसे तो ग्रासहॉपर कीट भी टिड्डी जैसे ही दिखते है, लेकिन इनमें अंतर होता है। ग्रास हॉपर किसान का मित्र कीट तो नहीं है, लेकिन फसल को ज्यादा नुकसान भी नहीं पहुंचाता। वैसे भी टिड्डी ज्यादा सूखे क्षेत्र में आती है। अपने यहां पर नमी अधिक है। ऐसे में टिड्डी दल का हमले होने की संभावना नहीं है।
- मनबीर सिंह रेढू, प्रगतिशील किसान एवं सदस्य, कीट साक्षरता मिशन, जींद।
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