रात के समय टिकट काटने के लिए नहीं मिलता कर्मचारी, शौचालय में बिजली तक की नहीं व्यवस्था
सुरेश सोलंकी भट्टूकलां रेलवे विभाग दावा करता है कि हर रेलवे स्टेशन व जंक्शन पर या˜ि
सुरेश सोलंकी, भट्टूकलां :
रेलवे विभाग दावा करता है कि हर रेलवे स्टेशन व जंक्शन पर यात्रियों को सुविधा मिलती है। रात को अगर ट्रेन रद भी हो जाए तो ठहरने की व्यवस्था की जाती है। लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। भट्टूकलां रेलवे स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने वर्ष 1910 के आसपास किया था। समय निकलता गया लेकिन इस स्टेशन पर सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है। इस समय महिलाओं की सुरक्षा पर पूरा देश चितित है। लेकिन इस स्टेशन पर रात के समय एक भी पुलिस कर्मचारी नजर नहीं आता है। वहीं महिला शौचालय में बिजली की व्यवस्था तक नहीं है। जहां शौचालय बना हुआ है वहां भी बाहर की तरफ बिजली नहीं है। ऐसे में अगर कोई घटना हो गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। वहीं रात के समय ट्रेनों का आवागमन रहता है। लेकिन टिकट काटने का कार्य केवल एक ही कर्मचारी के पास है। जिससे काम चलाना मुश्किल है। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को क्या सुविधा मिल रही है या नहीं इसी की पड़ताल करने के लिए हमारे संवाददाता ने मंगलवार रात 8 बजे से पौने 1 बजे तक यहां का निरीक्षण किया और यात्रियों से भी सुविधा के बारे में जाना। पेश है रिपोर्ट..।
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दृश्य-एक
समय 10 बजकर 05 मिनट
बस स्टैंड से महज 200 मीटर दूरी पर स्थित है रेलवे स्टेशन।
सिरसा जाने के लिए यात्री ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। रेलवे स्टेशन के बाहर शेड न होने के कारण यात्री ठंड से बेहाल थे। कुछ दैनिक यात्री थे तो कई पहली बार इस स्टेशन पर आए थे जिन्हें ट्रेन का समय पता नहीं था। वैसे ट्रेन का समय 11 बजे का था। दैनिक जागरण प्रतिनिधि ने बातचीत शुरू की तो एक-एक करके दर्जन भर यात्रा वहां पहुंच गए। ------------------------------
दृश्य-दो
समय 10 बजकर 30 मिनट
रेलवे स्टेशन के अंदर टिकट खिड़की के पास कोई नहीं मिला। एक दो यात्री टिकट कटवाने के लिए लाइनों में लगने शुरू हो गये। अंदर देखा तो वहां पर कोई कर्मचारी तक नहीं मिला। अक्सर एक ही टिकट कर्मचारी है जो सुबह 6 बजे से शाम तक टिकट काटता है। रात के समय स्टेशन मास्टर ही लोगों को टिकट काटकर देता है। ऐसे में कुछ यात्री बिना टिकट ट्रेन में सवार हो जाते हैं तो किसी को टिकट मिल भी जाती है।
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दृश्य-तीन
समय 11 बजकर 30 मिनट
स्टेशन के अंदर का हाल जाना तो बाहर आकर देखा कि यात्रियों की भीड़ है लेकिन पुलिस कर्मचारी एक भी नजर नहीं आ रहा था। वहीं बाहर की तरफ शौचालय भी बना हुआ था। एक तरफ महिलाओं के लिए तो दूसरी तरफ पुरुषों के लिए। लेकिन दोनों में बिजली की व्यवस्था तक नहीं थी। ऐसे में महिलाएं अपने आप को सहज महसूस नहीं कर रही थी। वहीं बाहर की तरफ भी बिजली की व्यवस्था नहीं थी और अंधेरा था। अगर यहां पर किसी प्रकार की घटना हो जाए तो मौके पर पुलिस भी आधे घंटे तक पहुंचेगी।
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ये बोले यात्री
मैं सिरसा जाने के लिए यहां पर खड़ा हूं। अक्सर में ये ट्रेन द्वारा ही सिरसा जाता हूं। लेकिन यहां पर सुविधा कुछ नहीं है। इस समय ठंड अधिक है लेकिन अंदर ना तो बैठने की सही से जगह है और ना ही अन्य व्यवस्था। टिकट काटने के लिए एक कर्मचारी है वो भी रात के समय कम ही आता है। ऐसे में स्टेशन मास्टर को ही समय निकालकर टिकट काटनी पड़ रही है।
छोटू सोनी, भट्टूकलां
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शौचालय में बिजली की व्यवस्था तक नहीं है। जबकि रेलवे विभाग को लाखों रुपये का फायदा इस स्टेशन से हो रहा है। माल ढुलाई का काम सबसे ज्यादा यहीं पर होता है। लेकिन सुविधा कुछ नहीं है। अंधेरे में महिलाएं इन शौचालय का फायदा कैसे उठाएगी। अगर कोई घटना घट गई तो कौन जिम्मेदार होगा।
प्रदीप कुमार, भट्टूकलां
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पिछले दो घंटे यहां पर ट्रेन का इंतजार कर रहा है। लेकिन यहां पर कोई भी पुलिस कर्मचारी नजर नहीं आ रहा है। रेलवे विभाग की अलग पुलिस होती है लेकिन यहां पर तो ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। अगर कोई वारदात यहां पर हो गई तो कौन जिम्मेदार होगा। ऐसे में सुरक्षा की व्यवस्था रेलवे विभाग को करनी चाहिए।
बलविद्र, फतेहाबाद।