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बेपरवाही की आंच से जलती रही पराली, शहर की गुलाबी सूरत पर दाग

- विश्व के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल फतेहाबाद में फसलों के अवशेष जलने से तीन महीने ब

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 11:48 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 11:48 PM (IST)
बेपरवाही की आंच से जलती रही पराली, शहर की गुलाबी सूरत पर दाग
बेपरवाही की आंच से जलती रही पराली, शहर की गुलाबी सूरत पर दाग

राजेश भादू, फतेहाबाद :

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गिनती की राइस मिलें। चंद कुटीर उद्योग। न बड़ा उद्योग न कारखाना। फिर भी गुलाबी नगरी के नाम से जाना जाने वाला शहर फतेहाबाद विश्व के उन शहरों में शामिल हो गया जो सबसे प्रदूषित माने गए हैं। हैरत होती है। इसलिए कि महज तीन वर्ग किलोमीटर में फैले शहर को ऐसा क्या ग्रहण लगा कि गुलाबी सूरत पर प्रदूषित का दाग लग गया। इस यक्ष-प्रश्न का जवाब जानने की दैनिक जागरण ने कोशिश की तो कृषि आधारित जिले में बेपरवाही से जलती पराली प्रमुख कारण बनकर सामने आया।

पर्यावरण विशेषज्ञ मानते हैं कि दो महीने तक जिले में धान के फसली अवशेष जलाने से जो ग्राफ बढ़ता है उससे फतेहाबाद शहर प्रदेश ही नहीं देश में सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार हो जाता है। उस दौरान यानी अक्टूबर से लेकर दिसंबर की शुरूआत तक प्रदूषण का स्तर इतना होता है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 600 एक्यूआइ से अधिक ही रहता है। दीपावली के आसपास तो इसका स्तर 1 हजार तक पहुंच जाता है। इसी तरह गेहूं के सीजन में भी किसान गेहूं व गन्ने के खूब अवशेष जलाते हैं। इससे खूब प्रदूषण होता है। तीन महीने तक लगातार बढ़े प्रदूषण की वजह से ही जिले की रेटिग खराब हुई। इसका असर यह रहा कि गत दिनों स्विस संगठन आइक्यू एयर द्वारा तैयार व‌र्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2020 में फतेहाबाद भी शामिल हो गया।

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हरसेक ने पिछली बार सबसे अधिक 5250 फायर लोकेशन भेजी

जिले में पिछली बार हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अर्थात हरसेक ने 5250 फायर लोकेशन भेजी थी जो प्रदेश में सबसे अधिक है। इसी तरह 2019 में भी 5570 के करीब फायर लोकेशन आई थी। वैसे भी जिले में 260 गांवों में 140 गांव की जमीन पर धान की खेती होती हैं। इनमें से 129 गांव रेड व येलो जोन में हैं। यानी इन गांवों में हर साल 10 से लेकर 5 तक फायर लोकेशन हरसेक से आती है।

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टायर जलाकर तेल बनाने वाली फैक्ट्री भी खूब :

जिले में फसलों के अवशेष तो जलते ही है ही, वहीं अनेक जगह अवैध तरीके से टायर जलाकर तेल बनाने वाली फैक्ट्री भी खूब चल रही है। अकेले भूना क्षेत्र में भी 5 से अधिक है। इसी तरह रतिया, भट्टू व टोहाना क्षेत्र में भी ये फैक्ट्रियां अधिक प्रदूषण फैलाती है। इससे इन क्षेत्रों में धुएं की परत रहती है। इन फैक्ट्रियों पर शिकायत के बाद भी रोक नहीं लगाई गई।

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प्रदूषण फैलाने वाले कंडम वाहन खूब चल रहे :

फतेहाबाद जिला एनसीआर में शामिल नहीं है। ऐसे में यहां पर मेट्रो सिटी से पुराने कंडम वाहन लाकर खूब प्रयोग किया जाता है। जो अधिक प्रदूषण फैलाने में कारक बन रहे है। जिले के तीनों उपमंडल में हर साल 10 हजार के करीब पुराने वाहन पंजीकृत होते हैं जिनमें से अधिकांश मेट्रो सिटी के होते।

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सामुदायिक वानिकी की योजना धरातल पर उतरे

जिले में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चितित पर्यावरण प्रेमी विजय, रामसिंह व प्रमोद ने बताया कि जिले में वन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक वानिकी शुरू करने के लिए पत्र भेजा था। जिसमें मांग कि थी जिस तरह सरकार धान की जगह कपास व बाजरे की जगह मूंग की खेती करने पर किसानों को प्रोत्साहन राशि देती है उसी तरह अपनी जमीन में औद्योगिक पौधे लगाकर वन क्षेत्र बढ़ाने वालों को भी सरकार सहायता दे। जिले में करीब 15 हजार एकड़ जमीन बंजर है। जो पानी के अभाव में खेती संभव नहीं। लेकिन सरकार वहां पर सामुदायिक वानिकी के तहत पौधे लगाकर किसान को शुरूआत के तीन-चार वर्ष तक सहायता दे तो पेड़ खरीदने की गारंटी तो किसान बड़ी संख्या में पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण क कार्य कर सकते है।

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ये है जिले में वन क्षेत्र

वन का प्रकार क्षेत्र हेक्टेयर

सघन वन 38

संरक्षित वन 4192

अवर्गीकृत वन 60

कुल वन क्षेत्र 4290

जिले का कुल क्षेत्रफल : 2 लाख 53 हजार 250

जिले में वन क्षेत्र : 1.69


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