कागजों में डीएफएससी ने धान की खरीद शुरू करवाई, मिलर्स से नहीं हुआ एग्रीमेंट
कागजों में डीएफएससी ने धान की खरीद शुरू करवाई मिलर्स से नहीं हुआ एग्रीमेंट
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
किसानों के बढ़ते आक्रोश के बाद सरकार ने परमल धान खरीद की घोषणा कर दी। अधिकारियों ने भी सरकार के आदेश को मानते हुए कागजों में धान खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ। जिले में बनाए गए 39 खरीद केंद्र व मंडियों में से 25 से अधिक जगह पर 30 हजार क्विंटल से अधिक परमल की धान की आवक हो गई है। लेकिन सोमवार को सिर्फ टोहाना 1764 क्विंटल व धारसूल मंडी में 275 क्विंटल धान की खरीद हुई। अन्य मंडियों में खरीद अभी शुरू नहीं हो रही। इसकी वजह है कि अनाज मंडी से धान जिन मिलर्स के पास जाना है। उनका व सरकार का एग्रीमेंट नहीं हुआ। जिले ही नहीं प्रदेश के राइस मिलर्स सरकार द्वारा लगाई गई 5 फीसद गारंटी पर आक्रोशित है। उनका कहना है कि वे अब सरकार द्वारा दिए जाने वाले 8 से 10 करोड़ रुपये के धान पर 50 लाख रुपये की बैंक गांरटी देने में असमर्थ है। सरकार इसे वापस ले। पहले की तरह 10 लाख रुपये की एफडी की गारंटी देने को तैयार है।
दरअसल, जिले की अनाज मंडियों में बड़ी संख्या में परमल धान की खरीद होती है। जिले में करीब 175 राइस मिलर्स हैं। इनसे सरकार अनुबंध करते हुए प्रति सीजन इन मिलर्स को 40 हजार क्विंटल से लेकर 60 हजार क्विंटल धान देती है। जिसका ये मिलर्स सरकार को वापस चावल देते है। लेकिन अभी तक इसका लेकर करार नहीं हुआ।
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खरीद एजेंसी व आढ़ती भी मिलर्स के बिना तैयार नहीं :
परमल धान की खरीद बेशक सरकारी खरीद एजेंसी आढ़तियों के मार्फत करती है, लेकिन धान मिलर्स के पास पहुंचाना होता है। अब मिलर्स हड़ताल पर है। ऐसे में आढ़ती व खरीद एजेंसी दोनों चाहते है कि धान की खरीद तभी विधिवत से शुरू हो, जब हड़ताल खत्म हो जाए। अन्यथा मंडियों में पड़ा धान का वजन कम होगा। इसका नुकसान आढ़तियों को अधिक होगा।
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अधिकारी करते है सरकार को गुमराह :
जिला खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी की धान खरीद में मुख्य भूमिका रहती है। ऐसे में हर बार इस विभाग के अधिकारी सरकार को गुमराह करते है। एक तो उठान का ठेका अधिक रेट पर देते हुए सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाते है, वहीं खरीद में भी गड़बड़ी करते है। जबकि धान खरीद में कई अन्य एजेंसी भी शामिल होती है, लेकिन सरकार ने खाद्य आपूर्ति विभाग पर इसकी जिम्मेदारी दी हुई है। ऐसे में गड़बड़ी अधिक होती है। हर बार सीजन में परेशानी आती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। इसकी वजह है कि फतेहाबाद में इस विभाग के अधिकारी लंबे समय से फतेहाबाद में जमे हुए है। खाद्य आपूर्ति विभाग के नियंत्रक विनीत जैन का पहले एक मामले में तबादला फतेहाबाद से भिवानी कर दिया था, लेकिन अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते चंद दिनों में फतेहाबाद वापस आ गए। ऐसा ही दूसरे कर्मचारियों के साथ है।
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हम अनाज मंडियों से अपने राइस मिल तक धान का उठान करने के लिए तैयार है। ठेकेदार को जो टेंडर दिया है उसके आधे रेट में। इससे सरकार को कई फायदे होंगे। वहीं मंडियों में उठान की परेशानी नहीं आएगी। लेकिन अधिकारी व्यक्तिगत लाभ के चलते ऐसा होने नहीं दे रहे।
- सुरेश जिदल, राइस मिलर्स एवं वरिष्ठ पदाधिकारी राइस मिलर्स एसोसिएशन।
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अभी हमारा व सरकार के बीच नहीं हुआ एग्रीमेंट : प्रधान
अभी हमारा व सरकार के बीच धान को लेकर एग्रीमेंट नहीं हुआ। सरकार ने मिलर्स को आवंटित होने वाले स्टाक का 5 फीसद बैंक गांरटी मांगी है। जो 40 से 60 लाख रुपये तक बनती है। मिलर्स ये गांरटी देने में असमर्थ है। इसके अलावा हमारी मांग है कि जिले के साथ लगते हुए पंजाब के किसानों को भी फतेहाबाद की मंडियों में धान बेचने की छूट मिले। उनकी फतेहाबाद में ही आढ़त है।
- सुशील उर्फ मोंटू अरोड़ा, जिलाध्यक्ष, राइस मिलर्स एसोसिएशन।
------------------------------ हमारी तरफ से तैयारी पूरी है। उठान का ठेका दे दिया। मैंने खुद टोहाना, धारसूल सहित कई अनाज मंडियों में धान की खरीद शुरू करवाई। राइस मिलर्स व सरकार का मामला बड़े स्तर का है। मेरी जिम्मेदारी जिले स्तर की है। यहां पर न गत वर्ष परेशानी आने दी न ही इस वर्ष।
- विनीत जैन, जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक।