डीएपी में मिलावट की आंशका, शिकायत के बाद भी अधिकारी नहीं ले रहे सैंपल
जागरण संवाददाता फतेहाबाद किसानों की माली हालत अच्छे बीज उर्वरक व पेस्टीसाइड मिलने पर
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : किसानों की माली हालत अच्छे बीज, उर्वरक व पेस्टीसाइड मिलने पर ही सुधरेगी। किसान को सही से ये सामान मिले। इसके लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग बनाया हुआ है। उसमें बतौर दो-दो स्पेशल अधिकारी नियुक्त किए हुए हैं। परंतु उसके बाद भी अधिकारियों की निगरानी के अभाव के चलते किसानों को सही खाद व बीज नहीं मिल रहे। हद तो यह है कि किसान की शिकायत के बाद भी अधिकारी सैंपल नहीं ले रहे। इससे किसान हताश हैं। किसानों का कहना है कि सैंपल कार्य तो कृषि विभाग के अधिकारियों को व्यापारियों के गोदामों में जाकर लेना चाहिए। लेकिन ये तो शिकायत देने बाद भी सैंपल नहीं ले रहे। गांव मताना के किसान वजीर सहारण ने बताया कि वह गत 25 जून को उसने शहर की मित्तल पेस्टीसाइड नामक फर्म संचालक से 20 बैग यूरिया लेकर गया। प्रति बैग उसे 1180 रुपये का दिया, जबकि बिल 1150 रुपये का काटा। इसके बाद इन बैग का छिड़काव धान में किया। वहीं नरमे में भी बिजाई की। लेकिन किसी प्रकार का फायदा होता नहीं दिखा। किसान ने आरोप लगाया कि डीएपी का धान में छिड़काव करने के कुछ देर बाद ऐसा लगने लगा कि काले तेल का छिड़काव किया हुआ है। इसके बाद डीएपी को डिब्बे में घोला तो काले तेल की तरह चिकनाई आ गई। गत मंगलवार को कृषि विभाग के अधिकारियों को शिकायत देकर मांग की थी कि डीएपी के सैंपल लेकर संबंधित फर्म संचालक पर कार्रवाई की जाए। कार्रवाई तो दूर डीएपी के अधिकारी पिछले सात दिनों से सैंपल ही नहीं ले रहे।
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गोदाम में नहीं मिली डीएपी, किसान दो बार लेकर आया बैग
वजीर ने बताया कि उसके शिकायत देने के बाद अधिकारी फर्म संचालक के गोदाम में गए। लेकिन फर्म संचालक के गोदाम में डीएपी नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे उसके फार्म से सैंपल लें। लेकिन अधिकारी बोले-फार्म से सैंपल नहीं ले सकते। ऐसे में वह बचे हुए चार बैग को दो बार अधिकारियों के पास लेकर आया, लेकिन अभी तक उन्होंने सैंपल तक नहीं लिए।
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जिले में 300 से 400 करोड़ का कारोबार :
जिले में अकेले खरीफ सीजन में 300 से लेकर 400 करोड़ रुपये का पेस्टीसाइड व उर्वरकों का कारोबार होता है। जिले में 2 लाख 60 हजार एकड़ में धान की खेती है। वहीं 1 लाख 80 हजार एकड़ में कॉटन की बुआई की हुई है। दोनों फसलों में ही किसान प्रति एकड़ 8 से 10 हजार रुपये की खाद उर्वरक व कीटनाशक का छिड़काव कर देते हैं। वहीं 1 लाख एकड़ में मूंगफली, बाजरा, गन्ना व ग्वार सहित अन्य फसल बोई हुई हैं। पेस्टीसाइड विक्रेता अजय कहते हैं कि जिले में सबसे अधिक कारोबार इसका ही होता है। अधिकारी भी सही काम कर रहा है उसे पेस्टीसाइड संचालक को अधिक परेशान करते हैं। शहर के बड़े कारोबारी के सैंपल तक नहीं भरे जाते।
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सिगल सुपर फास्फोरस से तैयार करते हैं डीएपी
सेवानिवृत्त कृषि अधिकारी राजवीर बताते हैं कि सिगल सुपर फास्फोरस यानी एसएसपी से डीएसपी तैयार की जाती है। इसकी वजह है कि एसएसपी भूरे रंग की होती है। डीएपी काले रंग की। दोनों का दाना समान होता है। भूरे रंग को काला करने के लिए उसमें केमिकल मिला दिया जाता है। परंतु एसएसपी का मूल्य करीब 400 रुपये है, वहीं डीएपी 1150 से लेकर 1200 रुपये तक बिक रही है। एसएसपी का रंग काला करने के बाद आसानी से किसान इसका अंतर नहीं समझ पाते। वहीं डूप्लीगेट एसएसपी के साथ यूरिया का छिड़काव करने से सीधी डीएपी से अधिक किसान को फायदा मिलता है। इससे किसान भी खुश व नकली माल बेचने वाला भी खुश। लेकिन गड़बड़ी तब पकड़ी जाती है जब किसान सिर्फ नकली डीएपी अकेले छिड़काव कर देता है।
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डीएपी में मौजूद तत्व फीसद में
नाइट्रोजन की मात्रा : 18
फास्फोरस की मात्रा : 46
सल्फर की मात्रा : 0
कैल्शियम की मात्रा : 0
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एसएसपी में मौजूद तत्व फीसद में
नाइट्रोजन की मात्रा : 0 फीसद
फास्फोरस : 16 फीसद
सल्फर की मात्रा : 11 फीसद
कैल्शियम : 19 फीसद
जिक : 1 फीसद
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वर्जन्:::::::
किसान वजीर की शिकायत मेरे पास गत शुक्रवार को आई थी। ऐसे में सैंपल मौसम साफ होने के बाद भरा जाएगा। लेकिन पिछले कुछ दिनों से बारिश हो रही है। ऐसे में सैंपल नहीं भरा गया। सैंपल लेने के तीन दिन बाद उसकी टेस्टिग जरूरी है। बुधवार को मौसम साफ रहा तो सैंपल ले लिए जाएंगे।
- महावीर सिंह सोढ़ी, गुणवत्ता नियंत्रक अधिकारी, कृषि विभाग फतेहाबाद।