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बिना ठिकाने करोड़ों का गोलमाल कर गई कंपनियां

धोखाधड़ी करने वाली फर्जी कंपनियों के एजेंटों में लोगों को ल

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 11:01 PM (IST)
बिना ठिकाने करोड़ों का गोलमाल कर गई कंपनियां
बिना ठिकाने करोड़ों का गोलमाल कर गई कंपनियां

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद: धोखाधड़ी करने वाली फर्जी कंपनियों के एजेंटों में लोगों को लुभाने का टेलेंट गजब का है। फतेहाबाद में वीडीएसटी समेत तीन कंपनियों के खिलाफ धोखाधड़ी के केस दर्ज हुए हैं। इनमें दो कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने फतेहाबाद में बिना कोई ठिकाना बनाए लोगों को अपने जाल में फंसाया और करोड़ों रुपये का गोलमाल कर गई। फ्यूचर मेकर व ट्रेडमार्ट। दोनों ही कंपनियों के काम करने का ढंग एक जैसा है। इनमें से किसी भी कंपनी का फतेहाबाद को कोई कार्यालय नहीं था। दोनों कंपनियों के सिर्फ एजेंट ही घूमते थे। इन एजेंटों ने अन्य कंपनियों के एजेंटों की तरह कभी काम नहीं किया। न तो कभी टाई बेल्ट लगाई और न ही लेपटॉप उठाया। जैसा कि एजेंट किया करते हैं। लोगों को निवेश के लिए प्रेरित करने का अपना एक अंदाज होता है। जहां भी चार लोगों की महफिल में खड़े होते हैं, कंपनी का जिक्र करते हैं। उसके बाद अपने मोबाइल के मैसेज दिखाकर खुद को उदाहरण के रूप में पेश करते हैं। वे लोगों को लुभाने के लिए दिखाते हैं कि मेरे खाते में हर महीने इस तरह रुपये आते हैं। साथ में यह भी कहते हैं कि मैं भी पहले आपकी तरह सोचता था, लेकिन कंपनी में रुपये निवेश किए तो लाखों का मुनाफा कमाया। कोई भी बैंक या बीमा कंपनी साल में रुपये डबल करने की बात नहीं करती। लेकिन इन कंपनियों के एजेंट चार गुना तक का लालच देते हैं। चार गुना कमाई का लालच आते ही निवेशक रुपये लुटाने को तैयार हो जाते हैं।

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कंपनी ने बांटी गाड़ियां और बुलेट बाइक ताकि आकर्षित हो लोग

फ्यूचर मेकर कंपनी ने लोगों के बीच यह दिखाना था कि इस कंपनी से जुड़कर लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं। इसके लिए कंपनी ने कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित कर अपने एजेंटों को महंगी गाड़ियां व बुलेट मोटरसाइकिल भी उपहार में दिए। यह करना कंपनी प्रतिनिधियों के लिए बहुत आसान था। क्योंकि कंपनी में रोजाना करोड़ों रुपये आ रहे थे। लग्जरी गाड़ियां आसान किस्तों में मिल जाती हैं। शुरू में कुछ रुपये कंपनी की तरफ से भर दिए गए। इसके बाद किस्तें बनवा ली गई। अब किस्तें एजेंटों को भरनी पड़ेंगी। संभावना यही है कि एजेंटों से किस्तों का भुगतान नहीं हो पाएगा। उस स्थिति में फाइनेंस कंपनियां अपनी गाड़ियां उठा लेंगी।

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निवेश की बात छिपा रहे अधिकारी

ऐसा नहीं कि कंपनी ने भोले भाले व अशिक्षित लोगों से ठगी की हो। इन कंपनियों में उन्हीें लोगों ने निवेश किया हुआ है, जो बहुत तेज तर्रार व लालची हैं। निवेशकों को यह भी पता था कि इस धंधे में सौ फीसद जोखिम है और राशि डूब सकती है। मगर यह जानते हुए भी उन्होंने निवेश किया। खुद से समझौता कर लिया कि अगर रुपये आ गए तो ठीक है, अन्यथा यह समझ लेंगे कि जुआ खेला था। यही बात निवेशक अभी भी कह रहे हैं। कई बड़े अफसरों व कर्मचारियों ने रुपये निवेश किए थे। वे खुद ही लोगों से यह बात छुपा रहे हैं कि उनके रुपये डूब चुके हैं।

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अब शिकायत देने से हिचकिचा रहे निवेशक

जिले में निवेशकों की संख्या हजारों में हैं। उनमें बुद्धिजीवी भी शामिल हैं। एसपी दीपक सहारण ने अपील की है कि ठगी के शिकार लोग शिकायत दें। लेकिन अब लोग शिकायत देने से कतरा रहे हैं। पुलिस के पास दस शिकायतें भी नहीं आई हैं। निवेशकों के पास कोई दस्तावेज तक नहीं है, जिसके आधार पर क्लेम कर सकें। कई लोगों ने लाखों रुपये निवेश किए हुए थे। वे इस बात से डरे हुए हैं कि शिकायत दी तो रुपयों का स्त्रोत बताना पड़ेगा।


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