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कोयले के दाम बढ़ने से ईंट-भट्ठे उद्योग पर छाए संकट के बादल

जागरण टीम फतेहाबाद कोयले के दाम बढ़ने से ईट-भट्ठा उद्योग पर संकट के बादल छा गये है

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 10:40 PM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 10:40 PM (IST)
कोयले के दाम बढ़ने से ईंट-भट्ठे उद्योग पर छाए संकट के बादल
कोयले के दाम बढ़ने से ईंट-भट्ठे उद्योग पर छाए संकट के बादल

जागरण टीम, फतेहाबाद :

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कोयले के दाम बढ़ने से ईट-भट्ठा उद्योग पर संकट के बादल छा गये है। जिसके चलते ईंट-भट्ठा मालिकों ने अपने-अपने भट्ठे बंद कर दिये है। जिससे भट्ठो मजदूरों की स्थिति पर दयनीय होने से वह भी बेरोजगार हो गये है। पिछले कई माह से कोयले के दाम 6500 रुपये टन होने के कारण ईंट के भाव 5200 रुपये प्रति हजार बिक रही थी। अचानक कोयले के दाम लगभग चार गुणा बढ़ने से अब इस धंधे पर संकट के बादल छाने से भठा मालिक व भट्ठा मजदूर बेरोजगार होकर रह गये है। जबकि कोयले के दाम 23 हजार रुपये प्रति टन होने के कारण अब ईंटों के दाम भी 8 से 10 हजार रुपये प्रति एक हजार ईंट होने से आम व गरीब आदमी को अपना आशीयाना बनाना मुश्किल हो जाएगा। जबकि आमजन पहले ही डीजल-पेट्रोल आदि के दाम बढ़ने से महंगाई की मार झेल रहा है।

यदि सरकार ने सस्ते भाव में भट्ठा संचालकों को कोयला उपलब्ध नहीं करवाया तो आने वाले समय में यह भठ्ठे बंद हो जाएंगे। इन भट्ठो पर उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड सहित स्थानीय भठा मजदूरर कार्य कर अपनी आजीविका चलाते थे। यह धंध बंद होने की स्थिति में उनके सामने भी बेरोजगारी संकट पैदा हो गया है।

उल्लेखनीय है कि ईंट भठ्ठे 1 अक्टूबर से चलाये जाने थे, लेकिन कोयले के अनाप-शनाप बढ़े दामों के कारण भठ्ठा उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हो गया है, जिसके चलते इतना मंहगा कोयला खरीद कर ईंट बेचना मुनासिब ना समझे जाने के बाद भट्ठा संचालकों ने ईंट भठ्ठे बंद रखने का निर्णय लिया है। जिसके चलते आने वाले समय में अपना मकान या भवन आदि का निर्माण करने वालों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। एक भट्ठे पर 10 टन कोयले की जरूरत

एक भट्ठे पर लगभग दस टन कोयले की खपत होती है। 23 हजार रुपये प्रति टन कोयला खरीदने के उपरांत इतनी महंगी ईंटे नहीं बिकेंगी। सरकार यदि भट्ठा संचालकों को सस्ते भाव में कोयला उपलब्ध करवाये, तो इससे भट्ठा उद्योग व भठ्ठा मजदूरों पर आया संकट टाला जा सकेगा। वहीं उन्होंने ईंटों पर जीएसटी पांच फीसद से बढ़ाकर 12 फीसद करने को भी गलत ठहराया।

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भट्ठा मालिकों को कोयल नहीं मिल रहा है। ऐसे में दूसरे विकल्प से ईंटे पकाई जा रही है। लकड़ी का सहारा लिया जा रहा है। लेकिन फिर भी कुछ कोयले की जरूरत है, लेकिन वो भी नहीं मिल रहा है।

रमेश कुमार डुल्ट, भट्ठा एसोसिएशन, टोहाना।

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एक नजर आंकड़ों पर :

जिले में ईंट भट्ठे - 82

चालू भट्ठे - 48

तैयार ईंटे - 40 लाख लगभग

मजदूर - 80 मजदूर प्रत्येक भट्ठा


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