जमीन पर बेसुध पड़ा नागरिक अस्पताल
मणिकांत मयंक फतेहाबाद करीब डेढ़ दशक पहले से चली आ रही अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न
मणिकांत मयंक, फतेहाबाद : करीब डेढ़ दशक पहले से चली आ रही अत्याधुनिक सुविधाओं से संपन्न बहुआयामी नागरिक अस्पताल बनाने की कोशिशें अब तक नाकाम ही हैं। प्रस्ताव-दर-प्रस्ताव..। क्रियान्वयन स्तर पर सिफर..। एक का ठीकरा दूसरे विभाग के सिर पर फोड़ने का सनातनी सरकारी फितरत..। मिसाल-सी बन गई है नागरिकों की बेहतर सेहत से बेपरवाह सरकारी बाबुओं की हीलाहवाली। एक बार फिर नए सिरे से जमीन की कवायद। जिला प्रशासन ने डेढ़ माह पहले हरियाणा शहरी विकास प्राधिकार से जमीन मुहैया करवाने की गुजारिश की, नया प्रस्ताव भी भेजा, पर नतीजा ढाक के तीन पात। आम नागरिकों की सेहत सुधारने वाला अस्पताल अभी निर्माण स्टेज में ही जमीन पर बेसुध पड़ा है। उच्चाधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं। ऐसा तब है जबकि नींद से जागे सेहत महकमा ने नए सिरे से पहल की है। महकमे ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण अर्थात हुडा से रिवाइज्ड प्रपोजल के तहत 300 बिस्तरों के प्रस्तावित नागरिक अस्पताल के लिए जमीन का आग्रह किया है। हुडा से विकल्प के तौर पर एडिशनल लैंड की भी मांग की गई है। सेहत महकमा के अनुसार, हुडा ने इसे अंडर कंसिडरेशन रखा है। डेढ़ माह से कंसिडर नहीं हुआ है। बेपरवाही की पराकाष्ठा देखिए कि खुद उपायुक्त ने भी इस संदर्भ में हुडा के स्टेट अधिकारी जैसे बड़े बाबुओं से बात की थी। मगर अब तक फाइल लटकी ही है। ऐसी उम्मीद थी कि सेक्टर-9 में 14 एकड़ जमीन में इस साल नए अस्पताल की नींव रख दी जाएगी। लेकिन पहले की प्रस्तावित जमीन के करीब दो-तिहाई हिस्से से गुजरती हाईटेंशन की तारें हटाना टेढ़ी खीर है। इसी वजह से नए सिरे से प्रस्ताव भेजा गया है। यहां यह बता दें कि करीब डेढ़ दशक में चार घोषणाएं हवा-हवाई ही साबित हुई हैं। हां, इन घोषणाओं में बिस्तरों की संख्या जरूर 300 तक जा पहुंची। कई प्रस्ताव जमीन व निर्माण में उलझे इन बिस्तरों पर दम तोड़ गए। बहरहाल, जमीन पर बेसुध पड़ा 300 बिस्तरों का नागरिक अस्पताल अभी आमजन की पहुंच से मीलों दूर है।
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यूं चलती रहीं गतिविधियां
- 2006 में तत्कालीन सरकार ने 50 बिस्तर के अस्पताल को 100 बेड का अस्पताल बनाने की घोषणा की थी।
- 2009 में सरकार ने हुडा सेक्टर में 14.75 एकड़ जमीन प्रस्तावित कर दी।
- 2011 में अस्पताल की बिल्डिग के लिए नक्शा तैयार किया गया लेकिन रद कर दिया गया।
- 2012 में फिर नक्शा बनाया गया लेकिन कागजों में ही अटका रहा।
- 2014 में फिर नक्शा तैयार किया गया लेकिन सरकार ने इसे रद कर दिया।
- 2015 में भाजपा सरकार ने 100 बेड के अस्पताल की घोषणा की। नक्शा भेजा गया, तकनीकी खामियां बताकर रद कर दिया गया।
- 2016 में प्राइवेट एजेंसी ने नक्शा बनाया लेकिन मुख्यालय ने रद कर दिया।
- 2017 में फिर नक्शा तैयार किया गया लेकिन 200 बेड का बनाने की घोषणा को लेकर रद कर दिया गया।
- 2018 में दोबारा नक्शा तैयार किया गया और बजट के एस्टीमेट के लिए लोक निर्माण विभाग के पास भेजा गया। 150 करोड़ रुपये का बजट एस्टीमेट लोक निर्माण विभाग ने तैयार करके दिया लेकिन मुख्यालय ने इसे रद कर दिया।
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वर्जन:::::::::::
हमने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से जमीन के लिए निवेदन किया है। मामला अभी हुडा के पास विचाराधीन है। जैसे ही जमीन की प्रक्रिया पूरी होगी, आगे की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। उम्मीद है कि इसकी आधारशिला आने वाले समय में जरूर रखी जाएगी।
- डा. मनीष बंसल, सिविल सर्जन फतेहाबाद।
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वर्जन:::::::::::
हमारे पास तो स्टेट आफिसर के जरिए ही जमीन संबंधी दिशा-निर्देश आएगा। अगर ले-आउट प्लान में मार्क किया गया है तो दिक्कत नहीं आएगी। सेहत के मामले में सरकार भी संवेदनशील है।
-अमरजीत सिंह मान, हुडा एडमिनिस्ट्रेटर हिसार।