शिक्षा व स्वास्थ्य में पिछड़ा जिला, अग्रोहा कालेज बने एम्स
जागरण संवाददाता फतेहाबाद जिला अदालत के प्रांगण में स्थित वकीलों के लिए बना बड़ा हॉल।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
जिला अदालत के प्रांगण में स्थित वकीलों के लिए बना बड़ा हॉल। दोपहर एक से डेढ़ बजे का समय। लंच टाइम में अधिवक्ता चाय की चुस्कियों के साथ चुनावी चर्चा करते हुए। हॉल के एक तरफ कई वकीलों में जोर-शोर से बहस चल रही है। बहस में अहम मुद्दा यह कि जब सरपंच बनने के लिए सरकार ने शैक्षणिक योग्यता दसवीं कर दी तो विधायक बनने के लिए उम्मीदवार स्नातक होना ही चाहिए। इतना ही नहीं, सरकार ने चपरासी भर्ती किए थे तो उनके मेडिकल भी करवाए गए, लेकिन अब तो विधायक बनने के लिए किसी प्रकार एनओसी अनिवार्य न ही शिक्षा।
बार के एसोसिएशन के पूर्व सचिव ईश्वर सिहाग ने कहा कि सरकार न्यायपालिका में सुधार करें। जिला स्तर के जजों को भी हाई कोर्ट में न्यायधीश बनने का मौका मिलना चाहिए। उनकी मांग है कि जिला स्तर की अदालत में जो जज बढि़या कार्य करें, उसे हाई कोर्ट में भी मौका मिलना ही चाहिए। कोई भी सरकारी विभाग हो। उसमें सरकारी कर्मचारियों के काम की कद्र हो। न की जाति व आयु की।
वहीं, अधिवक्ता हिमांशु धमीजा ने कहा कि प्रत्याशी निर्धारित खर्च सीमा से कई गुणा अधिक रुपये चुनावों में लगाते हैं। जिन अधिकारी को इन पर निगरानी रखनी होती है वे तो राजनेताओं के अधीन कार्य करने वाले ही होते हैं। ऐसे में, करोड़ों रुपये उम्मीदवार लगा देता है फिर भी उसे हजारों रुपये ही दिखाते हैं। इसलिए चुनाव निष्पक्ष करवाने के लिए जरूरी है कि चुनावों में निगरानी रखने के लिए सीए, वकील व पत्रकारों को भी निगरानी कमेटी में शामिल किया जाए। वहीं, अधिवक्ता लवप्रीत मेहता, विकास शर्मा व अंकुश बंसल ने कहा कि जिला शिक्षा व स्वास्थ्य में पिछड़ा हुआ है। जिला मुख्यालय में सरकारी कालेज तक नहीं है। ऐसे में जो राजनीतिक पार्टी फतेहाबाद में सरकारी कालेज व अग्रोहा मेडीकल कालेज को एम्स बनाने की घोषणा करेगी। हम उस पार्टी को ही वोट देंगे। अग्रोहा मेडिकल कालेज 267 एकड़ जमीन पर बना हुआ हैं। उसके बाद जब भी फतेहाबाद से दुर्घटना में घायल मरीज अग्रोहा मेडिकल कालेज में रेफर किया जाता है। तो वहां पर भी उपचार करने की बजाए उसे रेफर ही किया जाता है। निजी संस्था के पदाधिकारी सरकार से सस्ती जमीन आवंटित करवाकर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं दे रहे।
वादे पूरे नहीं करते नेता
चर्चा में भाग लते अधिवक्ता शन्नी राठौर व मुकेश मुंड ने कहा कि सबसे जरूरी हैं कि चुनावों में जो पार्टी घोषणा पत्र जारी करती है वो सत्यापित पत्र होना चाहिए। राजनेता सत्ता में आने के लिए अक्सर झूठे वादे करते हैं जबकि उनके वादे किसी भी हालत में पूरा होने वाले नहीं होते। ऐसे में वे सत्यापित पत्र दे कि यदि वे वादे पूरे नहीं करते तो उनकी प्रॉपर्टी अटैच करते हुए वादे पूरे किए जाएंगे।
वकीलों की सुरक्षा के लिए संरक्षण कानून भी बनाया जाए
वहीं, अधिवक्ता दीपांशु सिगला व सोहन कुमार ने कहा कि सरकार वकीलों की तरफ भी ध्यान दे। वकीलों को टोल में छूट मिलनी चाहिए। वकीलों की सुरक्षा के लिए संरक्षण कानून भी बनाना चाहिए। उनके स्वास्थ्य के लिए भी हेल्थ बीमा सरकार करवाएं।