ऑटो मार्केट की दुकानों का नहीं आ रहा किराया, बकाया पड़ा छह करोड़, नप में वित्तीय संकट
विनोद कुमार फतेहाबाद पिछले कुछ दिनों से नगरपरिषद वित्तीय संकट से गुजर रहा है। इस
विनोद कुमार, फतेहाबाद :
पिछले कुछ दिनों से नगरपरिषद वित्तीय संकट से गुजर रहा है। इस संकट में लाने वाले खुद अधिकारी है। किराया वसूलने के लिए कोई योजना तक नहीं है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि किस दुकानदार से कितने रुपये लेने है, इसकी लिस्ट भी पिछले दो सालों से पेंडिग हैं। ऐसे में कैसे किराये की वसूली होगी। ऑटो मार्केट की दुकानों का जिक्र करे तो नप को करीब छह करोड़ रुपये का किराया वसूलना है। लेकिन जिस तरह अधिकारियों की कार्यशैली है उससे लग नहीं रहा है कि यह वसूली हो पाएगी। चाहे जो भी है। अगर समय रहते नप ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया तो अधिकारियों व कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ जाएंगे।
2018 में नगरपरिषद के तत्कालीन अधिकारियों ने करीब 28 लाख रुपये का किराया माफ कर दिया। जिसकी शिकायत कुछ पार्षदों ने उच्चाधिकारियों को कर दी। जिसके बाद पंचकुला से एक स्पेशल टीम भी जांच करने के लिए आई थी। जांच में सामने आया था कि अधिकारियों ने ऐसा किया है। दो सालों से इसकी जांच भी चल रही है। यह जांच कब पूरी होगी या फिर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है अधिकारी बताने से इन्कार कर रहे है।
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जांच रिपोर्ट का आज भी इंतजार
ऑटो मार्केट से किराया न आने का मुख्य कारण पार्षदों की खुद की दुकानें होना है। यहीं कारण है कि हर बैठक में ऑटो मार्केट की दुकानों के किराये पर कोई नहीं बोल रहा है। अगर बोलता तो उन्हें भी किराया भरना पड़ता। लेकिन शहर के विकास के लिए किराया आना जरूरी है। 2018 में पार्षदों द्वारा किराया माफ करने के बाद उस समय ईओ का तबादला भी कर दिया गया था और जांच भी बैठ दी। जिसकी रिपोर्ट का इंतजार आज भी है।
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भवन निर्माण अधिकारी ने रोकीं फाइलें
शहर की आटो मार्केट विवादों की मार्केट बन चुकी है। यहां की दुकानें तो न नगर परिषद को रास आ रही और न ही दुकानदारों को कोई सुकून है। कोई दुकानदार किराये से परेशान है तो कोई दुकानदार नगर परिषद से तंग है। कई दुकानों को लेकर कोर्ट में विवाद चल रहा है। कुछ दुकानदार तो इतने परेशान थे कि दुकानें ही सरेंडर कर दी। अब नई परेशानी ये सामने आ रही है कि दुकानों की रजिस्ट्री नहीं हो पा रही। करीब 100 दुकानदार हैं, जिन्होंने अपने नाम दुकानें अलाट तो करवा ली, लेकिन उनके नाम अब रजिस्ट्री नहीं हो रही। अधिकारी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है। वहीं भवन निर्माण अधिकारी के पास भी कई फाइलें अटकी हैं। जब तक फाइल आगे नहीं बढ़ेगी तब तक कुछ नहीं हो सकता।
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ऑटो मार्केट में भी छाई मंदी
आटो मार्केट में महज 30 फीसद दुकानदार ही हैं, जिनका अच्छा काम चल रहा है। कई दुकानें तो खाली पड़ी हैं। नगरपरिषद की ओर से बोली के समय सफल बोलीदाता से दो लाख रुपये से चार लाख रुपये तक सिक्योरिटी राशि जमा करवाई थी। दुकानों का किराया साइज के हिसाब 2 हजार रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक है, जो कि हर महीने जमा करवाना होता है। यदि दुकानदार किराये का भुगतान किए बिना दुकान सरेंडर करता है तो वह सिक्योरिटी राशि जब्त हो जाती है। मासिक किराया के साथ नगरपरिषद 15 फीसद सर्विस टैक्स भी वसूलता है। इसके अलावा 1 से 7 तारीख के बीच किराया न भरने पर 12 फीसद जुर्माना लगाया जाता है। हर 5 साल बाद किराया में 25 फीसद बढ़ोतरी की जाता है।
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आंकड़ों पर एक नजर
ऑटो मार्केट में दुकानें : 410
नप की दुकानें : 91
दुकानों का केस चल रहा : 20
दुकानें अलॉट की गई : 299
किराया बकाया : 6 करोड़
कितने सालों से नहीं आ रहा किराया : 6 साल
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मेरे आने से पहले ही किराया नहीं आ रहा है। अगले कुछ दिनों में इसकी योजना बनाई जाएगी। कुछ दुकानदारों की रजिस्ट्री रूकी हुई। अधिकारियों व कर्मचारियों की बैठक ली जाएगी। ऑटो मार्केट के जो दुकानदार किराया नहीं देगा उसे नोटिस जारी किया जाएगा। अगर नप को कोर्ट में भी जाना पड़ेगा तो वो जाएंगे।
जितेंद्र कुमार,
ईओ, नगरपरिषद, फतेहाबाद।