Move to Jagran APP

अनुदान बंद किया तो पशुओं का बीमा हुआ 13 गुणा महंगा, पशुपालक परेशान , पहले होता था 100 रुपये में बीमा, अब 1290 रुपये में

फतेहाबाद प्रदेश सरकार ने पशुधन बीमा योजना के प्रीमियम पर अनुदान देना बंद कर दिया। ऐसे मे

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 11:14 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 11:14 PM (IST)
अनुदान बंद किया तो पशुओं का बीमा हुआ 13 गुणा महंगा, पशुपालक परेशान , पहले होता था 100 रुपये में बीमा, अब 1290 रुपये में
अनुदान बंद किया तो पशुओं का बीमा हुआ 13 गुणा महंगा, पशुपालक परेशान , पहले होता था 100 रुपये में बीमा, अब 1290 रुपये में

फतेहाबाद : प्रदेश सरकार ने पशुधन बीमा योजना के प्रीमियम पर अनुदान देना बंद कर दिया। ऐसे में अब पशुओं का बीमा 13 गुणा महंगा हो गया। इससे हजारों पशुपालक परेशान हैं। जब सरकार प्रीमियम पर अनुदान देती थी तब महज 100 रुपये में पशुओं का 80 हजार रुपये तक का बीमा हो जाता था। लेकिन अब ऐसा नहीं हैं। किसी पशुपालक को अपने दुधारू पशु का बीमा करवाना है तो उसे 1290 रुपये का प्रीमियम भरना होगा। तभी बीमा होगा। प्रदेश में पशुधन को जोखिम मुक्त करने के लिए सरकार ने पशुधन बीमा योजना शुरू किया था। तीन वर्ष तक तक चली इस योजना में कोई भी पशुपालक अपने पांच पशुओं तक महज 100 रुपये में एक वर्ष के लिए अपने पशु का बीमा करवा सकते थे। इसका बड़ी संख्या में पशुपालकों ने अपना बीमा करवाया। उन्हें इसका लाभ भी मिला। अनुसूचित जाति के पशुपालकों के लिए योजना पूरी तरह निशुल्क थी। पशुपालन विभाग के अनुसार जिले के 15 हजार से अधिक पशुओं का बीमा करवाया हुआ हैं। बैल व ऊंट का भी बीमा :

prime article banner

बीमा हो तो किसी भी परिस्थितियों में पशु की आकस्मिक मौत होती है तो पशुपालक को लाभ मिलता है। जिले में अब तक 100 से अधिक किसानों को इस योजना के तहत लाभ मिल चुका हैं। जबकि 200 के करीब लोगों का बीमा मंजूर हो गया हैं। जिनको जल्द ही बीमे की राशि दी जाएगी। पशुधन बीमा योजना में दुधारू पशुओं के साथ भारवाहक पशु ऊंट, बैल का बीमा का भी प्रावधान था। इसके अलावा बकरी, भेड व सूअर का बीमा तो महज 25 रुपये में होता था। इनके मरने पर मुआवजा पशुपालकों को मिला है। सरकार ने इनको अन्य पशुओं के वर्ग में शामिल किया।

--

पशु चिकित्सक के मार्फत होता था बीमा :

सरकार जब प्रीमियम पर अनुदान देती थी, तब पशुओं का बीमा पशुपालन विभाग के मार्फत होता था। गांव के पशु अस्पताल में कार्यरत वीएलडीए व वीएस पशुओं की जांच करते हुए बीमा करते थे। वे ही पशु का मूल्य निर्धारित करते है। बीमा योजना में पशुओं की कीमत 60 हजार रुपये से लेकर 80 हजार रुपये तक निर्धारित करते हैं। वहीं जब पशु की आकस्मिक मौत पर भी वे उसकी कीमती निर्धारित करते हुए पशु का क्लेम भी मंजूर करवाते थे। बीमा तो हो रहा है, लेकिन प्रीमियम पर अनुदान नहीं : उपनिदेशक

पशुधन बीमा योजना के तहत जो प्रीमियम भरने पर अनुदान मिलता था, अब वो बंद है। इससे बीमा अब थोड़ा सा महंगा हो गया। मेरा किसानों से आग्रह है कि वे अपने एक-दो पशुओं का बीमा अवश्य करवाए। ताकि पशुपालन जोखिम फ्री हो सके। अनहोनी होने पर मदद मिल सके।

- डा. काशीराम, उपनिदेशक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.