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सदी-दर-सदी हर पल, विकास का सारथी बड़ोपल

चलो गांव की ओर - करीब पांच सौ साल पुराने गांव बड़ोपल में खूब बही विकास की बयार शिक्षा

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 07:07 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 07:07 AM (IST)
सदी-दर-सदी हर पल, विकास का सारथी बड़ोपल
सदी-दर-सदी हर पल, विकास का सारथी बड़ोपल

चलो गांव की ओर

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- करीब पांच सौ साल पुराने गांव बड़ोपल में खूब बही विकास की बयार, शिक्षा व स्वास्थ्य से लेकर तमाम सामाजिक सरोकार

फोटो : 16, 18, 20, 21

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : फतेहाबाद से महज 14 किलोमीटर दूर हिसार रोड पर स्थित गांव बड़ोपल। ऐतिहासिक होने के साथ राजनीतिक गांव भी रहा है। ऐतिहासिक इसलिए की गांव का इतिहास करीब 500 साल से अधिक पुराना है। गांव में सवा सौ साल पुराना तो सिचाई विभाग का विश्राम गृह। गांव में कई हवेलियां भी इससे पुरानी बनी हुई हैं। वहीं पूर्व गृह मंत्री स्वर्गीय मनीराम गोदारा का पैतृक गांव बड़ोपल तो है ही।

वर्तमान में करीब 20 हजार की आबादी वाले गांव में अब हर प्रकार की सुविधाएं मौजूद हैं। युवाओं के लिए बेहतरीन स्कूल के साथ खेलने के लिए मैदान, पार्क व जिम बनाई हुई है। वैसे यह बदलाव पिछले डेढ़ दशक में आया है। इसकी बदौलत गांव के युवाओं की सोच बदली। इसमें पंचायत का भी अहम योगदान रहा है। पिछले दो-तीन प्लान से गांव में पंचायत ने गांव में खूब विकास कार्य करवाए। इससे बड़ोपल की पूरे जिले में अलग पहचान बनी।

गांव बड़ोपल के समाजसेवी दारा सिंह बताते हैं कि गांव बड़ोपल विधानसभा हलका तो था ही। उस दौरान गांव में 30 से अधिक लोग ग्रेजुएट थे। इसके बाद राजनीतिक कारणों से गांव में सामाजिक सौहार्द बिगड़ गया। जो तीन दशक तक चला। हलका भी बड़ोपल की जगह भट्टू बन गया। गांव में नब्बे के दशक में गांव में सेम आने से हालत खराब हो गई। गांव में जो फैक्ट्रियां लगी हुईं थी। वे सौहार्द बिगड़ने व सेम आने से बंद हो गईं। इसके बाद बड़ी मुश्किल से गांव विकास की राह पकड़ी। हालांकि गोरखपुर गांव में बन रहा परमाणु संयंत्र के लिए बड़ोपल में आवासीय कालोनी बननी थी। लेकिन बाद में नहीं बन पाई। गांव के अनेक लोग कालोनी न बनने से दुखी हैं। उनका कहना है कि इससे गांव के विकास में मदद मिलती। हालांकि बिश्नोई बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते लोग इस कालोनी की जगह को वन्य जीवों के लिए छुड़वाने से अधिक खुश हैं। परंतु सरकार ने वन्य जीवों के लिए इसके बाद कार्य नहीं किया। इससे हिरणों की संख्या कम हो गई।

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गांव बड़ोपल के चर्चित चेहरे

गांव बड़ोपल मनीराम गोदारा का पैतृक गांव है। वर्तमान सरपंच प्रतिनिधि जोगिद्र पूनिया, ईएसआइसी सेवानिवृत्त निदेशक राम सिंह बिश्नोई, डीएसपी पिरथी सिंह, गांव के पूर्व सरपंच स्वर्गीय पिरथी सिंह गोदारा, पूर्व सरपंच व पूर्व पार्षद प्रतिनिधि पार्षद महावीर गोदारा, दीपचंद नंबरदार, पूर्व रणजी खिलाड़ी स्वर्गीय केरू, क्रिकेट खिलाड़ी हरिसिंह जागूं, महिला क्रिकेट खिलाड़ी वीना सैनी, स्वर्गीय रामू देहडू नंबरदार, स्वर्गीय लिछमण भादू, पर्यावरणविद विनोद कड़वासरा, डा. अजय गौतम, जीव प्रेमी स्वर्गीय कामरेड रामेश्वर व भूप सिंह जागूं प्रमुख हैं।

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बड़ोपल की गोशाला प्रदेश में आदर्श

गांव बड़ोपल में बनी श्री कृष्ण गोशाला प्रदेश की आदर्श गोशाला में एक है। गोशाला में अब करीब 2 हजार गोवंश हैं। गोशाला के प्रधान जगदीश थापन ने पिछले तीन वर्षों से गोवंश से गो उत्पादक तैयार कर रहे हैं। सोनीपत के रहने वाले योगाचार्य विरेंद्र आर्य गोशाला में ग्रामीणों को कई प्रकार के उत्पादन तैयार करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। अब 80 से अधिक प्रकार के उत्पादक गोशाला में बन रहे हैं। वहीं गोशाला की देशी गायों का घी 1500 रुपये प्रतिकिलोग्राम तक बिक रहा है। इसके लिए एडवांस में बुकिग रहती है।

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गांव में अदद बस अड्डे का अभाव, बाकी पूरी सुविधाएं : ग्रामीण

गांव बड़ोपल के प्रमुख समाजसेवी डा. सुंदर छिपा, अजय थापन, सुंदर बड़ोपलियां व संदीप जांगड़ा ने बताया कि गांव में अधिकांश सुविधाएं हैं। गांव में खूब विकास कार्य हो रहे हैं। बस गांव में एक बस अड्डे सरकार बना दे। इससे गांव बड़ोपल ही नहीं, आसपास के के 10 से अधिक गांवों को लाभ मिलेगा। इसलिए सरकार को ध्यान देना होगा।

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बड़ोपल कभी 77वां विधानसभा का हलका होता था

कम ही लोग जानते हैं कि गांव बड़ोपल कभी हलका होता था। ग्रामीण चुनाव की चर्चा करते हुए बताते हैं कि हरियाणा गठन के बाद 1967 में हुए पहले चुनाव में बड़ोपल का हलका था। तब प्रदेश में 81 हलके थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 90 हो गई। पहले फतेहाबाद में तीन ही हलके थे, उनमें फतेहाबाद, बड़ोपल, व टोहाना थे। उस समय बड़ोपल का हलका नंबर 77वां था। जहां उसी गांव के मनीराम गोदारा पहले विधायक बने। करीब दस साल तक गांव बड़ोपल हलका रहा। उसके बाद भट्टूकलां को हलका बनाया गया।

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गांव में खूब हुए विकास कार्य : पूनिया

पिछले 10 सालों में मैंने गांव में खूब विकास कार्य करवाए। गांव में अब सभी प्रकार की सुविधाएं हैं। अब मेरा प्रयास गांव में बस अड्डा बनाने का चल रहा है। इससे बड़ोपल के साथ लगते करीब 1 दर्जन गांवों के ग्रामीणों को फायदा मिलेगा। इसके लिए प्रस्ताव भेजा हुआ है। इसके अलावा गांव को उप तहसील का दर्जा दिलवाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे है।

- जोगिद्र पूनिया, सरपंच प्रतिनिधि, बड़ोपल।

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गांव में ये हैं सुविधाएं :

- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

- बिजली घर

- डाकघर

- दो बैंक व एटीएम

- 5 सरकारी स्कूल, जिसमें एक केंद्रीय विद्यालय संस्थान का स्कूल

- खेल स्टेडियम, व्यायामशाला व अत्याधुनिक जिम

- पुलिस चौकी

- पशु अस्पताल

- ग्राम ज्ञान भवन

- दो जलघर

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गांव की जनसंख्या : 20 हजार

गांव में वार्ड : 21

वोटर : 6850

गांव में स्कूल : 7


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