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ठुइया के अजीत ने एमटैक करने के बाद अपनाया झींगा मत्स्य पालन

राजेश भादू, फतेहाबाद गांव ठुइया के अजीत बेनीवाल झींगा मछली पालन करके प्रति वर्ष लाखो

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 10:52 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 10:52 PM (IST)
ठुइया के अजीत ने एमटैक करने के बाद अपनाया झींगा मत्स्य पालन
ठुइया के अजीत ने एमटैक करने के बाद अपनाया झींगा मत्स्य पालन

राजेश भादू, फतेहाबाद

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गांव ठुइया के अजीत बेनीवाल झींगा मछली पालन करके प्रति वर्ष लाखों रुपये कमा रहे हैं। ढाई एकड़ के तालाब से शुरुआत करने के बाद अब 10 एकड़ में तालाब में मछली पालन करने लगे हैं। उन्होंने अपने व्यवसाय को तीन वर्षो के अंदर चार गुणा बढ़ा दिया है। अब तो इन्होंने अपने साथी के साथ मिलकर 40 एकड़ जमीन और लीज पर ली है। जिसमें आगामी वर्ष से झींगा का उत्पादन शुरू करेंगे। अजीत के फार्म से झींगा मछली हरियाणा के अलावा राजस्थान, दिल्ली व पंजाब में सप्लाई होती हैं।

अजीत बेनीवाल ने बताया कि झींगा पालन की शुरुआत में राह आसान नहीं थी। उसने वर्ष 2015 में एमडीयू रोहतक से एमटेक की। पढ़ाई के दौरान ही उसकी एक प्राइवेट कंपनी में प्लेसमेंट हो गई, लेकिन उसने कंपनी में नौकरी नहीं की। जब घर आया तो उसने बताया कि वह मछलीपालन करना चाहता है। शुरुआत में उसके पिता राजवीर ने कहा कि जब लाखों रुपये लगाकर बीटेक व एमटेक कर ही ली तो अब नौकरी कर। नौकरी से ही परिवार का पालन पोषण होगा, लेकिन उन्होंने परिवारवालों को समझाकर अपने मेहूवाला के दोस्त जीतेंद्र सैनी के साथ मिलकर वर्ष 2016 में झींगा मत्स्य पालन शुरू कर दिया।

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सेम ग्रसित जमीन होने का मिला फायदा

अजीत ने बताया कि उसके परिवार के पास 10 एकड़ जमीन हैं। जिसमें से पांच एकड़ जमीन सेम प्रभावित थी। इसके चलते उस जमीन में कई वर्षों से किसी प्रकार की फसल नहीं हुई। उन्होंने वर्ष 2016 में ढाई एकड़ में एक तालाब बनाया। जिसमें झींगा उत्पादन शुरू कर दिया। पहले ही वर्ष अच्छी उपज हुई, तो ढाई एकड़ में और तालाब बना कर झींगा उत्पादन शुरू कर दिया। सेम के चलते जल स्तर ऊपर था। ऐसे में झींगा का बंपर उत्पादन हुआ। गत वर्ष उसके बाद पांच एकड़ जमीन लीज पर लेकर झींगा का पालन शुरू कर दिया। अब उसके पास 10 एकड़ में फार्म बना हुआ है।

------------------------ग्रामीणों को रोजगार मिला, तो सेम से भी मिली राहत

अजीत ने बताया कि उसने तालाब के लिए सबमर्सीबल ट्यूबवेल लगाए हुए है। 2015 से पहले उनके खेत में जलस्तर 1 फीट पर ही था, जो अब उसके तालाबों की वजह से 8 फीट पर चला गया है। इससे पड़ोसी किसान को सेम से छुटकारा मिल गया। मछली पालन से उसे खुद को रोजगार तो मिला ही है। इसके अलावा आसपास के गांवों के 10 युवा उसके फार्म में काम करते है। ऐसे में उन्हें भी रोजगार मिल गया।

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सेम प्रभावित क्षेत्र में झींगा मछली पालन करने वाले किसानों की आर्थिक दशा ही बदल गई है। झींगा के साथ साधारण मत्स्य पालन पर सरकार बहुत अधिक अनुदान दे रही है। मत्स्य पालन करने में परंपरागत खेती से अधिक बचत है। जिले में झींगा पालन के 22 तालाब चल रहे है। जागरूक एवं प्रगतिशील किसान लगातार झींगा मछली पालन को अपना रहे है।

- बलबीर कुमार, जिला मत्स्य अधिकारी।

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जिले में 20 हजार एकड़ जमीन सेम से ग्रसित

जिले में करीब 20 हजार एकड़ जमीन सेम से प्रभावित है। इसके चलते वहां पर परंपरागत खेती नहीं की जा सकती। मत्स्य विभाग के अधिकार बलवीर का कहना है कि सेम प्रभावित जमीन के झींगा पालन किसानों के लिए सबसे फायदेमंद खेती है। विभाग एक किसान को ढाई एकड़ में झींगा पालन करने पर 4 से 6 लाख रुपये अनुदान देता है।

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प्रोसे¨सग प्लांट लगाने की मांग

जिले में झींगा की खेती करने वाले किसान अनिल, अजीत, मनोज व पवन झाझड़ा की मांग है कि सरकार प्रदेश में कहीं भी एक झींगा मछली का प्रोसे¨सग प्लांट लगाए। कई बार इसके भाव काफी कम हो जाते है। उतर भारत में झींगा के लिए प्रोसे¨सग प्लांट कहीं नहीं है। प्रोसे¨सग के लिए दक्षिण भारत के राज्यों में भेजनी पड़ती है, जहां का परिवहन खर्च अधिक हो जाता है। किसानों का कहना है कि प्रदेश में कहीं भी प्रोसे¨सग प्लांट लग जाए तो प्रदेश झींगा उत्पादन करने के मामले में भी अग्रणी राज्य बन सकता हैं। इससे सेम प्रभावित किसानों की सभी प्रकार की समस्या हल हो जाएगी।


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