सरसों के अधिक उत्पादन को लेकर कृषि वैज्ञानिकों ने दी जानकारी
जागरण संवाददाता फतेहाबाद कृषि विज्ञान केन्द्र फतेहाबाद द्वारा जिले के गांव सिरढ़ान में स
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद :
कृषि विज्ञान केन्द्र फतेहाबाद द्वारा जिले के गांव सिरढ़ान में सरसों उत्पादन तकनीक विषय पर किसान-वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें गांव के 30 किसानों ने भाग लिया। केन्द्र के वैज्ञानिक डा. कुशल राज ने सरसों के बीच उपचार व बाद में आने वाली बीमारियों के लक्षण, पहचान एवं प्रबंधन पर विस्तृत रूप से वैज्ञानिक जानकारी दी। केन्द्र के वैज्ञानिक डा. संतोष कुमार ने सरसों के अच्छे उत्पादन के लिए सिचित क्षेत्रों में 70 किलोग्राम यूरिया, 75 किलोग्राम सिगल सुपर फास्फेट तथा 10 किलोग्राम जिक सल्फेट का प्रयोग करने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि किसान यूरिया की आधी मात्रा बिजाई के समय व आधी यूरिया पहली सिचाई पर तथा अन्य खाद बिजाई के समय डाले। केंद्र के वैज्ञानिक डा. सरदूल मान ने बताया कि केन्द्र व प्रदेश सरकार का प्रयास है कि तिलहन का क्षेत्रफल बढ़े जिससे कि किसान की आमदनी बढ़े व लागत कम आए। डा. मान ने बताया कि सरसों की खेती करने से न केवल तिलहन उत्पादन बढ़ता है बल्कि रेतीले इलाकों में सूत्रकृमि की समस्या होने के कारण जहां इस फसल का पूरा उत्पादन मिलता है वहीं सूत्रकृमि की समस्या भी कम होती है।
उन्होंने बताया कि सरसों उत्पादन के लिए बिजाई के समय तापमान 32 डिग्री के आसपास हो। पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर व लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर होने से पूरा उत्पादन मिलता है। केन्द्र के वैज्ञानिक डा. विकास हुड्डा ने सरसों की सिचित व असिचित क्षेत्रों में लगाई जाने वाली विश्वविद्यालय द्वारा इजात की गई विभिन्न किस्मों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। केन्द्र के वरिष्ठ समन्वयक डा. लक्ष्यवीर बैनीवाल ने इस सफल आयोजन के लिए केन्द्र के वैज्ञानिकों को बधाई दी।