बड़े पैमाने पर हो रहा मिलावट का कारोबार, कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
हनीश जिदल कुलां सरकार द्वारा आमजन के स्वास्थ्य को लेकर खाद्य पदार्थो में शुद्धता यकीनन बना
हनीश जिदल, कुलां :
सरकार द्वारा आमजन के स्वास्थ्य को लेकर खाद्य पदार्थो में शुद्धता यकीनन बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के नियम कानून बनाए गए हैं। साथ ही इन नियमों की पालना सुनिश्चित करने के लिए संविधान के तहत विभाग भी बनाए गए है, परंतु आर्थिक पूर्ति के चलते ये सभी नियम कानून मात्र कागजों तक ही सीमित होकर रह गए है। खाद्य सामग्रियों की शुद्धता मिलावटखोरों के अधिक मुनाफे की भेंट चढ़ गई है। इसका परिणाम ये हुआ कि आज मानव विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहा है। कुलां व जाखल क्षेत्र में मिलावट का धंधा चरम पर है, परंतु यहां मिलावटी खाद्य पदार्थो की जांच के लिए न तो प्रभावी तरीके से खाद्य पदार्थों के नमूने संग्रहित किए जा रहे अथवा न ही दुकान-प्रतिष्ठानों का निरीक्षण हो रहा है। आलम ये है कि आमजन को उपलब्ध हो रहे खाद्य पदार्थ शुद्ध है या मिलावटी, ये स्वयं खाद्य सुरक्षा विभाग ही नहीं जानता है।
जाखल, कुलां व आसपास क्षेत्र में मिलावटी खाद्य पदार्थो की बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है। भले ही विभागीय अधिकारी प्रतिमाह खाद्यपदार्थो के नमूने संग्रहित कर, उनकी जांच कराने का दावा कर रहें है, परंतु क्षेत्र में स्थिति इसके विपरीत है। जिक्र करें पूरे जिले में खाद्य पदार्थो की जांच कार्रवाई का तो इसका अंदाजा संभवत इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले में लंबें समय से खाद्य सुरक्षा अधिकारी की स्थाई नियुक्ति नहीं है, खाद्य सुरक्षा अधिकारी के अतिरिक्त चार्ज पर जिले में खाद्य पदार्थों की जांच व कार्रवाई का जिम्मा है।
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स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में
विदित हो कि करीब डेढ़ वर्ष पूर्व जाखल के एसएमओ डा. सुशील बंसल के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा गांव धारसूल में बस स्टैंड पर एक किराना दुकान पर खाद्य पदार्थों के नमूने लिए गए थे, वहीं बीते वर्षो उक्त टीम ने कुलां में बाला जी स्वीट्स नामक मिठाई दुकान पर छापेमारी कर, वहां से मिठाई के सैंपल संग्रहित किए थे। लेकिन इसके ततपश्चात विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम पर सैंपल रिपोर्ट आने का लालीपाप देकर अपना पल्ला झाड़ लिया गया, वे रिपोर्ट विभाग द्वारा अभीतक सार्वजनिक नहीं की गईं हैं। ऐसी स्थिति में इसे मिलावटखोरों की बड़ी सेटिग नही तो और क्या कहेंगे। बताते चलें कि नियमानुसार विभाग जब किसी मिलावटखोर के यहां छापामारी कर नमूने संग्रहित करता है तो नमूनों को जांच के लिए लैब में भेज रिपोर्ट 15 दिन में पूरी कर, मिलावटखोर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना अनिवार्य है।
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दैनिक जागरण समय-समय उठाता रहा है मुद्दा
मालूम हो कि जाखल व कुलां क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रहीं मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री एवं विभाग द्वारा कोई कार्रवाई न करने को लेकर दैनिक जागरण द्वारा 8 जनवरी के अंक में शीर्षक 'व्यवस्था की खोखली परखनली में मिलावटी वस्तुओं की जांच' समाचार प्रकाशित कर विभाग को चेताया गया था। इसके बाद हालांकि बीते दिनों 12 मार्च को खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम द्वारा जाखल में छापेमारी कर एक दूध डेयरी पर दुग्ध व अन्य दुग्ध उत्पादों के नमूने संग्रहित किए गए हैं। परंतु विभाग की ये कार्रवाई भी महज खानापूर्ति तक सीमित रहीं, चूंकि जाखल में ही खाद्य पदार्थ विक्रय करने की सैकड़ों दुकानें है परंतु कार्रवाई मात्र एक प्रतिष्ठान पर ही की गईं। वहीं कुलां में सालभर में एक बार भी सैंपलिग कारवाई नहीं की गई।
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मेरे पास फतेहाबाद के साथ भिवानी जिले का भी कार्यभार है। दो जिलों का कार्यभार होने से कार्य प्रभावित हो रहा है। नतीजन इससे तय संख्या में ही सेंपलिग की जा रही है, क्योंकि दोनों जिलों में पहले सेंपलिग कार्रवाई, ततपश्चात सैंपल रिपोर्ट में मिलावट सिद्ध होने पर कोर्ट केस में भी समय अधिक लगता है। कोर्ट केस में इन मामलों में कोई सरकारी अधिवक्ता नहीं होता है, ये कार्य फूड सेफ्टी ऑफिसर पर ही होता है। नियमानुसार एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी को माह भर में खाद्य पदार्थों के तीस नमूने संग्रहित करने का लक्ष्य होता है।
सुरेंद्र पूनिया, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी, फतेहाबाद