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एक पैर से नाप रहा उपलब्धियों की दुनिया, पैरा एशियाड में जीते दो पदक

दिव्यांग तरूण ढिल्लो ने जकार्ता में आयोजित पैरा एशियाड गेम की बैडमिंटन स्पर्धा में भाग लेते हुए एक स्वर्ण व एक कांस्य जीता।

By Edited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 10:57 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 01:43 PM (IST)
एक पैर से नाप रहा उपलब्धियों की दुनिया, पैरा एशियाड में जीते दो पदक
एक पैर से नाप रहा उपलब्धियों की दुनिया, पैरा एशियाड में जीते दो पदक

फतेहाबाद [राजेश भादू]। तरूण ढिल्लो ने जकार्ता में आयोजित पैरा एशियाड गेम की बैडमिंटन स्पर्धा में भाग लेते हुए एक स्वर्ण व एक कांस्य जीता। मूलरूप से गांव नहला के रहने वाले 70 फीसद दिव्यांग तरूण ढिल्लो की जिंदगी में कई कठिनाई आई। हालांकि परिवार की मदद से वे अब बैडमिंटन के स्टार खिलाड़ी बन गए हैं।

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उन्होंने 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित पैरा एशियाड में रजत पदक जीता था। उस प्रतियोगिता के फाइनल मुकाबले में उन्हें इंडोनेशिया के खिलाड़ी फ्रेडी सेतियावान से हार का सामना करना पड़ा। इस बार आयोजित पैरा एशियाड में उन्होंने दस अक्टूबर को सेतियावान को उसके देश में ही हराते हुए स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया।

तरूण ढिल्लो का परिवार चार दशक पहले भूना के निकटवर्ती गांव नहला से दिल्ली में अपना व्यवसाय के लिए चला गया था। वहां जाकर उन्होंने डेयरी फार्मिंग व खेती की। डेयरी फार्मिंग में उनके ताऊ रणवीर ढिल्लो व पिता सतीश ढिल्लो ने नाम कमाया। हालांकि तरूण ढिल्लो ने हिसार में गांव सातरोड पर अपने ननिहाल में ही पढ़ाई की।

2002 में साइकिल से गिरने पर लगी थी घुटने पर चोट

तरुण के एयर इंडिया में कार्यरत चचेरे भाई तेजेंद्र ने बताया कि 2002 में तरूण उनके पास दिल्ली गया हुआ था। उस दौरान तरूण साइकिल पर जन्माष्टमी पर लगा मेला देखने जा रहा था तो रास्ते में गिरने के कारण घुटने में चोट लग गई। शुरूआत में उस चोट को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन बाद में उसका घाव पड़ गया। जिसका लंबा इलाज चला। पहले ऑपरेशन से घुटना ठीक नहीं हुआ तो दिल्ली एम्स से दूसरी बार ऑपरेशन करवाया पड़ा। दूसरा ऑपरेशन तो ठीक हो गया, लेकिन लगातार पैर की मूवमेंट न होने के चलते पैर जाम हो गया। जो अब भी नहीं मुड़ता।

2014 में पदक जीतने के कुछ दिन पहले हो गया था पिता का देहांत

तरूण ने बताया कि वह 2014 पैरा एशियाड की तैयारी में लगा हुआ था। प्रतियोगिता सितंबर में होनी थी। करीब तीन महीने पहले उसके पिता सतीश का देहांत हो गया। इसके चलते वह मानसिक परेशान रहने लगा। हालांकि उसके ताऊ रणवीर ने उसकी मदद करते हुए हौसला बढ़ाया जिसके बदौलत उसने उस प्रतियोगिता में रजत पदक जीता।

व्यक्तिगत स्पर्धा में जीता स्वर्ण और टीम इवेंट में पाया कांस्य

तरूण ढिल्लो ने 6 से 13 अक्टूबर को जकार्ता में आयोजित पैरा एशियाड में दो पदक जीते। पहला स्वर्ण पदक बैडमिंटन की व्यक्तिगत स्पर्धा में भाग लेते हुए जीता। वहीं दूसरा पदक कांस्य पदक के रूप में जीता। यह पदक उन्हें बैडमिंटन की टीम इवेंट में मिला। पैरा एशियाड में पदक जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीम के सभी खिलाड़ियों को अपने आवास पर बुलाकर मुलाकात की।मेरे ताऊ व चचेरा भाई तेजेंद्र ने हमारी बहुत मदद की। ननिहाल से भी पूरा सहयोग मिला। हरियाणा सरकार की खेल नीति भी इस पदक में जीतने में काफी सहायक है।
   
 


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