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सीबीएसई के पाठयक्रम का हिस्सा बनेंगे 363 पर्यावरण प्रेमी

राजेश भादू फतेहाबाद बढ़ते प्रदूषण के संकट को देखते हुए अब विद्यार्थियों को पर्यावरण स

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 12:06 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 06:18 AM (IST)
सीबीएसई के पाठयक्रम का हिस्सा बनेंगे 363 पर्यावरण प्रेमी
सीबीएसई के पाठयक्रम का हिस्सा बनेंगे 363 पर्यावरण प्रेमी

राजेश भादू, फतेहाबाद :

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बढ़ते प्रदूषण के संकट को देखते हुए अब विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में पढ़ाया जाएगा। इसकी शुरुआत मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कर दी है। अब सीबीएसई के स्कूलों में पर्यावरण बचाने के लिए खेजड़ली के पेड़ को बचाने के लिए शहीद हुए 363 पर्यावरण प्रेमियों के बारे में पढ़ाया जाएगा। इसके लिए मंत्रालय ने पत्र क्रमांक पीएमओपीजी/डी/2019/0396862 जारी किया है। जिसमें कहा गया है बिश्नोई पंथ के पर्यावरण बचाने के लिए दिए गए अतुलनीय योगदान को विद्यार्थियों को बताया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के अलावा राज्यों के स्कूलों में भी इस पढ़ाया जाएगा।

विदित रहे कि इसके लिए अखिल भारतीय बिश्नोई युवा संगठन के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा था। गत 21 सितंबर को फतेहाबाद में शहीदों की याद में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें बिश्नोई समाज के अलावा अन्य वर्ग के पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने मांग की थी कि वर्ष 1730 को जोधपुर से 25 किलोमीटर दूर स्थित खेजड़ली में वृक्षों को बचाने के लिए 363 बिश्नोई समाज के जुड़े लोग शहीद हो गए थे। जिनका नेतृत्व अमृता देवी ने किया। जिन्होंने अपने बच्चों के साथ पेड़ काट रहे राजा के सिपाहियों को रोकने का प्रयास किया। जब सिपाही पेड़ काटने से नहीं रूके तो उन्होंने पेड़ों के चिपक कर अपनी जान दे दी। संगठन के सदस्यों का कहना है कि पूरे विश्व की पहली घटना है जिन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए ये कदम उठाया। इस घटना से प्रेरित होकर उत्तराखंड में भी चिपको आंदोलन चल चुका है। संगठन के सदस्यों का कहना है बिश्नोई पंथ के प्रवर्तक गुरु जंभेश्वर महाराज ने शिक्षा दी थी कि सिर साटे रूख रहे तो भी जस्तो जाण अर्थात हमारे सिर देने के बदले पेड़ जिदा रहता है तो इसके लिए हमें तैयार रहना चाहिए। इसके अलावा पर्यावरण को बचाने के लिए उन्होंने कई संदेश दिए थे।

21 सितंबर को भेजा था पत्र :

अखिल भारतीय बिश्नोई युवा संगठन के पदाधिकारियों ने गत 21 सितंबर को लघु सचिवालय में पर्यावरण बचाने के लिए खेजड़ली दिवस के उपलक्ष में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करते हुए एक दिन का उपवास रखा था। उस दौरान फतेहाबाद के डीसी धीरेंद्र खड़गटा के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा गया था। जिसमें पर्यावरण बचाने के लिए खेजड़ली में शहीद हुए 363 बिश्नोई के इतिहास को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की थी। अब सभा के सदस्यों को पीएमओ कार्यालय से पत्र आया है। जिसमें बताया गया है कि उनकी मांग को मानते हुए उस पर कार्य शुरू कर दिया गया है।

----------------------- पढ़ते प्रदूषण को देखते हुए हमें विद्यार्थियों को पर्यावरण बचाने के लिए प्रेरित करना ही होगा। इसके लिए हमने गत सितंबर में प्रधानमंत्री को पत्र भेजा था जिसमें मांग कि थी जोधपुर के पास खेजड़ली वृक्ष को बचाने के लिए शहीद हुए 363 पर्यावरण प्रेमियों की कहानी को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। अब मंत्रालय से हमारे पास पत्र आया है कि इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कार्य शुरू हो गया है। अगले शैक्षणिक सत्र से पढ़ाई शुरू हो जाएगी।

- रामनिवास बेनीवाल, प्रदेश प्रवक्ता, अखिल भारतीय बिश्नोई युवा संगठन।


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