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यमुना से सटे गांवों में बनेंगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

अब यमुना नदी किनारे बसे सभी गांव में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की तैयारी हो रही है। फिलहाल इन सभी गांवों के सीवर का पानी सीधा यमुना नदी में गिरता है। इससे यमुना का जल दूषित हो रहा है। पंचायती राज विभाग इस योजना को अमलीजामा पहनाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 07:27 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 07:27 PM (IST)
यमुना से सटे गांवों में बनेंगे 
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
यमुना से सटे गांवों में बनेंगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद : अब यमुना नदी किनारे बसे सभी गांव में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की तैयारी हो रही है। फिलहाल इन सभी गांवों के सीवर का पानी सीधा यमुना नदी में गिरता है। इससे यमुना का जल दूषित हो रहा है। पंचायती राज विभाग इस योजना को अमलीजामा पहनाएगा। खंड एवं विकास पंचायत अधिकारी अपने-अपने कार्यक्षेत्र में आने वाले गांव में जगह चिन्हित कर रहे हैं। कुछ एक गांव में जगह चिन्हित भी हो चुकी है। दरअसल, यमुना में बढ़ते प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सख्त है। एनजीटी ने ही सरकार को आदेश दिए थे कि वह यमुना में सीवर का पानी सीधे रूप से न डालने दें। साथ ही नगर निगम को भी सख्त हिदायत है कि नालों से गंदा पानी सीधे यमुना नदी में नहीं जाना चाहिए।

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लगातार बढ़ रहा है प्रदूषण

यमुना नदी किनारे बसंतपुर, इस्माइलपुर, ददसिया, किड़ावली, लालपुर, महावतपुर, भसकौला, मौजाबाद, कांवरा, मंझावली, चांदपुर, अरुआ, शाहजहांपुर, फज्जुपुर, साहुपुरा, छांयसा, मोहना आदि गांव हैं। यमुना नदी में जल प्रदूषण का स्तर सामान्य से कई गुणा ज्यादा होने की पुष्टि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारी कई बार कर चुके हैं। इसके अनुसार जिले में यमुना नदी दिल्ली से ही प्रदूषित केमिकल युक्त काला जहरीला पानी लेकर आती है। बाकी कसर यमुना नदी के किनारे बसे गांवों से यमुना में मिल रहे मैला, कूड़ा करकट और गंदा पानी पूरी कर रहा है। यमुना जल में प्रदूषण का स्तर को बीओडी लेवल से मापा जाता है। इसका औसत स्तर 3 बीओडी तक सामान्य रहता है। जबकि मौजूदा समय में यमुना के पानी में बीओडी लेवल 30 से 55 के आसपास है। हजारों हेक्टेयर जमीन हो रही प्रभावित

यमुना नदी के आर-पार हरियाणा व उत्तर प्रदेश की हजारों हेक्टेयर जमीन है। इस जमीन पर यमुना में बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर पड़ता है। केवल यमुना ही नहीं, बल्कि कालिदीकुंज से आगरा व गुरुग्राम नहर से भी हजारों हेक्टेयर भूमि की सिचाई होती है। साथ ही गांव के लोग जिस भूजल का इस्तेमाल पेयजल के रूप में कर रहे हैं, वह भी दूषित हो रहा है। केमिकल व सीवर के पानी से पोषक तत्व देने वाले जीवांश मर जाते हैं। लिहाजा यमुना के पानी से सींचा जा रहा अनाज, सब्जी, हरा चारा खाकर मनुष्य व पशु घातक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इससे कैंसर, गुर्दा, लीवर, हृदयाघात और उच्च रक्तचाप जैसी कई बीमारियां हो रही हैं। वर्जन..

यमुना नदी से सटे गांव में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए जगह की तलाश हो रही है। गांव का पूरा पानी साफ होने के बाद ही यमुना नदी में डाला जाएगा। जल्द जगह तलाश कर प्लांट बनेगा।

-राकेश मोर, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी।


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