जज्बे, जुनून और हौसलों से मिले बड़ी उड़ान के पंख
आमतौर पर महिलाएं शादी के बाद बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए अपने शौक या हुनर को पीछे छोड़ देती हैं मगर फरीदाबाद की 40 वर्षीय महिला डॉ.सीमा यादव के जुनून, जज्बे और हौंसले का अनुकरण मात्र भी किया जाए तो उनके इरादों को भी बड़ी उड़ान के लिए पंख लग सकते हैं।
बिजेंद्र बंसल, फरीदाबाद : आमतौर पर महिलाएं शादी के बाद बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए अपने शौक या हुनर को पीछे छोड़ देती हैं मगर फरीदाबाद की 40 वर्षीय महिला डॉ.सीमा यादव के जुनून, जज्बे और हौसले का अनुकरण मात्र भी किया जाए तो उनके इरादों को भी बड़ी उड़ान के लिए पंख लग सकते हैं। सेक्टर-17 निवासी डॉ.सीमा यादव ने तीन साल पहले तब शौकिया दौड़ना शुरू किया, जब उनका इकलौता बेटा योहान महज तीन साल का था। डॉ.यादव अब हॉफ और फुल मैराथन के लिए दिल्ली एनसीआर की सबसे तेज शौकिया महिला धावक हैं। इतना ही नहीं अपने इस तीन साल के कॅरियर में डॉ.सीमा यादव ने इच्छुक घरेलू महिलाओं को निशुल्क योग सिखाकर उन्हें हॉफ और फुल मैराथन में दौड़ने के लिए भी प्रेरित करना शुरू कर दिया है। उनकी प्रेरणा से दिल्ली एनसीआर की 10 घरेलू महिलाएं अब तड़के तीन बजे मैराथन ट्रैक पर नजर आती हैं। डॉ.सीमा कहती हैं कि महिलाओं के अंदर कोई न कोई हुनर अवश्य होता है मगर वे शादी और बच्चे होने के बाद उसे दबा देती हैं। वे ऐसी महिलाओं को आगे बढ़ाना चाहती हैं। डॉ.सीमा यादव यूं तो आयुर्वेद में स्नातक हैं मगर उन्होंने कभी प्रेक्टिस नहीं की। दौड़ने के शौक के बाद उन्होंने केवल्यधाम मुंबई से योग शिक्षा में डिप्लोमा भी लिया है और योग प्रशिक्षण केंद्र का भी संचालन कर रही हैं। चौथी दौड़ में मिले प्रशिक्षक
दिल्ली में जब डॉ.सीमा यादव अपनी चौथी हॉफ मैराथन दौड़ रही थीं और उन्होंने 1 घंटा 45 मिनट की समयावधि में दौड़ पूरी की तो उन्हें द्वारका में रहने वाले कर्नल अरुण मलिक ने स्वेच्छा से प्रशिक्षण देने के लिए चुन लिया। अब उनके मार्गदर्शन में ही डॉ.सीमा यादव विभिन्न दौड़ में 13 स्वर्ण पदक, तीन रजत, दो कांस्य पदक जीत चुकी हैं। अब तक उनकी 20 हॉफ मैराथन और 4 फुल मैराथन पूरी हो चुकी हैं। इसके अलावा सीमा को कई न्यूट्रिशियन कंपनियों ने अपना ब्रांड एम्बेसडर बना लिया है। डॉ.सीमा मानती हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने में उनकी मदद उनके पति छत्रपाल यादव ने भी की, जो फरीदाबाद नगर निगम में चुने हुए पार्षद हैं। बेटे की परवरिश के दौरान मेरा थोड़ा वजन बढ़ रहा था, इसलिए मैं एक शाम अपने घर के नजदीक पार्क में टहलने गई। कुछ दिन में मुझे पार्क में टहलने से अपने वजन में हल्कापन महसूस हुआ। बस, वहीं से मुझे लगा कि यदि मैं नियमित दौड़ लगाऊं तो शरीर एकदम फिट हो सकता है। एक मित्र ने मुझे एक कंपनी द्वारा आयोजित हॉफ मैराथन में दौड़ने के लिए प्रेरित किया। मैं बिना किसी तैयारी के पहली बार फरवरी 2016 में दिल्ली में आयोजित हॉफ मैराथन में दौड़ी तो 2.02 घंटे में मेरी दौड़ पूरी हुई। दौड़ने का यह सिलसिला चलता गया और अब मैं 1.31 घंटे में हॉफ मैराथन पूरी कर लेती हूं।
-डॉ.सीमा यादव, दिल्ली एनसीआर की सबसे तेज शौकिया धावक