Move to Jagran APP

भूजल के लिए बड़ा काम कर रहा पंचायतों का छोटा प्रयास

भूजल स्तर के मामले में अपना जिला डार्क जोन में है। मतलब हर साल करीब 10 फुट भूजल स्तर खिसक रहा है। कुछ साल बाद हालात काफी खतरनाक हो सकते हैं। बस इसी खिसकते भूजल स्तर को बचाने के लिए हर ग्राम पंचायतों में काम शुरू हो गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 08:00 PM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 08:00 PM (IST)
भूजल के लिए बड़ा काम कर 
रहा पंचायतों का छोटा प्रयास
भूजल के लिए बड़ा काम कर रहा पंचायतों का छोटा प्रयास

प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद : भूजल स्तर के मामले में अपना जिला डार्क जोन में है। मतलब हर साल करीब 10 फुट भूजल स्तर खिसक रहा है। कुछ साल बाद हालात काफी खतरनाक हो सकते हैं। बस इसी खिसकते भूजल स्तर को बचाने के लिए हर ग्राम पंचायतों में काम शुरू हो गया है। स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण के तहत जिले की सभी 116 ग्राम पंचायतों में सोख्ता गड्ढे बनवा दिए हैं। एक गड्ढे की रोजाना 200 लीटर पानी सोखने की क्षमता होती है। इस हिसाब से रोजाना 23 हजार 200 लीटर पानी धरती के नीचे पहुंच सकता है। अगर यही आंकड़ा महीने का निकाले तो हर महीने 6 लाख 96 हजार लीटर बन जाता है। क्योंकि शुरुआत है, इसलिए अभी एक-एक ही गड्ढा बनवाया गया है। अब ग्राम पंचायतों की मांग पर एक गांव में एक से अधिक सोख्ता गड्ढे भी बनवाए जा सकते हैं। इस अभियान के तहत भूजल स्तर पर सकारात्मक असर पड़ने की संभावना है। कोई भी बनवा सकता है गड्ढे

loksabha election banner

भूजल स्तर बचाने के लिए आमजन भी पहल कर सकते हैं। जो पानी नल या हैंडपंप वाली जगहों पर नालियों में बहकर व्यर्थ हो जाता है, उसके लिए अपने घर के आंगन में ऐसे सोख्ता गड्ढे बनवाए जा सकते हैं। इसमें अधिक खर्चा भी नहीं आता। मुश्किल से 17 हजार रुपये तक खर्च होते हैं, पर इसके परिणाम काफी सुखद होंगे। सूख रही धरती की कोख

आंकड़ों के अनुसार 5 साल में बड़खल विधानसभा में भूजल स्तर 250 फुट से खिसककर 500 से 700 फुट तक पहुंचा गया है। एनआइटी विधानसभा क्षेत्र में भूजल स्तर 150 से 200 फुट पर आ गया है। वहीं, ओल्ड फरीदाबाद में भूजल स्तर 150 से 200 फुट तक पहुंच गया है। यहां तक यमुना से सटे हुए गांव में भी 100 से 150 फुट पर पानी मिलता है। भूजल स्तर खिसकने के कारण

-अवैध बोरिग

-पक्के रास्तों का निर्माण

-पेड़ों को अंधाधुंध काटना

-जल को व्यर्थ बहाना

-बारिश का कम मात्रा में होना

-वर्षा जल का संग्रहण नहीं होना पहले चरण में सभी ग्राम पंचायतों में एक-एक सोख्ता गड्ढे बनवाए हैं। यह गड्ढे 5 फुट गहरे व 5 फुट चौड़े हैं। नीचे से इन्हें पक्का नहीं किया जाता ताकि बूंद-बूंद पानी धरती के अंदर चला जाए। इस तरह से हर माह लाखों लीटर पानी धरती की कोख में पहुंच जाएगा। दूसरे चरण में एक गांव में एक से अधिक गड्ढे बनाए जा सकते हैं। इसके लिए ग्राम पंचायतें मांग कर सकती हैं।

-उपेंद्र सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी, स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.