मेरी शिष्या सुषमा को अव्वल आने की रहती थी जिद : प्रोफेसर शर्मा
वाद-विवाद में हमेशा आगे रहने हिदी पर मजबूत पकड़ अपनी संस्कृति में रच बस जाने और हर क्षेत्र में अव्वल आने की जिद ने ही मेरी शिष्या को राजनीति में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर सुशोभित किया। वो यूं 67 साल की उम्र में इस दुनिया से चली जाएंगी यह सोचा न था यह शब्द हैं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को एसडी कॉलेज अंबाला में दो साल तक बीए में राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई कराने वाले प्रोफेसर नरेंद्र दत्त शर्मा के।
सुशील भाटिया, फरीदाबाद : वाद-विवाद में हमेशा आगे रहने, हिदी पर मजबूत पकड़, अपनी संस्कृति में रच बस जाने और हर क्षेत्र में अव्वल आने की जिद ने ही मेरी शिष्या को राजनीति में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर सुशोभित किया। वो यूं 67 साल की उम्र में इस दुनिया से चली जाएंगी यह सोचा न था, यह शब्द हैं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को एसडी कॉलेज अंबाला में दो साल तक बीए में राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई कराने वाले प्रोफेसर नरेंद्र दत्त शर्मा के।
प्रोफेसर नरेंद्र दत्त शर्मा वर्ष 2006 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के आरएल कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान विभाग में सीनियर रीडर के पद से सेवानिवृत्त हुए। बुधवार को जब ओल्ड फरीदाबाद के बाड़ मोहल्ला स्थित निवास पर 76 वर्षीय प्रोफेसर शर्मा से मुलाकात करने के लिए गए, तब वो सुषमा स्वराज की अंतिम यात्रा को धर्मपत्नी संग टीवी पर देख रहे थे। टीवी पर जब राजनेताओं द्वारा सुषमा के तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किए जाने के ²श्य आ रहे थे, तो प्रोफेसर नरेंद्र शर्मा की आंखें नम हो गई। बातचीत के दौरान नम आंखों से पुरानी यादों को ताजा करते हुए प्रोफेसर ने कहा कि वर्ष 1969 व 70 में अंबाला कैंट के एसडी कॉलेज में सुषमा स्वराज को उन्होंने बीए द्वितीय व तृतीय वर्ष में पढ़ाया। जब भी कॉलेज में पढ़ाई से अलग कोई पीरियड होता था, तो वो छात्रों संग किसी भी विषय पर विचार-विमर्श के लिए बैठ जाते थे, उसमें सुषमा अपने विचार रखने में सर्वदा आगे रहती थी। कॉलेज में वाद-विवाद प्रतियोगिता में भी हिदी भाषा व शब्दों पर अपनी मजबूत पकड़ के चलते सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लेती थी। इससे वो हमेशा टॉपर रहती थी, खेलों में भी वो आगे रहती थी।
सुषमा की इन उपलब्धियों व गुणों से तभी यह लगने लगा था कि यह लड़की राजनीति में आएगी और नाम कमाएगी। सुषमा की उपलब्धियों को देखते हुए ही तब कॉलेज के प्राचार्य को सुझाव दिया कि जब छात्रों का वार्षिक सम्मान समारोह हो, तो सुषमा के लिए स्पेशल मेडल बनवाया जाए। बकौल प्रोफेसर, प्राचार्य ने उनके सुझाव को मान लिया और उनके लिए स्पेशल मेडल जो अन्यों से हट कर था बनवाया गया।
प्रोफेसर के अनुसार यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि सुषमा स्वराज जैसी शिष्या को मैंने पढ़ाया, जिन्होंने यूएनओ और संसद में अपनी भाषा शैली, दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में और विदेश मंत्री के रूप में विदेशों में फंसे लोगों को सकुशल घर वापसी करने के अनेकों नेक कार्य कर सभी का दिल जीता। वो सहृदय की मालकिन थी, उनका यूं जाना सभी को अंदर से रुला गया।